| ठीक उसी बीच जब लोग
                    आपस में जुड़ने को आतुर हो रहे थे, 1990 में
                    भारतीय राजदूत डा लक्ष्मीमल्ल सिंघवी और कमला
                    सिंघवी के आगमन एवं संरक्षण से ब्रिटेन के हिन्दी
                    संसार में एक अद्भुत स्वर्णिम युग का आरंभ हुआ।
                    महामहिम सिंघवी जी के घर पर गोष्ठियां आदि होने
                    लगीं जिसमें मात्र भारत के ही नहीं, ब्रिटेन के
                    विभिन्न शहरों के उभरते हुए कवि, लेखक, साहित्यकार
                    आदि भी भाग लेने से प्रकाश में आने लगे। इस दशक
                    में बर्तानियां में रहने वाले भारतवंशियों के हृदय
                    में हिन्दी के प्रति जो प्यार जागा वह प्रवासी हिन्दी
                    साहित्य के इतिहास में सदा अविस्मणीय रहेगा।
                    डासिंघवी ने नेहरू केन्द्र को गतिशील किया,
                    शेक्स्पीयर की जन्म स्थली पर पर गुरूदेव रविन्द्र नाथ
                    टैगोर की मूर्ति की स्थापना की, मैनचेस्टर में डा
                    हरिवंशराय बच्चन के नाम से हिन्दी के चेयर की
                    स्थापना की। उन्होंने हर सभा और हर उत्सव में हिन्दी
                    भाषा और संस्कृति पर सारगर्भित भाषण देकर जनता को
                    प्रेरणा प्रदान की। डालक्ष्मीमल्ल सिंघवी
                    एवं कमला सिंघवी के प्रोत्साहन से ही 'यूके
                    हिन्दी समिति' एक बहुमुखी और गतिशील संस्था के रूप
                    में विकसित हुई। आज यूके हिन्दीसमिति
                    ब्रिटेन की एक बृहत एवं महत्वपूर्ण संस्था है जिसकी
                    स्थापना 1990 में ईस्ट लंदन में श्री प्रेमचंद सूद और
                    उनके साथियों द्वारा की गई थी। पद्मेश गुप्त ने उस
                    समय प्रेमचंद सूद के संरक्षण में 'हिन्दी' नाम से
                    कम्प्यूटर से एक छोटी सी हिन्दी की मासिक पत्रिका प्रकाशित की
                    जो अल्पआयु रही। उसी समय 'लंदन बारो
                    मर्टन' के मुख्य धारा के स्कूलों में
                    'बायलिंगुएलिज़म' पर काम करते हुए मैंने भी
                    स्वतंत्ररूप से साप्ताहांत पर हिन्दी की साहित्यिक और शिक्षण
                    संस्थाओं के साथ कार्य करना आरम्भ किया। इस समय
                    हिन्दी समिति, भारत से आए साहित्यकारों के व्याख्यान
                    और स्थानीय गोष्ठियां आदि करते हुए हिन्दी प्रेमियों
                    को आपस में जोड़ने का कार्य आरम्भ कर चुकी थी। अतः
                    हिन्दी के कार्यक्रमों में लोगों की उपस्थिति बढ़ने
                    लगी थी। 1993 में हिन्दी
                    भाषासाहित्य और संस्कृति के उन्नयन के लिए भारतीय
                    उच्चायोग के सहयोग से 'अहिंसम
                    भारतीयमैंनचेस्टर' संस्था मैनचेस्टर में स्थापित
                    हुई। उसी वर्ष इंडियन एसोसिएशन मैनचेस्टर के
                    कार्यकर्ता डा लता पाठक, राम पाण्डे और डा रंजीत
                    सुमरा ने 2526 सितंबर को दो दिवसीय भव्य
                    अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन आयोजित किया।
                    'अहिंसम भारतीयमैनचेस्टर' के इस कार्यक्रम में
                    डालक्ष्मीमल्ल सिंघवी (तत्कालीन उच्चायुक्त)़ श्रीमती
                    कमला सिंघवी, हिन्दी अधिकारी डा सुरेन्द्र अरोड़ा,
                    मैनचेस्टर के महापौर, लंदन विश्वविद्यालय के हिन्दी के
                    प्राध्यापक डॉ रूपर्ट स्नेल, भारत से आए कवि दिनकर,
                    हसरत जयपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी, पद्मा सचदेव,
                    जर्मनी से आई माग्रेट गात्ज़लाफ़़ हंगरी की मारिया
                    नेज्येत्शी, नार्वे के सुरेशचंद्र शुक्ल आदि ने भाग
                    लिया। 1993 के इस सम्मेलन के आयोजन में
                    'यूके हिन्दी समिति' के हम सभी सदस्यों ने अपना पूरा सहयोग
                    दिया। इस दोदिवसीय हिन्दी के कार्यक्रम में विराट
                    कवि सम्मेलन, भाषा सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम
                    आदि हुए। इसी सम्मेलन में मैंचेस्टर विश्वविद्यालय में
                    डा हरिवंशराय बच्चन के नाम से 'चेयर' की स्थापना
                    हुई। अहिंसम भारती ने 'योरोप में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय
                    हिन्दी सम्मेलन 2526 सितंबर 1993 मैनचेस्टर,
                    इंग्लैण्ड'्र नामक स्मारिका प्रकाशित की, जिसमें डा
                    लक्ष्मीमल्ल सिंघवी जी की लिखा 'हिन्दी हम सब की
                    परिभाषा' नामक बोधगीत इंग्लैण्ड में पहली बार
                    यूके में प्रकाशित हुआ। इस तरह के विराट
                    कविसम्मेलनों और भाषासम्मेलनों जैसे
                    साहित्यिक कार्यक्रमो से यूके वासी उत्फुल हो
                    उठे। यह उनके लिए यह नया अनुभव था पूरी तरह जड़ों
                    की ओर लौटने के लिए। धीरेधीरे भूलेबिसरे
                    हिन्दी प्रेमी, हिन्दी और हिन्दी साहित्य से इस तरह
                    जुड़ने लगे जैसे कि उनकी कोई अवचेतन मन की
                    मुराद पूरी हो गई हो। इस तरह 1993 के अंतर्राष्ट्रीय कवि
                    सम्मेलन की सफलता को देखते हुए यूके हिन्दी
                    समिति के अध्यक्ष डा पद्मेश गुप्त, उपाध्यक्ष उषा राजे,
                    केबीएल सक्सेना एवं ब्रिज गोयल और अन्य
                    हिन्दी प्रेमियों ने मिल कर डा लक्ष्मीमल्ल सिंघवी
                    के संरक्षण और भारतीय दूतावास के सहयोग से
                    प्रतिवर्ष हिन्दीदिवस के अवसर पर यूके हिन्दी
                    समिति के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के
                    आयोजन का सिलसिला एक आंदोलन की तरह हिन्दी
                    भाषियों को आपस में जोड़ने के लिए आरम्भ किया।  
                    1993 से भारत के लब्धप्रतिष्ठ कवियों साहित्यकारों का
                    हर वर्र्ष लंदन अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन के लिए आना
                    प्रारम्भ हो गया और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय कवियों
                    और साहित्यकारों को ब्रिटेन में एक साथ मंच
                    मिलने लगा। हिन्दी भाषी उस देश में खुल कर आपस
                    में हिन्दी बोलने लगे जहां वह पिछले तमाम वर्षों
                    से संकुचित सी थी। यह वह दशक था जब
                    बाज़ारों में भारतीय वस्त्र, गहने, मिठाइयां,
                    सब्जियां, विडियो कैसेट, पुस्तके आदि खुलकर
                    सुपरमार्केट जैसे सार्वजनिक स्थानों में बिकने लगीं। नाटकशालाओं में
                    हिन्दी नाटक, नृत्य, सिनेमा घरों में हिन्दी फिल्में,
                    मंदिरों में भजन कीर्तन, सभाओं में व्याख्यान,
                    गोष्ठियां, कार्यशालाएं, पठनपाठन और शादीब्याह
                    सबकुछ खुल कर भव्य स्तर पर होने लगा। यानी ब्रिटिश
                    भारतीय अपना परिवेश अपनी रूचि के अनुसार ब्रिटेन में
                    बनाने लगे। स्थानीय अंग्रेज जाति के लोग, एशियन
                    लोगों के साथ मिल कर स्वयं भारतीय शैली के
                    बाज़ार और मेले जैसे आयोजन खुले मैदानों और पार्को में
                    आयोजित करने लगे। उन्हीं दिनों कई प्रसिद्ध भारतीय
                    विवाह और संस्कार आदि भी टीवी पर दिखाए गए। हिन्दी भाषा और परिवेश की महत्ता को बताते
                    हुए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा सत्येन्द्र
                    श्रीवास्तव जी ने अपनी पुस्तक 'टेम्स में गंगा की धार'
                    में एक जगह कहा है कि हिन्दी की अपनी कोई मानक
                    भौगौलिक सत्ता नहीं है वह विश्व की भाषा है अर्थात
                    हिन्दीभाषी लोग किसी क्षेत्र विशेष में नहीं रहते
                    जैसे कि गुजराती, पंजाबी, बंगाली। हिन्दी किसी जाति
                    अथवा धर्म विशेष की भाषा नहीं है। यह भारत की
                    सार्वभौमिक भाषा है, राज भाषा है, पूरे देश की
                    भाषा है। भारत की सम्पर्क भाषा है। यह भाषा भारत को
