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रचना प्रसंग

अंतरजाल पर लेखन

समाचार लिखने की कला
--पूर्णिमा वर्मन

समाचार हमारे दैनिक जीवन का अंग हैं। हम सब हिन्दी के विकास या प्रसार के अलग अलग कामों में लगे हैं। नित नए आयोजन होते रहते हैं। कभी पुरस्कार वितरण, कभी सम्मान समारोह, कभी पुस्तक मेला, कभी किसी अतिथि के स्वागत में कवि गोष्ठी तो कभी साहित्य सम्मेलन। इन सभी अवसरों के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी होती है। अधिकतर ऐसे आयोजनों का उद्देश्य हिंदी का विकास और प्रसार होता है।

आयोजक और भागीदार चाहते हैं कि उनके कार्यों और दृष्टिकोण के विषय में सारे विश्व को पता लगे। इसके लिए प्रेस विज्ञप्ति को पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन हेतु भेजा जाता है। अनेक पत्रिकाएँ भी इस प्रकार के समाचारों की प्रतीक्षा में ही रहती हैं। यह सब अच्छी बातें हैं लेकिन मुसीबत वहाँ शुरू होती है जब लम्बे लम्बे समाचारों में तथ्य इस प्रकार खोया रहता है कि उसको ढूँढना मुश्किल हो जाता है।

समाचार एक लेखन विधा है इसके लिखने के लिए कवि या कथाकार होना ज़रूरी नहीं है पर यह भी सच है कि बिना जाने और सीखे अच्छा और ठीक समाचार नहीं लिखा जा सकता। ऐसी स्थिति में यह भी हो सकता है कि समाचार को प्रकाशन के योग्य ही न समझा जाए। समाचार की भाषा सरल और शुद्ध होनी चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि समाचार लेखन की तकनीकी विधा है कलात्मक नहीं। अतः इसको साहित्य की तरह विस्तार देना, अनावश्यक विशेषणों से भरना या अनावश्यक रूप से बीच बीच में कविताएँ लिखना उचित नहीं है। तो फिर उचित और आवश्यक क्या है? आइए इसे विस्तार से समझें।

पहला वाक्य
समाचारों का पहला वाक्य सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसमें छे ऐसे घटक होते हैं जिनका पहले ही वाक्य में होना आवश्यक है। ये छे घटक हैं, तिथि, नगर, स्थान, समय, आयोजक और कार्यक्रम। समाचार विशेषज्ञों का कहना है कि समाचार का प्रारंभ तिथि से होना चाहिए, दूसरे स्थान पर नगर, तीसरे स्थान पर स्थान का नाम,  चौथे स्थान पर समय,  पाँचवें स्थान पर आयोजक का नाम और छठे स्थान पर कार्यक्रम का नाम -  इस क्रम का पालन किया जाना चाहिए। यों तो समाचार लिखते समय अनायास ही इस नियम का पालन हो जाता है और थोड़ा बहुत आगे पीछे होने से अंतर नहीं पड़ता लेकिन इस नियम पर ध्यान दें तो समाचार लिखना बहुत आसानी से और जल्दी हो जाता है। एक उदाहरण देखें-
२० जनवरी २००८, दिल्ली के सृजन केन्द्र स्थित रवींद्र हॉल में, सायं ६:५० बजे संगीतालय द्वारा संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इस पंक्ति में उपरोक्त कथन का अक्षरशः पालन किया गया है।

क्रम

 समाचार अंश

घटक

नियम

१.

२० जनवरी २००८

तिथि

समाचार का प्रारंभ तिथि से होना चाहिए।

२.

दिल्ली के

नगर

दूसरे स्थान पर नगर का नाम होना चाहिए।

३.

सृजन केन्द्र स्थित रवींद्र हॉल में

स्थान

तीसरे स्थान पर स्थान का नाम होना चाहिए।

४.

सायं ६:५० बजे

समय

चौथे स्थान पर समय दिया जाना चाहिए।

५.

संगीतालय द्वारा

आयोजक

पाँचवे स्थान पर आयोजक का नाम होना चाहिए।

६.

संगीत संध्या का आयोजन

कार्यक्रम

छठे स्थान पर कार्यक्रम का नाम दिया जाना चाहिए।

इस प्रकार उपरोक्त समाचार के पहले वाक्य में कार्यक्रम से संबंधित छहों प्रमुख घटकों का विवरण दे दिया गया है। सुविधा के लिए इस वाक्य की प्रतिलिपि बनाकर रखी जा सकती है और समाचार लिखते समय घटकों में परिवर्तन किया जा सकता है। इससे समाचार का पहला वाक्य तो जल्दी तैयार ही हो जाएगा, भाषा की शुद्धता में भी गड़बड़ी नहीं होगी।

