| ''कुत्ता 
                    बँधा है क्या?'' एक अजनबी ने बंद फाटक की सलाखों के आर-पार 
                    पूछा।
                    फाटक के बाहर एक बोर्ड टँगा था- 'कुत्ते से सावधान!' ड्योढ़ी के 
                    चक्कर लगा रही मेरी बाइक रुक ली। बाइक मुझे उसी सुबह मिली थी। 
                    इस शर्त के साथ कि अकेले उस पर सवार होकर मैं घर का फाटक पार 
                    नहीं करूँगा। हालाँकि उस दिन मैंने आठ साल पूरे किए थे।''उसे पीछे आँगन में नहलाया जा रहा है।''
 इतवार के 
                    इतवार माँ और बाबा एक दूसरे की मदद लेकर उसे ज़रूर नहलाया 
                    करते। उसे साबुन लगाने का ज़िम्मा बाबा का रहता और गुनगुने 
                    पानी से उस साबुन को छुड़ाने का ज़िम्मा माँ का।''आज तुम्हारा जन्मदिन है?'' अजनबी हँसा- ''यह लोगे?''
 अपने बटुए से 
                    बीस रुपए का एक नोट उसने निकाला और फाटक की सलाखों मे से मेरी 
                    ओर बढ़ा दिया।''आप कौन हो?'' चकितवंत मैं उसका मुँह ताकने लगा।
 अपनी गरदन खूब ऊँची उठानी पड़ी मुझे।
 अजनबी ऊँचे कद का था।
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