                    अतिक्रमण करती एशिया से होती हुई योरोप को पार करती
                    अमेरिका पहुंचती हुई विश्व की भाषा बन जाती है।
                    जहांजहां भारतीय है यह वहांवहां की भाषा है। वस्तुतः वर्तमान ब्रिटेन में हिन्दी के उन्नयन और प्रचारप्रसार में
                    भारत के भी कई श्रोतो का सहयोग रहा है। ब्रिटेन में
                    हिन्दी के कार्यों का समन्वय विदेश मंत्रालय के हिन्दी
                    विभाग द्वारा किया जाता है। पिछले तेरहचौदह वर्षों
                    से भारत का विदेश मंत्रालय, ब्रिटेन में होने वाले
                    अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में श्रेष्ठ और जनप्रिय
                    कवियों व साहित्यकारों को भेज कर, ब्रिटेन की
                    संस्थाओं का मनोबल बढ़ाते हुए उन्हें सफलता की ओर
                    अग्रसर करता रहा है। उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान,
                    लखनऊ, पिछले सातआठ वर्षों से ब्रिटेन में होने
                    वाले प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक
                    कार्यक्रम में लोकप्रिय गीतकारों और कवियों को
                    ब्रिटेन भेज कर, हिन्दी के प्रचार प्रसार में हमारी
                    सहायता कर रहा है। इस तरह के साहित्यिक कार्यक्रमों द्वारा
                    संस्थान हिन्दी प्रेमी सामान्य जनता के साथ ब्रिटेन की
                    अगली पीढ़ी को भी
                    सक्रिय करने का प्रयास कर रहा हैं। यूके में हिन्दी के
                    उन्नयन के लिए कार्य करती बहुत सी स्वैच्छिक संस्थाए है
                    जो पूरे ब्रिटेन में फैली हुई है। इन सभी संस्थाओं
                    के कार्यक्षेत्र एवं लक्ष्य भिन्न है। आजकल लगभग इन सभी संस्थाओं में परस्पर गहन संबंध
                    एवं वार्तालाप है। इन संस्थाओं के सभी कार्यकर्ता
                    निस्वार्थ भाव से केवल हिन्दीप्रेम से प्रेरित हो कर
                    बड़ी लगन और योजनाबद्ध ढंग से अपने व्यस्त जीवन
                    में से समय निकाल कर बिना किसी सरकारी अनुदान के
                    हिन्दी सेवा का कार्य स्वैच्छिक ढंग से कर रहे है। 
                     आज की तारीख़ में
                    निम्नलिखित संस्थाएं हिन्दी भाषा और साहित्य के
                    लिए प्रतिबद्ध हैं और विश्व के
                    हिन्दी जगत में अपने कार्य और निष्ठा के लिए जानीपहचाने
                    जाती हैं।
                     1भारतीय उच्चायोगभारतीय उच्चायोग आरम्भ से ही भारतीय संस्कृति और
                    हिन्दी के प्रचारप्रसार से जुड़ा रहा है। 70 वें दशक से
                    श्री धर्मेन्द्र गौतम जी के द्वारा भारतीय उच्चायोग में
                    हिन्दी के पठनपाठन के लिए कक्षाएं आयोजित की जाती रही
                    हैं। परंतु हिन्दी के पठनपाठन का यह कार्य 1984 से़ और भी अधिक गतिशील
                    एवं सुनियोजित ढंग से होने लगा, जब भारत से हिन्दी एवं संस्कृत अधिकारियों के आने
                    का सिलसिला जुड़ा। इन हिन्दी
                    अधिकारियों ने ब्रिटेन निवासी भारतीय जनता और
                    हिन्दी के उन्नयन में संलग्न संस्थाओं से संबंध
                    जोड़ कर उन्हें प्रोत्साहित किया। आज जिस स्तर पर हिन्दी
                    का कार्य ब्रिटेन में हो रहा है उसमें न केवल हिन्दी
                    अधिकारियों का सहयोग है बल्कि भारतीय उच्चायुक्त से
                    लेकर संस्कृति समन्वय अधिकारियों तक का योगदान भी
                    होता है।
                    पिछले दोतीन वर्षों से ब्रिटेन में हिन्दीप्रसार
                    के योजनाबद्ध विकास का काफ़ी कुछ श्रेय वर्तमान हिन्दी अधिकारी
                    अनिल जी के दिशा निर्देश और सहयोग का है।
 2भारतीय विद्याभवन,
                    लंदन 1972भारतीय विद्याभवन, भारतीय संस्कृति और हिन्दी भाषा
                    को ब्रिटेन में अक्षुण रखनेवाली सबसे पुरानी और
                    प्रख्यात संस्था है। यह संस्था भारत सरकार से
                    संबंधित होते हुए भी अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व रखती है और
