| कहानी
                    संग्रहपिछले बारह वर्षो में ब्रिटिश भारतीय कथाकारों द्वारा
                    लिखे नौ कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं। अन्य कथाकारों
                    में जिनकी कहानी की पुस्तकें अभी अप्रकाशित हैं वे है
                    प्राण शर्मा, तोषी अमृता, पद्मेश गुप्त, उषा वर्मा,
                    प्रतिभा डावर, सलमा जै़दी, गुलशन खन्ना, शशी
                    कुमार आदि।
 दिव्या माथुर
                    के कहानी संग्रह 'आक्रोश' में लेखिका ने नौ
                    कहानियों के अतिरिक्त कुछ गद्य के अंश जैसे संस्मरण और
                    यात्रा विवरण भी समेटे है। दिव्या जी एक झटके में
                    कहानी लिख जाती हैं अतः उनके लेखन में कहीं भी कथ्य
                    या भाषा का आडंबर नहीं हैं। कहानियों में एक तरफ़
                    औरत की परजीवता और यथा स्थिति का यथार्थ है तो
                    दूसरी तरफ संस्कारजनित वेदनाएं। वे अपने पात्रों के दुःख
                    को लिखते समय स्वयं उस दुःख को जीने लगती हैं। उषा राजे
                    सक्सेना के दो कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं।'प्रवास
                    में' और 'वाकिंग पार्टनर'। प्रवास में की कहानियां
                    सात समंदर पार बसे भारतीय जनजीवन की
                    मर्मस्पर्शी गाथाएं हैं। इन कहानियों में लेखिका ने
                    अपनी संवेदनात्मक ऊर्जा को नए किस्म का रचनात्मक
                    आयाम दिया है। 'वाकिंग पार्टनर' में लेखिका ने
                    आधुनिक यूरोपीय समाज के अंतर्विरोधों और
                    खूबियों पर दृष्टि डाली है। मानवीय रिश्तों और
                    मानवीय संवेदनाओं से भरपूर ये कहानियां लंदन
                    के उनके साक्षात अनुभवों को प्रतिबिम्बित करती है। इन
                    कहानियों में की सामाजिक व मानवीय वास्तविकताओं
                    का पुख्ता परिचय मिलता है।  शैल
                    अग्रवाल 'ध्रुवतारा' की इन कहानियों में
                    चरित्रचित्रण और भाषा पर लेखिका की पकड़ अच्छी दिखती है।
                    विदेश में रहने वाले आम भारतीय का दर्द, रिश्तों की
                    विसंगतियां और भावनाओं की गहराई जैसे
                    मानवीय पक्ष शैल जी की कहानियों की विशेषताएं हैं। कुल
                    मिला कर कहानियां मनोरंजक और पठनीय हैं। कादंबरी
                    मेहरा 'कुछ जग की' कहानियां नॉस्टैल्जिक होते हुए
                    भी यथार्थबोध से भरपूर हैं। कादंबरी की कथावस्तु
                    और भाषा पर पकड़ अच्छी है। वे गहरीसे गहरी टैबू
                    वाले विषय को भी बड़ी सहजता और बेबाकी से सरल
                    व्यंग्यात्मक हास्य के साथ लिख जाती है। इनमें से कुछ
                    कहानियां उनकी मूल भारतीय दृष्टि और ब्रिटिश सामाज
                    के साथ उनके वास्तविक अनुभव के प्रमाण है। तेजेन्द्र
                    शर्मा सहजसरल भाषा और शैली में लिखी 'देह
                    की कीमत' की अधिकतर कहानियां रोचक और मनोरंजक
                    होने के साथसाथ मर्मस्पर्शी भी है। कहानियों के
                    कथ्य में विविधता होने के कारण कई कहानियां नवीन
                    लगती है। 'ढिबरी टाइट' और 'काला सागर' तेजेन्द्र जी के
                    अन्य कहानी संग्रह है जो इंग्लैंड आने से पूर्व लिखे
                    गए थे।  महेन्द्र दवेसर
                    'दीपक' 'पहले कहा होता' लेखक महेन्द्र दवेसर 'दीपक के
                    परिपक्व दृष्टि का प्रमाण है। अधिकांश रचनाओं में दीपक
                    जी की सृजन चेतना रहरह कर अपनी जड़ो की ओर
                    लौटती हैं। पीछे छूटे हुए झरोखे और उनसे आते हुए हवा
                    के मीठे झोंके इन कहानियों की जान है। यह कहानी
                    संकलन भ्रष्टाचार और हिन्दू धर्म के वहमों और उनके
                    स्वार्थी पालनकर्ताओं पर करारा व्यंग्य है। के सी
                    मोहन के कहानी संग्रह 'कथा परदेस' की कथाएं
                    प्रवासी भारतीयों के जनजीवन की उथलपुथल
                    और विसंगतियों को चित्रित करती हैं। संस्कृतियों का
                    समन्वय करतेकरते लेखक की सहानुभूति ब्रिटिश
                    परिवेश की ओर झुकती दिखाई देती हैं। कई कहानियों के
                    कथावस्तु में एक अच्छे उपन्यास की संभावना भी दिखाई
                    पड़ती है। पुस्तक की भाषा सहज और सरल है। गौतम
                    सचदेव 'सच्चा झूठ्र' गौतम जी के बीस व्यंग्य
                    निबंधों का संग्रह है। गौतम जी व्यंग्य को दोधारी
                    तलवार मानते है। इन कहानियों में घटना और संवाद
                    कम है परंतु विश्लेषण अधिक है। ये कहानियां एक
                    विशिष्ठ शैली में लिखी गई है जो मनोरंजक तो हैं
                    ही पर तीखी और धारदार भी हैं। कहानी
                    संकलन अभी तक ब्रिटेन से हिन्दी के दो कहानी संकलन ब्रिटिश
                    भारतीय लेखको के संपादन में आए हैं।
 'मिट्टी की
                    सुगंध' उषा राजे सक्सेना के संपादन में 1999 में
                    प्रकाशित एक ऐसा महत्वपूर्ण कहानी संकलन है जिसने
                    पहली बार न केवल ब्रिटेन के कहानीकारों को मंच
                    दिया वरन हिन्दी साहित्य जगत में प्रतिष्ठित किया है। इस
                    पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि इसमें
                    संकलित कहानियों को देशविदेश में निकलने
                    वाली अन्य पत्रिकाओं और किताबों ने पुनः अपने
                    संकलनों में चयनित कर के प्रकाशित किया।  'सांझी
                    कथायात्रा उषा वर्मा के संपादन में 2003 में प्रकाशित
                    यह संकलन इस माइने में
                    महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है कि इसने हिन्दी और उर्दू के
                    आधेआधे दर्जन कथाकारों को एक मंच पर आसीन
                    किया है। इसमें कई कहानियां बहुसरोकारीय हैं जो
                    ब्रिटेन के जनजीवन का चित्रण बेबाकी से करती हैं। 
 उपन्यास
 ब्रिटेन हिन्दी के जिन तीन
                    उपन्यासकारों ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा
                    प्रदर्शित की है वे हैं विजया मायर, प्रतिभा डावर और
                    भारतेंदु विमल। इनके द्वारा चार उपन्यास लिखे गए हैं।
 