समाचार का प्रारंभ
समाचार के दूसरे वाक्य में पहले वाक्य के बाद कार्यक्रम से संबंधित कुछ और महत्वपूर्ण तथ्य दिए जाने चाहिए। पर यह भी ध्यान रखना चाहिए कि तथ्यों का विस्तार न हो। उदाहरण के लिए- यह कार्यक्रम माननीय संगीत गुरू महादेव शास्त्री की स्मृति में उनकी जयंती के रूप में आयोजित किया जाता है, जिसमें नगर के प्रमुख गायक भाग लेते हैं। इस वर्ष उनकी १००वीं जयंती का विशेष आयोजन किया गया था अतः उपस्थित श्रोताओं को देश के १० श्रेष्ठ गायकों के सुनने का अवसर मिला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर संजय आचार्य थे। संचालन सुदेश भटनागर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन संगीतालय के अध्यक्ष डॉ. कमलेश गौतम ने किया। ध्यान दिया जाय तो यह देखा जा सकता है कि उपरोक्त पंक्तियों में कार्यक्रम के उद्देश्य और प्रमुख घटनाओं का वर्णन किया गया है। यह भी ध्यान देने की बात है कि कार्यक्रम के उद्देश्य को अत्यंत संक्षिप्त और सारगर्भित रखा गया है। इसमें कोई निरर्थक वर्णन या विशेषण अपनी ओर से नहीं जोड़े गए हैं। समाचार का पहला अनुच्छेद ४-५ वाक्यों से अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए।

किसी भी कार्यक्रम की तीन प्रमुख घटनाएँ प्रारंभ, संचालन और धन्यवाद ज्ञापन होती हैं। प्रारंभ करने वाला स्वागत भाषण पढ़ता है अतः उसका नाम, संचालक का नाम और धन्यवाद ज्ञापन करने वाले का नाम महत्वपूर्ण है अतः इन्हें नहीं भूलना चाहिए। इसके अतिरिक्त मुख्य अतिथि या सभापति का नाम भी देना आवश्यक है।

समाचार का मध्य
समाचार के मध्य में कार्यक्रम के आकार के अनुसार एक दो अथवा तीन अनुच्छेद लिखे जा सकते हैं। पहले अनुच्छेद में कार्यक्रम का वर्णन होना चाहिए जैसे कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलन तथा संगीतालय के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत की गई सरस्वती वंदना से हुआ। इसके पश्चात संगीतालय के उपाध्यक्ष रामकृष्ण सहाय ने अपने स्वागत भाषण में संस्था के वार्षिक कार्यक्रमों के विवरण दिया, मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में समाज में संगीत की शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला और गायकों ने अपनी रसमय प्रस्तुति दी। संगीतालय की प्रधानाचार्या सुषमा अवस्थी के धन्यवाद ज्ञापन के बाद रात्रिभोज परोसा गया। इस उदाहरण में देखा जा सकता है कि कार्यक्रम को आदि से अंत तक संक्षेप में लगभग ५ वाक्यों यो १० पंक्तियों में कैसे समेटा जाए। ध्यान देने की बात यह है कि कोई महत्वपूर्ण नाम, घटना या कार्य छूट न जाए।

इसके बाद के अनुच्छेद में कार्यक्रम की संक्षिप्त समीक्षा या कार्यक्रम से संबंधित अन्य विवरण दिये जा सकते हैं। उदाहरण के लिए एक अनुच्छेद में उपरोक्त १० गायकों के नाम और परिचय की एक एक यो दो दो पंक्तियाँ हो सकती हैं। एक गायक के विषय में एक पंक्ति और दूसरे के विषय में १० पंक्ति ऐसा असंतुलन नहीं होना चाहिए। यदि एक के विषय में एक वाक्य लिखा जाए तो दूसरों के विषय में भी एक ही वाक्य लिखा जाय यदि एक के विषय में दो वाक्य लिखे जाएँ तो सभी के विषय में दो वाक्य लिखने चाहिए। अनावश्यक रूप से 'महान गायक', 'विह्वल कर देने वाली प्रस्तुति' इत्यादि विशेषण नहीं जोड़े जाने चाहिए। इनके स्थान पर कुछ ऐसी जानकारी देनी चाहिए जो पाठकों लिए रोचक हो और तथ्यपरक हो।

समाचार का समापन
कार्यक्रम के अंत में कुछ बातें विशेषरूप से ध्यान देकर लिखें। कार्यक्रम में भाग लेने कौन कौन विशेष व्यक्ति आए थे, कौन कौन सामान्य व्यक्ति आए थे। कार्यक्रम में ऐसा क्या विशेष था जो सामान्य रूप से दूसरे कार्यक्रमों में नहीं होता है। कार्यक्रम का संपूर्ण प्रभाव कैसा रहा। उदाहरण के लिए- कार्यक्रम में नगर के लोकप्रिय गायक नरेश कुमार, आकाशवाणी व दूरदर्शन के अनेक संगीतकार, चित्रकार श्यामललित सहित संगीतालय के छात्र, उनके अभिभावक तथा संगीत प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम समय पर प्रारंभ हुआ और सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। शास्त्रीय गायन के इस तीन घंटे लंबे कार्यक्रम को श्रोताओं मे मुग्ध होकर सुना और सहृदयता से सराहा।

अंत में-
हिन्दी पत्र या पत्रिका के लिए समाचार अँग्रेज़ी में लिखकर कभी न भेजें। यह अपेक्षा न करें कि संपादक अंग्रेज़ी समाचार का अनुवाद कर के प्रकाशित करेंगे। समाचारों में किसी भी व्यक्ति की लंबी-लंबी प्रशंसा न भरें। समाचार लिखना सामाजिक रूप से कड़े उत्तरदायित्व का काम है इसलिए समाचार का संतुलित और पक्षपातरहित होना आवश्यक है। समाचार लेखक को ध्यान रखना चाहिए कि वे समाचार लिख रहे हैं कोई निबंध नहीं, तदनुसार एक समाचार को किसी भी हाल में १००० शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

 

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८ अगस्त २००८

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