मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है
भारत से डॉ सरस्वती माथुर की कहानी— 'पूर्व संध्या'


राधा देवी ने रोज़ की तरह अपना कंप्यूटर ऑन किया, पासवर्ड देकर डायरी का पन्ना खोला लेकिन जाने क्यों उनका कुछ भी लिखने का मन नहीं हुआ। उनकी बहू विभा कंप्यूटर इंजिनियर थी। उसने उनकी वेबसाइट बना दी थी और जब भी वह अमेरिका से आती थी उन्हें काफी कुछ सिखा जाती थी।

कंप्यूटर विंडो पर 'गूगल टॉक’ की खिड़की खोल कर राधा देवी ने सरसरी निगाहें डाली तो पता लगा कोई भी आनलाईन नहीं है न उनके बच्चे न पति। वे उठीं और मेज़ पर बिखरे काग़ज़ों में कुछ ढूँढ़ने लगीं। नए साल के अवसर पर बच्चों का अमेरिका से ग्रीटिंग कार्ड आया था। उन्होनें एक सरसरी निगाह उस कार्ड पर डाली। फिर अमृतयान निकेतन काटेज की अपनी बालकनी में कुर्सी पर बैठ कर वे वहाँ से दूर दिखाई देती झील को देखने लगी।

अजमेर शहर से थोड़ा बाहर झील के किनारे बना यह वृद्धाश्रम और स्वास्थ्य केन्द्र जिसका नाम अमृतयान निकेतन है चारों तरफ़ से पेडों से घिरा है। दूर तक फैली हरी पहाडियाँ यहाँ से बिल्कुल साफ़ दिखाई देती हैं।

संस्था की सफेद इमारत जो पहाडी और पानी की झील के बीच बनी हुई है राधा देवी को बहुत अच्छी लगती है।

पृष्ठ : . . .

आगे-

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।