 विजया मायर का उपन्यास 'रिश्तों का बंधन' अमरदीप
                    नामक पत्र में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ था। वह
                    पुस्तक के रूप में छपा या नहीं यह नहीं पता चल सका।
 
 प्रतिभा डावर के दो उपन्यास 'वो मेरा चांद' और 'दो
                    चम्मच चीनी के' पिछले तीन वर्षो में क्रमशः
                    राजकमल और साउथ लंडन विमेन गिल्ड ऑफ़ हिन्दी
                    राइटर द्वारा प्रकाशित हुए है। सहजसरल भाषा में लिखे
                    प्रतिभा डावर के हृदयग्राही उपन्यास प्रभावशाली रोचक
                    और जनप्रिय साबित हुए हैं। समाज के विभिन्न पक्षों
                    को उजागर करते ये उपन्यास एक संपूर्ण विश्व का
                    निर्माण करती हैं जो अपने आप में एक अच्छे उपन्यासकार
                    की पूंजी है।
 भारतेंदु
                    विमल का उपन्यास 'सोन मछली' 2003 में वाणी
                    प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। विमल जी का लेखन
                    भारत में ही आरम्भ हो चुका था अतः उसमें एक खास तरह
                    की परिपक्वता और विस्तार है। 'सोन मछली' बम्बई के
                    बारकन्याओं पर आधारित एक अच्छी और पठनीय कृति है।
                    उपन्यास की भाषा स्तरीय है, विषयवस्तु रोचक और
                    हृदयग्राही है। 
 अनुवाद
 ब्रिटेन में स्वास विश्वविद्यालय के आचार्य डा रूपर्ट
                    स्नेल ने डा हरिवंश राय बच्चन की जीवनी का
                    अंग्रेज़ी में संक्षिप्त अनुवाद किया है। डा स्नेल ने
                    काव्यानुवाद के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण और
                    उल्लेखनीय कार्य किए है। कैम्ब्रिज की यूटा ऑस्टिन जी
                    ने डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव जी के कविताओं का अनुवाद
                    'अनदर साइलेंस' के नाम से कुछ ही वर्षों पूर्व किया।
                    उन्होने अभी हाल ही में ब्रिटेन के लेखकों की
                    कहानियों का अंग्रेजी अनुवाद भी किया है किन्तु प्रकाशक
                    न मिल पाने के कारण वह अभी तक प्रकाशित नहीं हो पाया
                    है। हिन्दी़ उर्दू संस्कृत और फ़ारसी के ज्ञाता सलमान
                    आसिफ़ भी अनुवाद के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने
                    दिव्या माथुर के रचनाओं का अंंग्रेजी अनुवाद किया है
                    जो आज के अनुवाद के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क़दम है।
 नाटक
                     ब्रिटेन में नाटक के क्षेत्र में दो नाम विशेषरूप से
                    उल्लेखनीय हैं। डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव और अचला शर्मा।
                    इसके अतिरिक्त हाल ही में परवेज़ आलम ने 'सफ़र' और
                    तेजेन्द्र शर्मा ने 'हनीमून' नाटक का मंचन कर नाटक
                    विधा को समृद्ध किया है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
                    के भूतपूर्व प्राध्यापक डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव के नाटक 'क्रांतिकारी
                    ऊधम सिंह', 'बेगम समरू', 'अनडिक्लेयर्ड मिस वर्ल्ड'
                    नाटक के क्षेत्र में उल्लेखनीय साहित्यिक कृतियां है। बी
                    बी सी के हिन्दी विभाग की अध्यक्षा अचला शर्मा ने दस
                    सशक्त रेडियो नाटकों के दो संग्रह 'पासपोर्ट और
                    'जडे़' पिछले दिनों प्रकाशित किए। ये नाटक कथ्य और
                    भाव की दृष्टि से समृद्ध है और ब्रिटेन के वर्तमान
                    आप्रवासी भारतीय सामाजिक परिवेश को बेलौंस
                    उभारते हैं। इसके अतिरिक्त हास्य व्यंग्य के क्षेत्र में
                    के के श्रीवास्तव जी का नाम महत्वपूर्ण है। चुटकले
                    (हास्य से भरे संवाद) भी नाटक की ही एक विधा में
                    आते हैं। 'पुरवाई्र' में प्रकाशित के के श्रीवास्तव के
                    मौलिक और मनोरंजक चुटकलों का स्तंभ पाठकों द्वारा
                    खूब पसंद किया जा रहा है। अतः उसका भी उल्लेख करना
                    यहां आवश्यक है।
 