                    भारतीय विद्याभवन के भूतपूर्व निदेशक डॉ माथुर,
                    कृष्णामूर्ति और वर्तमान निदेशक डॉ नन्दकुमार के
                    निर्देश में पिछले 33 वर्षों से निरंतर भारतीय संस्कृति
                    एवं भाषा के उन्नयन का कार्य कर रही है। भारतीय
                    विद्याभवन में अन्य भारतीय भाषाओं के साथ हिन्दी की
                    कक्षाएं लगती है। यह संस्था हिन्दी भाषा सम्मेलन, कवि
                    गोष्ठी, काव्य सम्मेलन, नाटक, क्लासिकल नृत्य आदि
                    का प्रमुख रूप से मंचन करती है। इस संस्था से भारत के
                    महान विद्वान जुड़े हुए हैं। दुनिया के हर कोने में
                    भारतीय विद्याभवन की शाखाएं होने के साथ ब्रिटेन के
                    अन्य शहरों में भी इसकी शाखाएं हैं। संस्था प्रसिद्ध
                    हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका 'नवनीत' का प्रकाशन नियमित
                    रूप से करती है।
 3नेहरू केन्द्र, लंदन
                    1992नेहरू केन्द्र भारतीय उच्चायोग का ही एक भाग है जिसमें
                    भारतीय संस्कृति की सभी कलाओं को प्रश्रय दिया जाता
                    है। यह केन्द्र भारतीय एवं ब्रिटिश संस्कृति के बीच पुल
                    बनाता है। नेहरू केन्द्र नाटक, नृत्य, संगीत,
                    भाषासाहित्य सम्मेलन, कला एवं पुस्तक प्रदर्शनी
                    आदि का उत्कृष्ट आयोजन करता है। यह एक ऐसा बहुभाषीय
                    केन्द्र है जिसके पुस्तकालय में आपको संसार की हर संस्कृति
                    पर प्रमाणिक पुस्तकें एवं पत्रपत्रिकाएं मिल जाएंगी।
 4यूके हिन्दी
                    समिति,़
                    लंदन 1992यू के हिन्दी समिति ब्रिटेन की एक ऐसी बृहत
                    स्वैच्छिक संस्था है जो अपने सदस्यों एवं साथियों के
                    सहयोग से हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए यूके में
                    एक मात्र हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका 'पुरवाई' का प्रकाशन
                    करते हुए विश्व भर के साहित्यकारों लेखकों एवं
                    कवियों को मंच देती है। यह संस्था वर्ष में एक बार हिन्दी दिवस
                    के उपलक्ष्य में आईसीसीआर और हिन्दी
                    संस्थान लखनऊ के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय कवि
                    सम्मेलन, भाषा सम्मेलन जैसे आयोजन लंदन तथा ब्रिटेन के अन्य शहरों में
                    अन्य संस्थाओं
                    के सहयोग से आयोजित करती है। 1999 में हिन्दी समिति ने
                    ब्रिटेन की अन्य संस्थाओं के साथ मिल कर लंदन
                    विश्वविद्यालय के प्रांगण में 1418 सितंबर को 'छठा
                    विश्व हिन्दी सम्मेलन' आयोजित किया जिसमें भारत
                    एवं देशविदेश के लगभग साढे चार सौ विद्वानों
                    ने भाग लिया था।
 हिन्दी समिति का विशेष
                    लक्ष्य है दूसरी और तीसरी पीढ़ी के युवा और बच्चों के
                    अंदर हिन्दी के प्रति रूचि जगाना। इसके लिए हिन्दी समिति
                    ने एक महत्वकांक्षी योजना 'हिन्दी परामर्श मंण्डल' के
                    अंतर्गत तैयार की। हिन्दी परामर्श मंण्डल ने इंग्लैण्ड़,
                    स्कॉटलैण्ड़, वेल्स और आयरलैण्ड के तमाम छोटेबडे़
                    हिन्दी शिक्षण केंद्रों की नेटवर्किंग कर के ब्रिटेन में
                    'योरोपियन हिन्दी शिक्षक सम्मेलन' आयोजित किया।
                    इस तरह हिन्दी समिति ने बच्चों को हिन्दी पठनपाठन की
                    ओर प्रेरित करने के लिए हिन्दी शिक्षण केन्द्रों को एक सूत्र
                    में पिरोया, हिन्दी शिक्षण योजना की ठोस
                    नींव डाली साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर 'हिन्दी ज्ञान
                    प्रतियोगिता' की योजना भी बनाई। अब तक
                    ब्रिटेन में दो हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिताएं हो चुकी है।
