शिशु का ३३वाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
गति के संसार में-
शिशु इस उम्र में रेंगना (अपने आप को पेट के बल ढकेलना),
घुटने के बल चलना, या अपना निचला भाग हिलाकर खिसकना शुरू कर
देता है। वह अपने निचले भाग के सहारे अपना हाथ पीछे रखते हुए
और एक पैर आगे रखते हुए खुद को ढकेल सकता है। रेंगना शिशु का
सबसे पहला तरीका होता है कुशलतापूर्वक अपने आप इधर-उधर घूमने
का। आप तौर पर शिशु सबसे पहले खुद को हाथ से खीचना सीखता है
और फिर अपने हाथ और घुटनों पर खड़ा हो जाता है। उसके बाद
शिशु पता लगाएगा कि घुटनों के सहारे आगे और पीछे कैसे जाते
हैं। घुटने के बल चलने का एक और रूपान्तर भी है जिसमे शिशु
का एक पैर शरीर को ढकेलता है और एक हाथ शरीर को खीचता है। इस
तरह शिशु बहुत तेज़ी से घुटने के बल चल सकता है मानो जैसे
युद्ध के मैदान में सिपाही आगे बढ़ रहा हो। घुटने के बल चलने
के यह सभी रूपांतर उन सभी मासपेशियों को मज़बूत बनाते हैं जो
बहुत जल्द शिशु को अपने पैरों पर चलने में मदद करेंगे। शिशु
गतिशीलता का चाहे जो भी तरीका इस्तेमाल करे उसे सब जगह
इधर-उधर जाते हुए देखना बहुत ही मनमोहक होता है।
खड़े होना और चलना
शिशु
किसी फर्नीचर को पकड़कर अपने शरीर को खड़े होने की अवस्था
में ला सकता है। वास्तव में यदि आप शिशु को एक सोफ़े के
किनारे खड़ा कर दें तो वह अपने आपको कुछ सेकेंड तक खड़ा भी
रख पाएगा। इस चरण में कई माता-पिता अपने बच्चों को बेबी वॉकर
में रख देते हैं लेकिन यह बहुत अच्छी बात नही है। वॉकर
असुरक्षित होते हैं। शिशु वॉकर में बैठकर उन सब वस्तुओं तक
पहुँच सकता है जिन तक वह पहले नहीं पहुँच सकता था जैसे गरम
गैस, या ब्लीच की बोतल। इसके अलावा शिशु को ज़मीन पर खेलने का
मौका नही मिलता। वह वह घुटने के बल नही चल पाता, अपने शरीर
को खड़ी अवस्था में नही ला पाता और न ही फर्नीचर पकड़-पकड़कर
कर चल पाता है। यह सभी गतिविधियाँ शिशु का चलने की ओर प्ररित
करती हैं।
खेल खेल खेल
-
आवाज का
सितारा
पहली बार जब शिशु
अपनी आवाज़ सुनता है तो यह पल सबसे यादगार होता है। थोड़ी
देर तक तो उसे पता ही नही चलता कि यह उसकी आवाज़ है और
उसको यह पता लगाते हुए देखने में बहुत मज़ा आता है। यह
खेल शीशु को कभी भी अच्छा लगेगा और इसको सोने से पहले
एकांत में खेलने में सबसे ज़्यादा मज़ा आता है। इसके लिए
हमें एक टेप-रिकोर्डर और एक टेप की ज़रूरत है। यदि आपके
पास अपने समय का पुराना टेप-रिकोर्डर है तो सबसे अच्छा
रहेगा। यदि आपकी उच्च-तकनीकी गृहस्थी है तो आप यह आई-पॉड
और रिकोर्डिंग अटैचमेन्ट इस्तेमाल करके भी कर सकते हैं।
या फिर कम्प्यूटर और माइक के साथ भी इसे किया जा सकता
है। टेप-रिकोर्डर को शिशु के पास रख लें और फिर उसे कुछ
बड़बड़ाने के लिए प्रोत्साहित करें। उसको कोई पुस्तक
दिखाएँ, उसके पैर पर गुदगुदी करें, या फिर खिलौने की कार
को धक्का दें (कोई ऐसा खेल चुनें जिसमें आप चुप रहें
क्यूँकि सबसे ज़्यादा मज़ा आता है जब टेप में सबसे ज़्यादा
शिशु की आवाज़ हो और किसी की नही)। एक बार जब शिशु की
मुखर रेंज का अच्छा नमूना इकट्ठा हो जाए (इसमें एक दिन
से ज़्यादा भी लग सकते हैं) तब फिर उसे शिशु को बजाकर
सुनाएँ। शीशु के व्यंग्य मिश्रित भाव का उत्तर देते हुए
कहें "हाँ यह तुम ही हो" और बार-बार यह टेप बजाते रहें
जब तक शिशु को यह अच्छी तरह यकीन ना हो जाए कि यह आवाज़
उसी की है। इस टेप को यदि सम्भाल कर रखा जाए तो यह
भविष्य के लिए एक बेहतरीन यादगार रहेंगे।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
|