 आलेख और
                    निबंध
 गद्य की इस विधा में काम करने वालों में डा सत्येन्द्र
                    श्रीवास्तव, नरेश भारती, गौतम सचदेव, प्राण शर्मा,
                    उषा राजे सक्सेना, शैल अग्रवाल, यूटा ऑस्टिन,
                    पद्मेश गुप्त और वीरेन्द्र संधु का नाम प्रमुख रूप से
                    आता है।
 
 नरेश भारती जी की पिछले तीन वर्षों में तीन
                    महत्वपूर्ण पुस्तके 'टेम्स के तट से' (सामाजिक और
                    राजनीतिक विषयों पर निबंध) 'सिमट गई धरती' (संस्मरणात्मक
                    आत्म कथ्य) 'उस पार इस पार' (बदलते परिवेश पर सहज
                    मंथन) प्रकाशित हो चुकी है।
 डासत्येन्द्र श्रीवास्तव जी
                    सदा से काव्य के साथ गद्य भी लिखते रहे हैं उनकी पुस्तक
                    'टेम्स में बहती गंगा की धारा' में उनके निबंध भी
                    संग्रहीत है जो ब्रिटिशभारतीय जनजीवन का
                    प्रामाणिक दस्तावेज़ है तथा 'कंधों पर इंद्रधनुष' में
                    उनके यात्रा वृतांत संकलित हैं।
 
 गौतम जी समीक्षा और आलोचना के क्षेत्र में जाने
                    जाते हैं। अभी हाल ही में उनका व्यंग्य संग्रह
                    'सच्चाझूठ' प्रकाशित हुआ है जिसमें उन्होंने
                    सामाजिक, राजनीतिक, समकालीन यथार्थ पर
                    व्यंग्यात्मक प्रतिक्रियाएं दी हैं।
 