                    इन प्रतियोगिताओं में पिछले वर्ष, यानी 2002 में लगभग 500 बच्चों ने
                    भाग लिया था जिसमें पहले नौ सफल विद्यार्थियों
                    को पुरस्कार स्वरूप हिन्दी ज्ञान वर्धन को ध्यान में
                    रखते हुए भारत भ्रमण तथा भारत दर्शन के लिए हवाई यात्रा
                    का टिकट दिया गया था। समयसमय पर अन्य
                    'चैरिटेबुल' कार्य करते हुए हिन्दी समिति ब्रिटेन के
                    लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए यूके में
                    हिन्दी साहित्यिक लेखन की 'पांडुलिपिप्रतियोगिता' कर
                    उसके विजेता की पुस्तक को प्रकाशित कर उसका लोकार्पण
                    तथा चर्चा किसी विशिष्ठ साहित्यकार से कराती है। समिति
                    अपने 'हिन्दी परामर्श मंडल' (गठन2001) के सहयोग
                    से हिन्दी के उन्नयन के लिए उच्चकोटि के सेमिनार आदि
                    संयोजित करती है, अपने वार्षिक उत्सव में
                    भारत तथा यूके के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दूतों
                    को चयनित कर उनको सम्मानित करती है तथा ब्रिटेन
                    की अन्य सभी हिन्दीसेवी संस्थाओं को उनके कार्यक्षेत्र
                    में सहयोग देती है। इन सबके अतिरिक्त हिन्दी समिति
                    हिन्दी के प्रचारप्रसार के लिए नाटक प्रर्दशन, कंप्यूटर
                    कार्यशाला, पुस्तक प्रदर्शनी, पांडुलिपि प्रतियोगिता,
                    पुस्तक प्रकाशन आदि के क्षेत्र में भी कार्य करती है। हिन्दी के प्रचारप्रसार को
                    ध्यान में रखते हुए संस्था के कार्यक्रमो को निःशुल्क
                    रखा गया है। हिन्दी समिति के कर्मठ
                    कार्यकर्ताओ में श्री पद्मेश गुप्त, उषा राजे,
                    केबीएल सक्सेना, बृज गोयल और दिव्या माथुर
                    के नाम प्रमुख हैं। 5गीतांजलि बहुभाषीय
                    समुदाय बरमिंघम 1995गीतांजलि
                    बहुभाषीय समुदाय का क्षेत्र विस्तृत है। यह संस्था
                    प्रतिमाह एक काव्यगोष्ठी करती है जो बहुभाषीय होती है।
                    इसमें अधिकांश बहुभाषीय रचनाएं हिन्दी अनुवाद के
                    साथ पढ़ी जाती हैं। विशेष बात यह है कि कवि गोष्ठी
                    में स्थानीय नई पीढ़ी यानी बच्चे भी मातृभाषा में
                    काव्यपाठ के लिए आते है। इस संस्था ने अपने समुदाय
                    के सदस्यों की रचनाओं को छोटीछोटी पुस्तकों में
                    संकलित किया है। संस्था
                    यूके हिन्दी समिति के साथ वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय
                    कवि सम्मेलन का आयोजन करती है, राष्ट्रीय
                    बहुभाषीय कवि सम्मेलन भी करती है, साथ ही
                    समयसमय पर भाषा सम्मेलन और वर्कशाप आदि भी
                    कराती है। इस संस्था के संचालकों में डा कृष्ण कुमार,
                    चित्रा कृमार और प्रफुल्ल पटेल आदि प्रमुख हैं।
 6कलाज्योति,
                    नॉर्थलंदन 1995 कलाज्योति भारतीय संस्कृति एवं
                    हिन्दी भाषा को कवि सम्मेलनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों
                    द्वारा जनसाधारण तक पहुंचाने और उन्हें हिन्दीभाषा
                    के मंच से जोड़ने के लिए हिन्दी नाटक, कवितापाठ,
                    अंताक्षरी, नृत्यसंगीत तथा त्योहारों के भव्य उत्सव
                    आदि साांस्कृतिक आयोजन करती है। इस संस्था की
                    कार्यकर्ता हैं श्रीमती पुष्पा भार्गव, अहिल्या तथा मंजू
                    सक्सेना आदि।
 7कॉवेन्ट्री लाइब्रेरी
                    1995कॉवेन्ट्री में मेहरू फ्रिटर जी प्रति माह नियमित रूप से
                    लगातार पिछले आठ वर्षों एक बहुभाषीय गोष्ठी
                    कॉवेन्ट्री के पुस्तकालय में करती आ रही है जिसमें कवि
                    और शायर के अतिरिक्त कोई भी काव्य प्रेमी हिन्दी या
                    किसी अन्य भाषा में काव्य पाठ कर सकता है।
 8भारतीय भाषा संगम,
