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घर-परिवार बचपन की आहट


शिशु का ३२वाँ सप्ताह
इला गौतम


दाँत निकलना

शिशु के दाँत ३ महीने की उम्र से लेकर १२ महीने की उम्र के बीच कभी भी निकल सकते हैं। आम तौर पर शिशु के नीचे के सामने वाले बीच के दोनो दाँत ४ से ७ महीने की उम्र में निकलने लगते हैं। यदि शिशु के दाँतों के बीच में जगह दिखाई दे तो परेशान न हों। मसूड़ों से दाँत अजीब कोण से निकलते हैं और उनके बीच की जगह ३ साल की उम्र में गायब हो जाती है, जब बच्चों के सारे २० दाँत निकल आते हैं।

जब शिशु के दाँत निकलने लगेंगे तब वे ज़्यादा लार टपका सकते हैं। शिशु अपने मुँह में इन नए दाँतों से समायोजित हो रहा है और इस दैरान वह तरह-तरह की आवाज़ें निकाल कर प्रयोग करेगा।

शिशु को इस असुविधा से आराम देने के लिए उसे कुछ चबाने के लिए दें, जैसे सख़्त रबड़ से बना दाँत से चबाने वाला छल्ला या फिर एक छोटा गीला तौलिया। शिशु को ठँडे आहार लेने से भी आराम मिलेगा जैसे सेब का सौस या ठँडा दही (यदि वह ठोस आहार लेता है) क्यूँकि ठंडा उसके दर्द को नम कर देगा। शिशु को सख्त नम्कीन बिस्किट भी दिया जा सकता है जिसे वह देर तक चबा सके। आप शिशु के पीढ़ादायक मसूड़ों पर अपनी अँगुली से मालिश कर सकते हैं या फिर डाक्टर की सलाह से कोई क्रीम भी लगा सकते हैं।

मंजन का समय

शिशु का पहला दाँत आते ही उसे मन्जन कराना चाहिए। शिशुओं के लिए खास तौर पर बनाए गए टूथ ब्रश प्रयोग करते हुए दिन में दो बार मन्जन करना चाहिए। बच्चे उन चीज़ों को जल्दी स्वीकार करते हैं जिनसे वह परिचित होते हैं। इसलिए टूथ पेस्ट के बिना शिशु को ब्रश पकड़ने दें ताकि वह ब्रश के स्पर्श से परिचित हो सके। हैरान न हों यदि शिशु टूथ ब्रश से अपने दाँत साफ़ करने लगे, बाल काढ़ने लगे, या फिर अपना पसंदीदा खिलौना साफ़ करने लगे। जब शिशु आपको रोज़ दाँत साफ़ करते हु्ए देखेगा तो उसे समझ आएगा कि यह कोई डरावनी चीज़ नही बल्कि एक सामान्य दैनिक दिनचर्या की क्रिया है।

खेल खेल खेल

  • मज़ेदार रोलर - इस खेल के लिए आपको चाहिए पानी की दो खाली प्लास्टिक की बोतलें एक लीटर की, चटक रंग के छोटे-छोटे खिलौने या फिर छोटी घंटियाँ। किसी चाकू या कैंची की मदद से बोतलों का एक तिहाई हिस्सा ऊपर से काट दें। फिर एक बोतल में छोटे खिलौने और घंटियाँ डाल दें और उसको दूसरी बोतल में हल्का सा पिचकाकर घुसा दें ताकि वह एक दो इन्च उसमे घुस जाए और एक बन्द सिलिन्डर बन जाए। फिर एक मज़बूत टेप से बोतलों के किनारे चिपका दें ताकि धार वाला किनारा पूरी तरह टेप से ढँक जाए। और यह बन गया रोलर। अब रोलर ज़मीन पर रख कर बच्चे को दिखाएँ कि कैसे रोल करते हैं। फिर देखिए शिशु कैसे घुटने के बल भाग-भाग कर रोलर का पीछा करता है। यदि आपके शिशु ने अभी घुटने के बल चलना नही शुरू किया है तो यह खेल उसे घुटने के बल चलने के लिए बहुत प्रोत्साहित करेगा।
     

  • ढिशुम - घुटने के बल चलना या अपने पैरों पर खड़े होकर चलना बच्चों के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। नन्हे-नन्हे पैरों की नई-नई मासपेशियों का विकसित होना बहुत ज़रूरी होता है। यह गेंद को लात मारने वाला खेल शिशु के सारे पेशी समन्वय कौशल को विकसित करता है। इस खेल के लिए हमें चाहिए एक मध्यम आकार की प्लास्टिक की गेंद। खेलने के लिए ज़मीन पर बैठ जाएँ और शिशु को अपने सामने ऐसे पकडें कि उसकी पीठ आपकी तरफ़ हो। एक हाथ से शीशु को छाती से घेरते हुए पकड़ें और दूसरे हाथ से शिशु के निचले भाग को सहारा दें ताकि शिशु के पैर थोड़े आगे को निकल आएँ। गेंद को शिशु के पैर के बिलकुल सामने रखें और शिशु को उसे लात मारने में मदद करें। पिर धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाएँ ताकि शिशु गेंद को पूरे कमरे में ठेल सके। जैसे ही शिशु का पैर गेंद से लगे तो खूब वाहवाही कर के शीशु को प्रोत्साहित करते हुए उसको दिखाएँ कि उसने गेंद को कितना दूर तक मारा है।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सहायता लेनी चाहिए।

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