 प्राण शर्मा का पुरवाई में छपनेवाला स्तंभ 'खेल
                    निराले हैं दुनियां में' छोटीछोटी व्यंग्यात्मक
                    धारदार कथाओं को समेटे हुए होता है। उनका 'उर्दू
                    ग़ज़ल बनाम हिन्दी ग़ज़ल' नामक आलोचनात्मक
                    निबंध स्तंभ के रूप में 'पुरवाई' में पिछले कई अंकों
                    में निकलता रहा है जिसे पढ़ कर कई उभरते ग़ज़लकारों
                    ने अपनी ग़ज़लें संवारी हैं। 'उर्दू ग़ज़ल बनाम
                    हिन्दी ग़ज़ल' निबंधों का संग्रह इस समय
                    प्रकाशाधीन है।
 उषा राजे
                    सक्सेना के हिन्दी साहित्य से संबंधित विभिन्न
                    विषयों पर आलेख और ललित निबंध अभी तक
                    पत्रपत्रिकाओं में छपते रहे हैं जिनका संग्रह
                    प्रकाशाधीन हैं।  राकेश माथुर
                    'पुरवाई' में फ़िल्मों की समीक्षा के लिए जाने जाते
                    हैं। 
 शैल अग्रवाल ब्रिटेन की एक ऐसी साहित्यकार है जिसकी
                    'लंदन पाती' वेबसाइट 'अभिव्यक्ति' पर स्तंभ के रूप में
                    निरंतर प्रकाशित होती रहती है। उनकी शैली और कथ्य,
                    दोनो ही सरस हैं।
 उषा वर्मा
                    'पुरवाई' में पुस्तकों की समीक्षा संभालती हैं। युटा ऑस्टिन
                    की पुस्तक 'हिन्दी आखिर क्यूं' अत्यंत महत्वपूर्ण और
                    उल्लेखनीय है। इस पुस्तक में उन्होंने बड़ी बेबाकी से
                    हिन्दी की स्थिति पर विचार करते हुए हिन्दी भाषियों के
                    उथली मानसिकता पर प्रहार किया है साथ ही अंग्रेज़ी की
                    उपनिवेशवादी मानसिकता को भी अच्छी ख़ासी झाड़ बताई
                    है। 
 श्रीमती वीरेन्द्र संधु ने 'युगदृष्टा भगत सिंह और
                    उनके मृत्युजंय पुरखे' पर संस्मणात्मक पुस्तक लिख कर
                    ब्रिटिश भारतीय हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है।
 डा निखिल
                    कौशिक जी ने अभी हाल ही में एक अद्भुत पुस्तक पेश की
                    है जिसका नाम है, 'झाड़ूनाथ बुहारीमैया कर्म कथा'। 
 रमेश वैश्य मुरादाबादी की एक पुस्तक 'विलायत में
                    भारतीय संस्थाएं' नाम से प्रकाश में आई है जिसमें
                    ब्रिटेन की सभी छोटीबड़ी धार्मिक और सामाजिक
                    संस्थाओं की सूची है।
 इस तरह देखें
                    तो ब्रिटेन के लेखक गद्यसाहित्य की भिन्नभिन्न
                    विधाओं में भी सराहनीय कार्य कर रहे हैं। 
 काव्य
                    साहित्य पिछले छः वर्षो में ब्रिटेन से निकलने वाली एक मात्र
                    हिन्दी की पत्रिका 'पुरवाई्र' द्वारा कम से कम 50 छोटेबड़े
                    कवि प्रकाश में आए हैं जिनमें से लगभग बीस
                    कवियों की एक या एक से अधिक काव्यसंग्रह छप चुके
                    हैं। इनमें से दोतीन कवि ही ऐसे हैं जिन्होंने
                    पहले ही भारत की पत्र पत्रिकाओं में अपनी पहचान बना ली
                    थी अन्यथा अधिकांश कवियों ने अपनी पहचान
                    'पुरवाई' के द्वारा ही बनाई है। कवियों की लंबी
                    जमात गीत, ग़ज़ल, छंद, दोहे मुक्तछंद आदि
                    विविधवणी शैली में भिन्नभिन्न विषयों पर
                    निष्ठा, गंभीरता और बेबाक इमानदारी 
					के साथ लिख
                    रही हैं जिसमें रसराग, चिंता, चुनौती, ललकार,
                    पीड़ा, हास्यव्यंग्य आदि सभी विषय पर सशक्त
                    कविताएं मिल जाएंगी।
 
 स्वर्गीय रमा भार्गव की पुस्तकें आज भी ब्रिटेन की
                    लाइब्रेरी में पढ़ने को मिल जाती है। रमाजी की छंद
                    और मुक्त छंद की रचनाएं एक अपराजिता की रचनाएं है।
                    उन्होंने जीवन में न जाने कितने दुःख सहे परंतु कभी
                    हार नहीं मानी। जीवन के प्रति आस्था उनके कविताओं के
                    प्राण है। प्रकाशित कृतियां 'प्रवास की प्रतिछाया'1985,
                    'अनावृति' 1991, 'एक चरण अपराजित' 1993।
 
 डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव श्रीवास्तव जी ने अपने
                    संग्रहों में विभिन्न प्रकार की रचनाएं प्रस्तुत की हैं।
                    उनकी रचनाओं में राग की सघन अनुभूतियों के साथ
                    दो समसामायिक संस्कृतियों से मुठभेड़ करती हुई
                    द्वंद्व की काव्यानुभूति है। प्रकाशित कृतियां 'जलतरंग',
                    'एक किरण एक फूल', 'स्थिर यात्राएं', 'मिसेज जोन्स
                    और उनकी गली', 'सतह की गहराई', 'टेम्स में बहती
                    गंगा की धार' 1997 'कुछ कहता है यह समय' 2000 आदि।
 
 गौतम सचदेव सचदेव जी ने आत्म साक्षात्कार के
                    माध्यम से अपने समसामायिक यथार्थ को जानने और
                    उस पर बेलाग टिप्पणियां करने का प्रयास किया है अपनी
                    कविताओं में। उनमें अगर एक ओर व्यंग्य, विचार
                    और अनुभूति का संगम है तो दूसरी ओर ध्वन्यात्मकता
                    तथा सहज चित्रात्मकता है। प्रकाशित कृतियां 'अधर का
                    पुल', 'एक और आत्मसमर्पण'।
 
 मोहन राणा मोहन जी की कविताओं का अपना एक अलग
                    स्वर है। उनकी कविताओं में समकालीन जीवन के
                    संवाद और समकालीन मन के अवसाद के साथ नई
                    अनगूंजें भी सुनाई देती हैं। प्रकाशित कृतियां
                    'जगह' 1994 'जैसे जनम कोई दरवाज़ा' 1997 'सुबह की
                    डाक' 2002 तथा 'इस छोर पर' 2003। 'इधर की कविता' 1991
                    आदि।
 
