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छोटी जान आज़मगढ़ आ रही हैं।
मोहसिन को महसूस हुआ कि अब दीवार में रास्ता बनाना संभव हो
सकता है।
भावज ने पोपले मुँह से पूछ ही लिया,''अरे कब आ रही है? क्या
अकेली आ रही है है या जमाई राजा भी साथ में होंगे? सलमान मियाँ
को देखे तो एक ज़माना हो गया है। वैसे, मरी ने आने के लिए चुना
भी तो रमज़ान का महीना!'' भावज की आँखों के कोर भीग गए।
रात को सकीना ने अपनी परेशानी मोहसिन के सामने रख दी,''सुनिये
जी, क्यों आ रही हैं छोटी जान? अचानक पचास साल बाद क्यों हमारी
याद आ गई?''
''कुछ साफ़ तो मुझे भी नहीं पता। सुनने में आ रहा है कि छोटी
जान इंग्लैंड में बड़ी सियासी शख़्सियत बन गई हैं। शायद एम.पी.
हो गई हैं शहर वालों ने इज्ज़त देने के लिए बुलाया है। मगर
उनके आने में अभी तो देर है''
''पता नहीं क्यों, मेरा तो दिल डोल रहा है''
''घबरा नहीं, सब ठीक हो जाएगा!''
मोहसिन की आँखों से भी नींद
ग़ायब है। बिस्तर छोड़कर कमरे से बाहर आ गया है। उसके पीछे
सकीना की प्रश्न पूछती आँखों की जोड़ी भी साथ आ गई है। गोल
बरामदे तक चला आया है। कभी शाही शान-ओ-शौकत वाला गोल बरामदा आज
भुतहा अहसास दे रहा है। खंडहर-सा लग रहा है। हल्की बूँदाबाँदी
शुरू हो गई है। |