                    यॉर्क1999यह संस्था यूके हिन्दी समिति के साथ वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय
                    कवि संम्मेलन का आयोजन करते हुए समयसमय पर
                    राष्ट्रीय एवं स्थानीय कवि सम्मेलन एवं सेमिनार आदि
                    का आयोजन करती है। 'भारतीय भाषा संगम' एक उभरती
                    हुई गतिशील संस्था है जोे आसपास अधिक हिन्दी
                    भाषी समाज न होने के बावजूद हिन्दी के कार्यक्रमों
                    को बड़ी ही सफलता के साथ अंग्रेज और विदेशी हिन्दी
                    प्रेमियों के साथ आगे बढ़ा रही है। भारतीय भाषा
                    संगम के कार्यकर्ता हैं महेन्द्र वर्मा और उषा वर्मा
                    आदि।
 9हिन्दी भाषा समिति,
                    मैनचेस्टर 2000हिन्दी भाषा समिति प्रतिवर्ष यू के हिन्दी समिति के
                    साथ अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन मैनचेस्टर
                    में करती है। यह संस्था समयसमय पर कवि गोष्ठी
                    एवं राष्ट्रीय कवि सम्मेलन तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमाेंे
                    का आयोजन करते हुए हिन्दी भाषियों को एक झंडे तले
                    एकत्रित करने का दुश्कर कार्य भी करती है। हिन्दी भाषा समिति
                    के कार्यकर्ता हैं डाअंजनि कुमार और श्यामा कुमार
                    आदि।
 10कथा यूके लंदन
                    2000कथा यूके ब्रिटेन के कहानीकारों को आपस में
                    जोड़ती ही नहीं है वरन उन्हें विश्व के हिन्दी जगत में
                    प्रतिष्ठित एवं सम्मानित भी करती है। यह प्रति वर्ष भारत एवं
                    ब्रिटेन की एक उत्कृष्ट साहित्यिक पुस्तक का चयन कर,
                    जून अथवा जुलाई के मध्य उसके लेखक को यूके में सम्मानित
                    करती है। कथायूके भारत के चयनित पुस्तक के लेखक
                    को एयर इंडिया के सौजन्य से हवाई यात्रा का व्यय एवं
                    एक सप्ताह का लंदनआतिथ्य देती है साथ ही उन्हें
                    नेहरूकेन्द्र में स्मृतिचिन्ह, श्रीफल और शाल भेंट कर
                    सम्मानित करती है। यह संस्था मासिक कथा गोष्ठियां
                    करती है जिसमें मूल रूप से ब्रिटेन के दो कथाकार
                    स्वलिखित रचनाएं पढ़ते है। कथावाचन के बाद
                    श्रोताओं के विचार और मत आमंत्रित होते है।
                    कथावाचन की प्रतिक्रियाएं इंटरनेट पर प्रकाशित की जाती
                    है। संस्था कथागोष्ठी पर आधारित एक स्मारिका भी
                    प्रतिवर्ष प्रकाशित करती है जिसमें कथागोष्ठी में पढ़ी गई
                    कहानियों को गोष्ठी में हुई प्रतिक्रियाओं के साथ
                    प्रकाशित किया जाता है। कथा यूके ब्रिटेन में आए
                    हिन्दी के सैलानी कथाकार अतिथियों का भी स्वागत
                    समारोह आदि करती है। कथा यूके की कथा गोष्ठियां
                    यूके के विभिन्न शहरों में भी आयोजित होती
                    रहती हैं। कथा यूके की योजनाओं में कहानियों का
                    मंचन, कहानी कार्यशाला और कहानी प्रतियोगिता
                    आदि भी शामिल है जिसमें युवावर्ग का भी
                    प्रतिनिधित्व होता है। कथा के सारे कार्यक्रम हिन्दी के
                    प्रचारप्रसार को ध्यान में रखते हुए निःशुल्क रखे जाते
                    है। कथा यूके के कार्यकर्ता हैं श्री तेजेन्द्र शर्मा,
                    नयना शर्मा आदि।
 11साउथ लंडन गिल्ड ऑफ़
                    हिन्दी विमेन राइटर्स 2002'साउथ लंडन गिल्ड ऑफ विमेन राइटरस' एक ऐसी संस्था
                    है जिसका उद्देश्य उन (स्थानीय प्रवासी भारतीय)
                    महिलाओं को मंच देना है जिनके पास
                    संवेदनशील हृदय और संघषोर्ें से युक्त अनुभवों
                    का विशाल भंडार है। जो अपने अनुभव को बांटने और
                    वाचक शैली में अभिव्यक्त करने के लिये बेचैन हैं जिनके
                    हृदय में महाकाव्य रच चुके है परंतु उनके पास लेखनी
                    नहीं है शब्दों के भंडार नहीं है। वे मात्र भुक्तभोगी