 स्वर्गीय जयंती प्रसाद अग्रवाल जयंती प्रसाद
                    अग्रवाल के पांचवे दशक के छंदबद्ध गीत अपने समय का
                    प्रतिनिधित्व करते हैं। डा जयंती प्रसाद अग्रवाल जी
                    के मधुर नॉस्टैलजिक प्रणय गीत पढ़ने के बाद देर तक
                    मन मस्तिष्क में गूंजते रहते हैं। प्रकाशित कृति 'कौन
                    तुम! मेरे हृदय में' 1995।
 
 कृष्णा अनुराधा कृष्णा जी की कविताओं का अंतस,
                    उनके अंतमन का आवेग, उद्वेग, आल्हाद, उत्सव और
                    रागरंग है। कई गीतों के बोल सुदर और कर्णप्रिय
                    है। कथ्य में वे नारीमन की सूक्ष्म अनुभूतियों को
                    अभिव्यक्ति करती है। प्रकाशित कृति 'अर्चन दीप' 1995।
 
 दिव्या माथुर छंद और मुक्त छंद दोनों में लिखती हैं।
                    वे एक संवेदनशील ऐसी कवियित्री हैं जिनके कविताओं
                    का राग कहीं मानव जीवन की सारहीनता है तो कहीं
                    मानव जीवन की असीम संभावनाएं है। दिव्या जी
                    सुखदुःख और हर्षउल्लास और गहन चिंतन की कवियित्री
                    हैं। प्रकाशित कृतियां 'अंतः सलिला' 1993, 'रेत का
                    लिखा' 1995, 'खयाल तेरा' 1998, '11 सितंबर सपनों
                    के राख तले' 2002 आदि।
 
 उषा राजे सक्सेना जिस सहजता से मुक्त छंद की कविताएं
                    लिखती हैं वे उसी सहजता से गीत और गज़ल भी लिखती
                    हैं। उनकी सशक्त रचनाओं में आज के मानवीय
                    सरोकारों के प्रति चिंतन तथा आंतरिक दाहकता के साथ
                    उष्मा भी मौजूद है। प्रकाशित कृतियां 'इंद्रधनुंष की
                    तलाश में' 1995, 'विश्वास की रजत सीपियां' 1966।
 
 पद्मेश गुप्त जी की रचनाएं भावोन्मत, मर्मस्पर्शी
                    होने के साथ पाठक से बातें करती हुई प्रतीत होती हैं।
                    इन रचनाओं में विविधता है, उन्मेष है और
                    आशापूर्ण दिशा संकेत भी है। प्रकाशित कृतियां 'आकृति'
                    1993, 'सागर का पक्षी (पंछी)'
                    2000।
 
 निखिल कौशिक की सोंच आम आदमी के मन की छुअन है।
                    यही साधारण सी बात यानी मानवीय सरोकार उनकी
                    रचनाओं को कविता जगत में एक विशेष स्थान देती है।
                    वे अपनी कविताओं के माध्यम से पाठक से बातें करते
                    हैं। प्रकाशित कृतियां 'तुम लंदन आना चाहते हो'
                    1987, 'खड़ा होता नहीं कोई अपने आप' 2000।
 
 डा कृष्ण कुमार जी की रचनाएं उनके दार्शनिक सोच की
                    उपज है। जीवनमृत्यु़ जीवन की क्षणभंगुरता, दर्द,
                    टूटन, प्रवास की पीड़ा और दिनोंदिन मनुष्यता का
                    क्षय होते जाना उनके
                    लयात्मक कविताओं के कथ्य है। प्रकाशित कृतियां 'मैं
                    अभी मरा नहीं' 1999, 'चिंतन बना लेखनी मेरी़' 2003।
 
 उषा वर्मा एक ऐसी संवेदनशील कवियित्री हैं जो
                    समकालीन घटनाओं पर नज़र रखती हुई कटु सत्य और
                    कठोर यथार्थ से जूझती हैं। उषा जी की कविताओं में
                    लय है, प्रवाह है। प्रकाशित कृति 'क्षितिज अधूरे' 1999
                    (द्विभाषीय पुस्तक)
 
 श्यामा कुमार की रचनाओं में समाज के सैकड़ों
                    चेहरे बिम्बित है। नारी कहीं भी हो बंदिनी है, त्रसित
                    है। इन कविताओं में श्यामा ढेरों प्रश्न उठाती हैं।
                    प्रकाशित कृति 'खुले घर के बंद दरवाज़े'
 
 प्रियंवदा देवी मिश्रा की कविताओं में सीधा छायावाद
                    का प्रभाव दिखता है। कवियित्री अपने भावों को शब्दों
                    में लय के साथ बांधा हैं। कविताओं में गेयता एवं
                    लालित्य है। प्रकाशित कृति 'अनुभूतियां'
 
 रमेश पटेल गुजराती भाषा के कवि है उन्होंने हिन्दी
                    में इन गीतों को लिख कर हिन्दी भाषा को पुष्पांजलि
                    अर्पित की है। प्रकाशित कृति 'गीत मंजरी'।
 
 रमेश वैश्य मुरादाबादी हिन्दी यानी देवनागरी में
                    लिखते हैं किन्तु उनका शब्द चयन उर्दू का है। प्रकाशित कृति
                    'कविता संग्रह'।
 
