शिशु का तेरहवाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
अंतराल का
समय
शिशु अब तीन माह का पूरा हो गया। उसमें अब जल्दी जल्दी नए
बदलाव नहीं दिखेंगे। जल्दी जल्दी चीज़ें सीखने का समय भी
जैसे धीमा लगेगा। उसने अभी तक जो कुछ सीखा है वह उसे बेहतर
बनाने की कोशिश में लगा दिखाई देगा। एक तरह से यह अंतराल
का समय है। माँ के लिये भी थोड़े से आराम का समय और
भागदौड़ वाली दिनचर्चा से ज़रा सी मुक्ति का समय।
हाथो और पैरों का समन्वय
शिशु अब अपने हाथ दाएँ बाएँ हिला सकता है मानो अलविदा का
इशारा कर रहा हो। जैसे-जैसे शिशु का नितंब और घुटने का
जोड़ मज़बूत हो रहा है वैसे-वैसे उसकी लातें भी मज़बूत हो
रही हैं। शिशु के पैर ज़मीन पर रखकर उसको सीधा खड़ा करें और
महसूस करें कि वह कैसे अपने पैरों से नीचे की ओर धक्का
देता है। हालाँकि वह खड़ा नहीं हो सकता है पर वह आपकी
बाहों का सहारा लेकर खड़े होने की कोशिश कर सकता है।
शिशु अपने दोनो हाथ जोड़ सकता है और अपनी अँगुलियाँ खोल और
बंद कर सकता है। उसके सामने एक खिलौना रख कर देखें की वह
उसकी ओर हाथ बढ़ाता है या नही। इस खेल से शिशु के हाथ और
आँख के समन्वय को प्रोत्साहन मिलेगा। ध्यान रखें कि शिशु
के पालने के ऊपर लगा खिलौना उसकी पहुँच के बाहर हो, नही तो
हो सकता है कि शिशु उसको पकड़ कर खींच ले और खिलौना उसके
ऊपर गिर कर उसे चोट पहुँचा दे।
भाषा का प्रारंभिक विकास
खोज
के अनुसार जिन शिशुओं के माता-पिता उनसे ज़्यादा बात करते
हैं, बड़े होकर दूसरे बच्चों के मुकाबले, उन शिशुओं का आई
क्यू और शब्दावली दोनो ही ज़्यादा होते हैं। इसीलिए इस उम्र
में शिशु से बातचीत बहुत अधिक आवश्यक है। शिशु को विभिन्न
प्रकार के शब्द सुनाकर अभी से एक ठोस नीव रखी जा सकती है।
जब शिशु को सैर पर ले जाएँ तो उससे आस-पास की चीज़ों के
बारे में बातें करें, और जब घर का सामान खरीदने
सुपर-मार्किट जाएँ तो हर सामान का नाम बोल कर शिशु को
बताएँ। शिशु अभी यह सारे शब्द दोहरा तो नही सकता लेकिन वह
यह सारे शब्द अपनी तेज़ विकासशील स्मरणशक्ति में रखता जा
रहा है।
यदि आपका घर द्विभाषिक है तो शिशु को नियमित रूप से दोनो
भाषाएँ सुनने से फ़ायदा होगा। शिशु का मौखिक कौशल यदि शुरू
में थोड़ा पीछे रह जाए तो चिन्ता करने की कोई बात नही है।
आगे जाकर ना सिर्फ़ मौखिक कौशल बल्कि शिशु का सामान्य भाषा
कौशल भी विकसित होगा।
कुछ और खेल-
अब तक शिशु
३ महीने का हो चुका है और इस उम्र के शिशु के साथ नीचे दिये गए खेल खेले जा
सकते हैं। ये उसकी बुद्धि, शरीर और संवेदनाओं के विकास में
सहायक होंगे।
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तेज़
ताल वाले गाने बजाएँ। विभिन्न प्रकार के गाने बजाएँ –
तेज, धीमे, मधुर, जोशीले धीरे-धीरे शिशु इन सबका अंतर
समझने लगेगा।
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शिशु
को बाहर लेकर जाएँ और उसे गोद में लेकर एक पेड़ के
नीचे बैठें। उसे पत्तियों की आवाज़ सुनने में, धूप और
छाँव देखने में और चिड़िया और हवाई-जहाज़ को उड़ता देख
बहुत मज़ा आएगा। ध्यान रखें सूरज की सीधी रोशनी उसके
चेहरे पर न पड़े।
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शिशु
को लिटा दें और उसके सर की ओर से इस प्रकार बुलबुले
उड़ाएँ कि वे उसके शरीर पर गिरें। वह उन्हें पकड़ने के
लिये हाथ पैर चलाएगा। इससे उसके हाथ पैर की
मांसपेशियाँ मजबूत होंगी। हो सकता है उसे इस खेल में
बहुत मज़ा आए और वह खिलखिलाकर हँसे।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
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