अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

पुरालेख तिथि-अनुसार पुरालेख विषयानुसार हमारे लेखक लेखकों से
तुक कोश // शब्दकोश // पता-


 ९. ३. २०१५

इस सप्ताह-

अनुभूति में-1
शशिकांत गीते, राकेश जोशी, रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति, सरस्वती माथुर और जगदीश जोशी साधक की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- होली के चटपटे त्योहार के लिये हमारी रसोई-संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं, मौसम के अनुकूल पेय- गाजर की काँजी

बागबानी में- आसान सुझाव जो बागबानी को रोचक बनाने में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं- ६- सलीके से रखा जाय तो कुछ भी बेकार नहीं होता।

जीवन शैली में- कुछ आसान सुझाव जो व्यस्त जीवन में, जल्दी वजन घटाने के लिये बहुत सहायक हो सकते हैं- ९- बाजा का खाना बंद 

सुंदर घर- घर को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो आपको घर के रूप रंग को आकर्षक बनाने में काम आएँगे- ५- कला दीर्घा शैली मन को लुभा लेगी।

- रचना व मनोरंजन में

क्या-आप-जानते-हैं- आज के दिन (९ मार्च को) डॉ. नगेन्द्र, शशि थरूर, पार्थिव पटेल, दरशील सफ़ारी का जन्म हुआ था। ... विस्तार से

नवगीत संग्रह- में इस सप्ताह प्रस्तुत है- कुमार रवीन्द्र की कलम से श्याम श्रीवास्तव के नवगीत संग्रह- किंतु मन हारा नहीं का परिचय।

वर्ग पहेली- २२७
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- होली के अवसर पर

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है यू.एस.ए. से
सुषम बेदी की कहानी- कितने कितने अतीत

इधर कुछ दिनों से कौशल्या बस एक ही शिकायत करती थकती न थी। हर किसी से वही कहानी दुहरायी जाती। पहले तो निजी परिचारिका से कहा- हाय हाय मुझसे नहीं देखा जाता वह आदमी। मेरी टेबल पर ही बिठा दिया है उसको। हर वक्त नाक बहती रहती है, मुँह से लार टपकती रहती है और वह मुँह में खाना डालता रहता है। न नाक साफ करता है न लार। खाने के साथ लार भी... छिछि, घिन होती है मुझे। मैं नहीं बैठ सकती उस मेज पर। परिचारिका बोली-तो क्या हुआ? तुमको तो कुछ नहीं कहता। अपना चुपचाप खाता रहता है। और जो नाक गिरती रहती है खाने में? तो क्या मुझको फरक नहीं पड़ता। मुझसे नहीं देखा जाता। उल्टी आती है उसे देखकर। कम से कम नाक तो साफ कर ले। खाने के साथ साथ नाक भी निगलता जाता है। कोई उसको कुछ कहता क्यों नहीं?
मिस शर्मा। मार्क (यही उसका नाम था) बेचारे को अपना तो होश नहीं। वह क्या करेगा नाक साफ। कोई नर्स तो पीछे पीछे घूम नहीं सकती जो नाक साफ करती फिरे। आगे-
*

प्रेरक प्रसंग
बंदरों का मनोविज्ञान
*

देवी नागरानी की कलम से
रचनाकार राधेश्याम शुक्ल
*

अम्बरीष श्रीवास्तव का आलेख
कहानी बाँसुरी की 

*

पुनर्पाठ में राजेन्द्र प्रसाद सिंह का आलेख
भोजपुरी साहित्य में नीम आम और जामुन

पिछले सप्ताह-

शशिकांत गीते की
लघुकथा- आस्था
*

प्रोफेसर हरिमोहन के साथ पर्यटन
माँझीवन का सौन्दर्य लोक
*

विजय बहादुर सिंह के शब्दों में
एक और निराला

*

पुनर्पाठ में अभिज्ञात की
आत्मकथा तेरे बगैर का पहला भाग

*

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
गोविन्द उपाध्याय की कहानी- एक टुकड़ा सुख

रिक्शा स्टैण्ड पर उसने रिक्शा खड़ा करके अपना पसीना पोंछा। नगरपालिका के नल से चंद घूँट पानी निगलने के पश्चात उसके गले की जलन तो शांत हो गई, लेकिन खाली पेट में पानी का प्रवेश पाकर, आमाशय विद्रोह कर उठा। पेट के मरोड़ को सहन करने के साथ ही वह अपने धचके हुए पेट को सहलाने लगा। उसे अपने रिक्शे की तरफ आती दो युवतियाँ दिखायी दीं। अंग्रेजी सेंट की खुशबू उसकी नाक में समा गयी। वह गहरी साँस के साथ, ढेर सारी खुशबू फेफड़ों में समा लेना चाहता था, किंतु फेफड़ों ने साथ ही नहीं दिया। वह पास आती युवतियों को देखता हुआ अपने व्यवसायिक अंदाल में बोल पड़ा- ‘आइए मेम साहब, कहाँ चलेंगी?’
‘इम्पीरियल टाकीज।’
‘आइए बैठिए।’
‘कितने पैसे लोगे?’
‘दस रुपए।’
अरे नहीं। बहुत ज्यादा है। पाँच रुपये लोगे?
आगे-

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वाद और स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसररेडियो सबरंग

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

Loading
       

आँकड़े विस्तार में