शिशु का पंद्रहवाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
पसंद नापसंद का विकास
अब शिशु हाथ और पैर हिलाकर माँ की उपस्तिथि, आवाज़ और चेहरे
के भाव पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। आपका शिशु, जो
अभी तक लगभग सभी को देखकर मुस्कुराता था, वह अपनी पसंद
नापसंद ज़ाहिर करते हुए अब सिर्फ़ चुनिन्दा लोगों पर ही
मुस्कुराता है।
लोगों के बड़े समूह में, या अपरिचित लोगों के बीच शिशु को
सुखद होने में अभी समय लगेगा। शिशु को जब भी अपरिचित
व्यक्ति या किसी देखभाल करने वाले के साथ छोड़ें तो
संक्रमण का समय ज़रूर दें। शिशु जब माँ की बाहों में होगा
तब वह दूसरे लोगों से बातचीत करने में ज़्यादा रुचि
दिखाएगा।
भाषा की
नींव तैयार होने के दिन
शोधकर्ता मानते हैं कि इस उम्र में
बच्चे वे सारी मूल आवाज़ें समझने लगते हैं जो मिलकर उनकी
मातृभाषा बनती हैं। अभी से लेकर ६ महीने की उम्र के बीच
शिशु की वह क्षमता विकसित हो जाएगी जिससे वह मौखिक आवाज़ें
निकाल सके। इसका मतलब है कि माता पिता जो शब्द सुनने के
सपने देखते थे वो अब वह सुन पाएँगे जैसे "म-म" या "द-द"।
शिशु विकास के विशेषज्ञ कहते हैं कि हालाँकि शिशु अभी इन
शब्दों को माता पिता से जोड़ नही पाता फिर भी इन्हे सुनने
में बेहद प्रसन्नता होती है।
आप शिशु के संचार करने की कोशिश को उसके भाव और आवाज़ की
नकल बनाकर प्रोतसाहित कर सकते हैं। शिशु भी आपकी नकल
बनाएगा। यदि माँ "बा" कहेगी तो हो सकता है कि शिशु भी "बा"
कहने की कोशिश करे।
शिशु जब भी आवाज़ निकाले या कुछ कहने की कोशिश करे तो अपनी
प्रतिक्रिया ज़रूर व्यक्त करें इससे उसे भाषा का महत्व
समझने में मदद मिलेगी।
शिशु कारण और प्रभाव भी समझ पाएगा।
इससे उसका आत्मसम्मान बढ़ेगा और उसको एहसास होगा को वो
जब भी कुछ कहता है तो उसका असर होता है। शिशु जो भी कहे
उसे अर्थ देकर वाक्य बनाने की कोशिश करें जैसे शिशु के
"माँ" कहने पर कहें "हाँ ये माँ है"।
खेल खेल
खेल-
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शिशु
अब लगभग चार महीने का पूरा हो जाने वाला है। उसकी
सूँघने की शक्ति भी विकसित होने लगी है और शिशु को
मसालों की गंध से परिचित कराने का समय आ गया है।
जब आप रसोई में जाएँ उसके हाथ पर बिलकुल बारीक दालचीनी
की थोड़ी सी गंध लगा दें। इसी प्रकार जीरा और वैनीला
की सुगंध से परिचित होना शिशु के लिये ज्ञानवर्धक
रहेगा। ध्यान रखें पिसे हुए मसाले का चूर्ण उसकी साँस
या आँख में न जाए। केवल गंध ही जाए। अगर शिशु इसे पसंद
न करे तो जबरदस्ती न करें। अगर शिशु इसे पसंद करता है
तो उसे पिता के शेविंग लोशन और माँ की हाथ पर लगाने
वाली क्रीम की गंध से परिचित करवाया जा सकता है।
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इस
आयु के शिशु में संगीत की समझ बनने लगती है साथ ही
शब्दों को पहचनाने का विकास भी हो रहा होता है। ऐसे
समय में उसके लिये कुछ ऐसे शिशु गीत सुनाने चाहिये
जिनमें दैनिक जीवन के काम की बातें हों जैसे माता पिता
व अन्य संबंधियो के सबोधन, हाथ पैर आदि शब्द और खाना
पानी आदि क्रिया शब्द। बार बार दोहराए जाने से वह बड़ा
होकर इन्हें जल्दी और साफ़ उच्चारण के साथ बोलेगा।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
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