 राजश्री गुप्ता की कविताएं हास्य और व्यंग्य की है। भाषा
                    सहजसरल और हरियानवी सी लगती है। प्रकाशित कृति
                    'मुस्कानों की चकाचौंध'।
 
 धर्मपाल शर्मा शर्मा जी की पुस्तक 'धूलि' सामाजिक
                    सराकारों को लयबद्ध ढंग से छंदो में प्रस्तुत करती है।
 
 काव्य संकलन 1997 में प्रकाशित श्री पद्मेश गुप्त जी
                    द्वारा संपादित काव्य संकलन 'दूर बाग में सोंधी मिट्टी'
                    एक प्रतिनिधि संकलन है। इस संकलन ने ब्रिटेन के
                    बिखरेछितरे 25 कवियों को मंच देने का सराहनीय
                    कार्य किया गया है।
 
 गज़ल और गीत ब्रिटेन में हिन्दी गीतग़ज़ल के
                    लिए सोहन राही और प्राण शर्मा प्रसिद्ध है। दोनों ही
                    बड़े फ़नकार हैं।
 
 सोहन राही राही जी की ग़ज़ल और गीतों की
                    तकरीबन एक दर्ज़न पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जिनमें
                    से दो पुस्तके 'सुररेख्रा और हिन्दी में हैं। राही जी
                    मूलतः हर्ष उल्लास, आस्था और राग के कवि हैं किन्तु
                    उनकी ग़ज़लों में नज़ाकत और नफ़ासत
                    प्यारमुहब्बत के साथ विरह की पीड़ा, सामाजिक
                    विषमताओं पर रूदन के साथ सामाजिक कुरीतियों पर
                    प्रहार भी मिलता है।
 
 प्राण शर्मा  प्राण जी एक ऐसे मास्टर ग़ज़लकार हैं
                    जो सिफ ग़ज़ल लिखते ही नहीं हैं, वे ग़ज़लों
                    की समीक्षा करते है, नए ग़ज़लकाराें का उत्साह बढ़ाते
                    हैं। आपकी पुस्तक 'सुराही' हरिवंशराय बच्चन जी की
                    परंपरा को आगे बढाती है। प्राण शर्मा आज की आवाज़
                    को सुनते है वे सामाजिक सरोकार के क्लैसिकल कवि
                    हैं। प्राण जी की इधर की लिखी अधिकांश रचनाएं दुष्यंत
                    जी के ट्रेंड के नज़दीक आती है।
 ग़ज़लों की पुस्तकों में चिरंजीव शर्मा जी की
                    'सोम और सौंदर्य पुस्तक भी उल्लेखनीय कृति है।
                    चिरंजीव शर्मा जी को छंद का ज्ञान है। उनकी रचनाएं
                    हालाबाला और प्याला के माध्यम से लिखी गई
                    इहलोक से संबंधित हैं।
 यूं गजल
                    लेखन में गौतम सचदेव, उषा राजे, तेजेन्द्र शर्मा
                    पद्मेंश गुप्त आदि ने भी अच्छे प्रयोग किए हैं। डा
                    सत्येन्द्र के कई छंदबद्ध गीत जनप्रिय हुए हैं। प्रवासी
                    दिवस महोत्सव के अवसर पर भारत की अनगिनत लघु
                    पत्रिकाओं ने जैसे नया ज्ञानोदय, वागर्थ,
                    साहित्य अमृत, कथाबिंब, कथादेश, सहयोग,
                    प्रवासी संसार, हिन्दी जगत, परिणय संग्रह, समर
                    लोक, अक्षरम तथा समाचार पत्रों ने ब्रिटेन के
                    कवियों, लेखको और साहित्यकारों की विविध
                    रचनाओं को खुले दिल से महत्वपूर्ण स्थान दिया है। 
 भारत के कई
                    साहित्यकारों ने ब्रिटेन के कथाकारों की कहानियों
                    और कविताओं के संकलन निकले हैं जिनमें सूरज
                    प्रकाश जी का 'कथा लंदन', इंद्र पाल जी की 'इंग्लैंड के
                    भारतवंशी', राधाकांत भारती की 'ब्रिटेन के कथाकार'
                    उल्लेखनीय हैं। पंजाब के डा केवल धीर का 'सिगनेचर'
                    ऐसा कविता संग्रह है जिसमें यू के के कवियों की
                    कविताएं अंग्रेज़ी अनुवाद के साथ छपी हैं।  यह कहना
                    अतिशयोक्ति न होगा कि ब्रिटेन का हिन्दी साहित्य भले
                    ही अपनी आरंभिक अवस्था में हो किन्तु उसकी उपलब्धियां
                    स्तरीय है। वस्तुतः ब्रिटेन के साहित्यकार अपने ढंग से
                    गतिशील और बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न है। ब्रिटेन की
                    संस्थाए जो हिन्दी के उन्नयन के लिए कार्य कर रहीं हैं
                    वे स्वैच्छिक अवश्य है परंतु उनके लक्ष्य बहुत ही सधे हुए
                    और हिन्दी के लिए हितकारी व महत्वाकांक्षी हैं। आज हिन्दी
                    लेखन विभिन्न विधाओं में विश्व के कोने कोने
                    में हो रहा है। विश्वभर में फैले ये हिन्दी लेखक सभी
                    केवल भारतीय मूल के नहीं है। ये विदेशी मूल के भी
                    हैं। साथ ही प्रवासी भारतीयों की दूसरी और तीसरी
                    पीढ़ी के परिवार के भी हैं। अतः उनकी रचनाओं में उनके
                    लेखन में उनके अपने देश के लेखन शैली परिवेश,
                    सोच और साहित्य पर पश्चिमी परम्परा का प्रभाव भी है
                    जिसके मूल्यांकन के लिए एक भिन्न पैमाने की आवश्यकता
                    है। साथ ही आवश्यकता है विदेशों में लिखे जा रहे
                    हिन्दी साहित्य को भारत के साहित्य से जोड़ने की, उसे
                    प्रोत्साहित करने की, क्योंकि यही लेखन (लेखक) समय
                    आने पर हिन्दी को विश्व भाषा का रूप देगा। विदेशों
                    में बैठा हिन्दी लेखक, अंग्रेज़ी अथवा अपनी देसी
                    भाषा में न लिख कर हिन्दी में इसलिए लिखता है क्योंकि
                    उसे हिन्दी से प्रेम है। वह हिन्दी साहित्य की अपार संपदा
                    को जानता है, पहचानता है और उसके साथ अपना
                    जुड़ाव चाहता है। 
 ब्रिटेन में बसे हिन्दी साहित्यकार और उनकी कृतियों
                    की सूची
 