                    वाचक है। संस्था के सृजनकमी उनके अनुभवों,
                    संघर्षों, यातनाओं को कविता, कहानी, लेख,
                    उपन्यास आदि में ढालने और प्रेरित करने के लिए प्रतिबद्ध
                    हैं। ऐसी महिलाओं का परिचय, संस्था हिन्दी के साथ
                    अन्य भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी जगत के सृजकोें
                    से कवि गोष्ठी, कहानी गोष्ठी, प्रकाशन, लोकार्पण,
                    मानसम्मान, लेखन वर्कशाप, पुस्तक एवं कला
                    प्रदर्शनी तथा चैरिटीवर्क से कराती है। संस्था को
                    लंदन बारो आफ़ मर्टन का प्रश्रय है। सभी कार्यकर्ता
                    स्वैच्छिक हैं। अभी तक संस्था ने ब्रिटेन के तीन लेखको
                    और कवियों के पुस्तकों का प्रकाशन किया है। दो पुस्तकें
                    प्रकाशाधीन हैं। संस्था के कार्यकर्ता हैं उषा राजे
                    सक्सेना, प्रतिभा डावर, कादंबरी मेहरा, स्नेह लता
                    टंडन आदि।
 12कृति यूके
                    मिडलैण्ड 2002कृति यूके ब्रिटेन की एक प्रगतिशील संस्था है। कृति यूके विभिन्न प्रकार के
                    साहित्यिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं हिन्दी ज्ञान
                    प्रतियोगिता, कहानी एवं कविता प्रतियोगिता, कवि
                    गोष्ठी आदि आयोजित करती है। कृति यूके के
                    अधिकांश कार्यकर्ता अहिन्दी भाषी और तरूण वर्ग से आते
                    हैं जो अपने आप में एक श्रेष्ठ उपलब्धि हैं। अन्य
                    साहित्यिक संस्थाओं की भांति कृति यूके भी
                    चैरिटी वर्क, साहित्य सम्मेलन, भाषा सम्मेलन आदि
                    का आयोजन कुशलता से करती है। संस्था के कार्यकर्ता है
                    तितिक्षा शाह, अनुराधा शर्मा, शैल अग्रवाल, डा
                    नरेन्द्र अग्रवाल, के के श्रीवास्तव आदि।
 13वातायन 2003'वातायन' अभी हाल ही में स्थापित हुई संस्था है
                    जो लंदन के फेस्टिवल हॉल में काव्य गोष्ठी, एकल पाठ
                    आदि प्रतिमाह आयोजित करती है। संस्था गतिशील है और
                    हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन के लिए प्रतिबद्ध है।
                    संस्था की कार्यकर्ता है श्रीमती दिव्या माथुर।
 14गीतांजलि बहुभाषीय
                    साहित्यिक समुदाय ट्रेंट 2004गीतांजलि बहुभाषीय साहित्यिक समुदायट्रेंट में
                    अभी हाल में ही स्थापित हुई है।
 संस्था का उद्देश्य कवि गोष्ठीयो व भाषा सम्मेलनों
                    द्वारा
                    हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य का प्रचारप्रसार और उन्नयन करना है। संस्था के सभी
                    कार्यकर्ता स्वैच्छिक है। संस्था की कार्यकर्ता है जया वर्मा, जुगना
                    महाजन
                    और डारवि महाजन आदि।
 पत्रिकाएं1अमर दीप
 23 मार्च 1971 में सरदार भगत सिंह के
                    जन्मदिन पर प्रथम बार प्रकाशित होने वाला 'अमरदीप'
                    समाचार पत्र पिछले चालीस वर्षों से ब्रिटेन में
                    निरंतर निकलन रहा है। जिसे ब्रिटेन के हज़ारो हिन्दी
                    भाषी पढ़ते हैं। 'अमरदीप' में समाचार के अतिरिक्त लघु
                    कथाएं' लेख, पाक विधि, चुटकुले और कविताए आदि भी
                    प्रकाशित होती रहती हैं। समयसमय पर इसमें
                    धारावाहिक उपन्यास भी छपे है। यह पत्रिका ब्रिटेन के
                    लगभग सभी पुस्कालयों में पढ़ने को मिल जाती है।
                    'अमरदीप' के संपादक हैं जगदीश मित्र कौशल।
 2'पुरवाई' यूके से प्रकाशित होने वाली एकमात्र हिन्दी की
                    त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका 'पुरवाई' अपने 7 वर्ष पूरे कर
                    चुकी है। पुरवाई का प्रकाशन प्रवासी लेखन को संग्रहीत
                    करने में मील का पत्थर है। इसमें संदेह नहीं कि विश्व
                    और भारत के बीच 'पुरवाई' एक सार्थक साहित्यिक सेतु
                    बन कर उभरी है। पुरवाई के लेखकीय संसार में जहां
