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शिशु का चौदहवाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
स्पर्श का आनंद
शिशुओं को अपना स्पर्श करवाना बहुत अच्छा लगता है। वास्तव
में वह इसी से फलते हैं - यह उनके बढ़वार और विकास का एक
बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। माँ का बच्चे को स्पर्श करना न
सिर्फ़ उनके बीच का सम्बंध बढ़ाता है बल्कि जब शिशु उदास
या परेशान हो तो उसके लिए आरामदायक होता है और जब वह
चिड़चिड़ा हो तो उसके लिए सुखदायक होता है।
शिशु की स्पर्श की भावना को
विभिन्न वस्तुओं से पोषण दें जैसे फ़र, टैरी क्लौथ और
मलमल। सम्भावना है कि शिशु हर चीज़ खाने की कोशिश करेगा
इसलिए ध्यान से वस्तुओं का चयन करें और शिशु को किसी भी
ऐसी वस्तु के साथ अकेला न छोड़ें जो अलग होकर उसके मुँह
में जा सकती है। शिशु के लिए कपड़े की किताबें भी खरीदी जा
सकती हैं।
ममतामय मालिश और शिशु की प्रतिक्रिया
कोमल हवा का स्पर्श या
आरामदायक मालिश का, माँ की गोद का स्पर्श या नाक पर एक
चुम्बन का - यह सभी प्रभावशाली तरीके हैं शिशु को आराम
पहुँचाने के और व्यस्त रखने के। इनसे शिशु की चेतना बढ़ेगी
और शिशु की ध्यान अवधि बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। शिशु की
साधारण मालिश के लिए एक गुनगुनी, समतल जगह ढूँढ़ें जिस पर
शिशु को लिटाया का सके - कालीन पर बिछा हुआ कम्बल ठीक
रहेगा। थोड़ा सा बेबी ओइल या वनस्पति अपनी हथेली पर डालकर
दोनो हाथ मलें ताकि आपके हाथ और तेल दोनो गरम हो जाएँ। फिर
शिशु की आँखों में देखकर मालिश करें और साथ ही साथ कोई
गाना गाएँ या शिशु से बातें करें। शिशु की प्रतिक्रिया पर
ध्यान दें।
यदि
शिशु को आनंद न आ रहा हो तो पहले से भारी या हलका स्पर्श
देकर मालिश करें या फिर मालिश बंद कर दें। शिशु को इस वक्त
मालिश में विशेष दबाव की ज़रूरत नही है, उसके लिए माँ का
कोमल स्पर्श ही काफ़ी है।
खेल खेल
खेल-
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चौदह
सप्ताह के शिशु को यदि पेट के बल लिटाया जाए तो वह
अपने हाथों का सहारा लेकर अपने कन्धे और सर को ऊँचा
उठाने की कोशिश करते हैं और इसमें सफल भी होते हैं। यह
छोटी सी कसरत शिशु की मासपेशियों को और मज़बूत बनाती है
और इस मुद्रा में वह अपने आस पास जो हो रहा है उसे
बेहतर देख सकता है। हो सकता है कि शिशु आपको अपने आप
पीठ से पेट और पेट से पीठ के बल पलट कर चकित कर दे।
शिशु के इस कौशल को खेल के द्वारा बढ़ावा दिया जा सकता
हैः जिस तरफ़ शिशु लुढ़कना पसंद करता है उस तरफ़ एक
खिलौना हिलाएँ। शिशु के हर प्रयास पर मुस्कुरा कर ताली
बजाएँ। इस खेल में शिशु के साथ सहयोग और आश्वासन बनाए
रखें। यह नया कौशल शिशु के लिए डरावना भी हो सकता है।
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शिशु
के हाथों की पकड़ अब तक मजबूत हो चुकी है। उसके हाथों
में अपनी ऊँगली पकड़ा दें। सुरक्षा के लिये उसका हाथ
बाहर से भी थाम लें। अब उसे ऊपर उठाते हुए (जैसे उसे
बैठने में सहायता कर रही हैं) कहें एक दो तीन... ऊपर।
उसे जोर लगाकर उठने दें, जब वह बैठने जैसी मुद्रा में
आ जाए तो कहें धम्म और फिर से लेटी मुद्रा में छोड़
दें। ध्यान रखें कि यह खेल गुदगुदे बिस्तर पर ही खेला
जाए। शिशु की गर्दन और हाथों में झटका न लगे उसका
ध्यान रखें। अधिकतर शिशु यह खेल बहुत पसंद करते हैं और
धम्म की मुद्रा में जोर जोर से हँसते हैं। शिशु की
प्रतिक्रिया पर ध्यान रखें यदि उसे खेल पसंद नहीं आता
तो रोक दें। जबरदस्ती न करें।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
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बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
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