 1 डा अचला शर्मा कविता, कहानी, नाटक आदि भारत
                    के प्रमुख पत्रपत्रिकाओं में
 2 डा फ़िरोज़ मुखर्जी हिन्दी में छिटपुट लेखन
                    कहानी मूलतः अंग्रेज़ी उर्दू
 3 डा इरा सक्सेना प्रवास में छिटपुट लेखन कहानी
 4 स्वर्गीय डा ओंकारनाथ श्रीवास्तव वरिष्ठ
                    साहित्यकार
 5 राकेश माथुर छिटपुट रिर्पोटिंग
 6 डा गौतम सचदेव लेखक, कवि, आलोचक,
                    साहित्यकार
 'अधर का पुल' हिन्दी बुक सेन्टर
 'एक और आत्मसमर्पण' साराय प्रकाशन।
 7 डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव साहित्यकार, लेखक, कवि।
                    रचनाएं 'टेम्स में बहती गंगा की धार', 'कुछ कहता है
                    यह समय', 'कंधों पर इंद्रधनुष (सभीसंवाद
                    प्रकाशन मुंबई से प्रकाशित)
 8 डा पद्मेश गुप्त  कवि, कहानीकार संपादक।
                    रचनाएं'दूर बाग़ में सोंधी मिट्टी', 'आकृति' (
                    हिंदी समिति यू के द्वारा प्रकाशित), 'सागर का पंछी' (वाणी
                    प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित)
 9 डा कृष्ण कुमार  कवि। रचनाएं  'मैं अभी मरा
                    नहीं', 'चिंतन बनी लेखनी मेरी' (ज्ञान भारती
                    दिल्ली द्वारा प्रकाशित)
 10 डा निखिल कौशिक कवि। रचनाएं 'तुम लंदन
                    आना चाहते हो' (प्रभात प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित)
                    'खड़ा होता नहीं है अपने आप कोई ' (ज्ञान गंगा
                    दिल्ली द्वारा प्रकाशित)
 11 स्वर्गीयडा जयंती प्रसाद अग्रवाल कवि
 'कौन तुम मेरे, हृदय में' भगवती प्रिंटर्स
                    हाउस मथुरा
 12 श्रीमती कीर्ति चौधरी साहित्यकार, कवि,
                    कहानीकार
 13 श्रीमती उषा राजे सक्सेना  साहित्यकार कवि,
                    कहानीकार, संपादक
 'इन्द्रधनुष की तलाश में', काव्य संग्रह, इंद्रप्रस्थ
                    प्रकाशन
 'विश्वास की रजत सीपियां',काव्यसंग्रह, इंद्रप्रस्थ
                    प्रकाशन
 'मिट्टी की सुगंध'कहानी संकलनराधाकृष्ण प्रकाशन
 'प्रवास में' कहानी संग्रह ज्ञानगंगा प्रकाशन
 'वाकिंग पार्टनर' कहानी संकलन राधाकृष्ण प्रकाशन
 14 श्रीमती उषा वर्मा कवि, कहानीकार
 'क्षितिज अधूरे' काव्य संग्रह बुक्स प्लेस नई
                    दिल्ली
 15 श्रीमती शैल अग्रवाल कहानी, कविता
 कहानी संग्रह ध्रुवतारा अग्रवाल प्रकाशन
 कविता संग्रह  समिधा रेवती प्रकाशन
 16 श्रीमती दिव्या माथुर  कवि, कहानीकार
 'अंतः सलिला' अलीक प्रकाशनकाव्यसंग्रह
 'रेत का लिखा' नटराज प्रकाशनकाव्य संग्रह
 'ख़याल तेरा'हिन्दी बुक सेन्टर काव्य संग्रह
 '11 'सितंबर सपनों के राख तले' काव्य संग्रह
 'आक्रोश' हिन्दी बुक सेन्टर कहानी संग्रह
 17 श्रीमती तोषी अमृता छिटपुट लेखन  कहानी,
                    कविता
 18 श्रीमती कृष्णा अनुराधा
 'अर्चन दीप' काव्य संग्रहनटराज प्रकाशन दिल्ली