                    भारत से कमलेश्वर, इंदु जैन, रामदरस मिश्र, कमल
                    कुमार, डा शिवमंगलसिंह 'सुमन', गोविंद पंत,
                    केदार नाथ सिंह, कुंअर बेचैन, विक्रम सिंह,
                    केशरीनाथ त्रिपाठी, बेकल उत्साही, अशोक चक्रधर,
                    नरेश शांडिल्य आदि शामिल हैं तो ब्रिटेन से
                    सत्येन्द्र श्रीवास्तव, उषा राजे, पद्मेश गुप्त, प्राण
                    शर्मा, नरेश भारती, दिव्या माथुर, सोहन राही,
                    गौतम सचदेव, शैल अग्रवाल, तितिक्षा शाह, दिवाकर
                    शुक्ल, तेजेन्द्र शर्मा, तोषी अमृता आदि शामिल हैं।
                    ब्रिटेन के अतिरिक्त 'पुरवाई्र में अमेरिका, जापान,
                    मॉरिशस, त्रिनिदाद, फीजी, नार्वे, रोमानिया,
                    हंगरी आदि जैसे देशों के सृजनकर्मी भी रचनात्मक योगदान दे रहे हैं। वस्तुतः आज ब्रिटेन में
                    हिन्दी के कई ऐसे रचनाकार हैं जिनकी रचनाएं पहली बार
                    पुरवाई में प्रकाशित हुई और साथ ही कुछ ऐसे भी
                    लोग है जिन्होंने 'पुरवाई' के लिए ही लिखना आरम्भ
                    किया और आज देशविदेश के पत्रपत्रिकाओं में छप कर
                    ख्याति अर्जित कर रहे हैं। पुरवाई का स्तर और वितरण
                    प्रतिदिन बढ़ रहा है।
 धार्मिक
                    व सांस्कृतिक संस्थाएंइस तरह ब्रिटेन में और
                    भी बहुत सी ऐसी संस्थाए है जिनके कार्य विविध हैं,
                    जो यूके में हिन्दी के साथ भारतीय संस्कृति के
                    उन्नयन और प्रचारप्रसार के लिए प्रतिबद्ध है 
 
 लंदन और सरे में भारतीय विद्या भवन, आर्य समाज
                    भवन, आर्य समाज मंदिर, विश्व हिन्दू मंदिर
                    साउथहाल, हिंदू कल्चरल सोसाइटी, कला ज्योति, हिन्दू
                    सोसाइटी टूटिंग, भारतीय ज्ञानदीप लंदन, स्लोह
                    हिंदू मंदिर, महालक्ष्मी सत्संग मंदिर, बालभवन,
                    श्री कृष्ण मंदिर, स्वमीनारायण मंदिर, कम्यूनिटी
                    सेन्टर, इंडियन एसोसिएशन।
 मिडलैण्डस मेंबालभवन,
                    श्री कृष्ण मंदिर, कृति यूके, गीता भवन,
                    कॉवेट्री में हिन्दू मंदिर, कम्यूनिटी सेन्टर।
 मैनचंस्टर मेंभारतीय विद्याभवन, हिन्दू मंदिर,
                    कम्यूनिटी सेन्टर इंडिया सेन्टर।
 नॉटिंघम मेंकला सेन्टर, श्री राम मंदिर, कम्यूनिटी
                    सेन्टर
 स्कॉटलैण्ड और वेल्स मेंकम्यूनिटी सेन्टर, हिन्दू मंदिर।
 नार्दन आयरलैण्ड मेंइंडियन कम्यूनिटी सेन्टर
 
                    इन सब के अतिरिक्त हिन्दी फिल्मों और हिन्दी टेलिविज़न
                    चैनल और सनराइज़ रेडियो आदि का हिन्दी के
                    प्रचारप्रसार में महत्वपूर्ण योगदान ब्रिटेन में
                    रहा है। आज हिन्दी चैनेल भारतीयों के अतिरिक्त
                    पाकिस्तानी, बंगलादेसी, कुछ अंग्रेज़, सर्बियन,
                    बोसनियन, अरबी, अफ्रीकन, सिप्रियेट्स, इरानी
                    आदि सभी देशों के ब्रिटेनवासी लोग ब्रिटेन में
                    स्काई़ सैटलाइट़ और केबल के द्वारा देखते हैं। विश्व के मानचित्र में
                    हिन्दी की स्थिति पर दृष्टि डालें तो यह सुखद अनुभूति
                    होती है कि हिन्दी की शब्द संख्या का जितना विस्तार पिछले
                    5060 वर्षो में हुआ है उतना विश्व की शायद ही किसी
                    अन्य भाषा में हुआ होगा। लगभग सवा करोड़ भारतीय
                    मूल के लोग दुनिया के सैकड़ों देशो में बसे हुए
                    हैं। विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी के पठनपाठन
                    के अंतर्गत 165 विश्वविद्यालयों में हिन्दी के
                    अध्यनअध्यापन की व्यवस्था है। यानी कुल मिलाकर
                    हिन्दी के लिए अच्छाखासा वातावरण तैयार है। वस्तुतः
                    आवश्यकता है इसमें और अधिक सुधार की तथा इसे और
                    अधिक स्थाई बनाने की ताकि नई पीढ़ी में भी हिन्दी के
                    प्रति निष्ठा और स्वीकार्य की मानसिकता विकसित हो। |