 19 श्रीमती पुष्पा भार्गव छिटपुट लेखन कविता
 अंतर्नार्द काव्य संग्रह
 20 श्रीमती प्रियंवदा देवी मिश्रा, कवि
 'अनुभूतियां'प्रकाशकगीतांजलि बहुभाषीय
                    समुदाय
 21श्रीमती स्वर्ण तलवार कविता छिटपुट लेखन
 22 श्रीमती रमा जोशी कविता, लेख छिटपुट लेखन
 23 श्रीमती राजेश्वरी गुप्ता हास्य कविता,
 'मुस्कानों की चकाचौंध प्रिंटलैंड इंडिया2595
                    बस्तीपंजाबीयान सब्ज़ी मंडी दिल्ली 110007
 24 श्रीमती सलमा ज़ैदी  छुटपुट कहानी लेखन
 25 श्यामा कुमार कविता संग्रह
 'खुले घर के बन्द दरवाजे़'मीनाक्षी प्रकाशन नई
                    दिल्ली
 26 श्री सोहन राही 'सुररेखा' सीमांत प्रकाशन
                    दिल्ली। 'माटी जीवन
 जीवन साथी'
 27 श्री तेजेन्द्र शर्मा  'ये क्या हो गया'
                    डायमंड प्रकाशन
 28 श्री भारतेंदु विमल
 'सोन मछली' उपन्यास
 29 श्री प्राण शर्मा
 'सुराही' हिन्दी में सोनांनचल साहित्य
                    सोनभद्र अरूणांचल
 30 श्री मोहन राणा  कवि
 'जगह' जय श्री प्रकाशन
 'जैसे जनम कोई दरवाज़ा' सारांय पब्लीकेशन
                    दिल्ली
 'सुबह की डाक'
 31श्री कैलाय बुधवार लेखन अखबारों में
 32 श्री चमन लाल चमन हिन्दी में स्क्रिप्ट राइटिंग
 छुटपुट कविता हिन्दी में
 33 श्री चिरंजीव शर्मा 'गुमनाम'
 'सोम और सौंदय' प्राइवेट प्रकाशन। काव्य संग्रह
 34 श्री सलमान आसिफ़ अमीर खुसरों के फ़ारसी
                    कलाम का हिन्दी में
 अनुवाद
 36 श्री बृज कियोर गोयल छिटपुट हास्य लेखन
 37 श्री रमेय वैश्य 'दिलफैंक मुरादाबादी'
 कविता संग्रह प्राइवेट
 विलायत में भारतीय संस्थाएं
 38 श्री नरेश अरोरा
 'सिमट गई धरती' प्रवीण प्रकाशन
 'टेम्स के तट से' साहित्य प्रकाशन
 'उसपार इसपार्र साहित्य प्रकाशन
 39 श्रीमती कादम्बरी मेहरा
 'कुछ जग र्की कहानी संग्रह स्टार पब्लीकेशन
 40 रमेश पटेल अधिकांश गुजराती
 गीत मंजरी नमन प्रकाशन मुंबई
 41प्रतिभा डावरउपन्यासकार
 'वो मेरा चांद' उपन्यास राजकमल प्रकाशन दिल्ली
 'दो चम्मच चीनी के' उपन्यास साउथ लंदन वुमन्स
                    हिल्ड ऑफ हिन्दी राइटर्स
 42 स्वर्गीय रमा भार्गव
 'प्रवास की प्रतिछाया' कालेज बुक हाउस जयपुर
 'एक चरण अपराजिता' संगीत कार्यालय हाथरस
 अनावृति लोक भारती प्रकाशन1991 इलाहाबाद
 43 वेद मोहला प्राइमरी हिन्दी शिक्षण छिटपुट
                    लेखन
 44 तितिक्षा याह छिटपुट काव्य लेखन
 45 स्वर्गीय रघुवीर मल्होत्रा 'शाकिर' मूलतः उर्दू
                    हिन्दी ग़ज़ल
 46 जगदीश मित्र कौशल पत्रकार
 46 महेन्द्र वर्मा भाषाविज्ञान
 49 अनुराधा शर्मा  छिटपुट लेखन
 50 स्वर्ण चंदन छिटपुट लेखन
 51 गुलशन खन्ना  कहानी, कविता
 52 शांति चौधरी कवि
 53 शांति गुप्ता छिटपुट कविता लेखन
 54 धर्म पाल शर्मा धूलि 'कविता संग्रह'
 55 कांति वाधवा रिपोर्टिंग
 अंग्रेज़
                    साहित्यकार1 डा रूपर्ट स्नेल कवि साहित्यकार
 2 स्टुअर्ट मैग्रेगर साहित्यकार
 3 यूटा ऑस्टिन अनुवादक
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