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9. 3. 2007

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हास्य व्यंग्य

इस सप्ताह 8 मार्च महिला-दिवस के अवसर पर—

समकालीन कहानियों में डेन्मार्क से
अर्चना पेन्यूली की कहानी अगर वो उसे माफ़ कर दे

दरवाज़े की घंटी निरंतर बजती गई - हरेक बार और अधिक तेज़ी से। अंतत: वह बिस्तर से उठी। अपने कमरे से निकल कर गैलरी में आई। बगल के कमरे में यों ही झाँका- ईशा निश्चिंत सो रही थी। कौन होगा दरवाज़े पर? दूध वाला या फिर बाई...। मगर इतनी सुबह...। असमंजस से वह दरवाज़े की तरफ़ बढ़ी और जितनी भी चिटकनियाँ लगी थीं, खोल दीं। सामने सी.आर.पी.एफ़. के दो ऑफ़िसर गंभीर भाव लिए, विमूढ़ से खड़े, हाथों में कैप। रेखा ने हैरत भरी प्रश्नात्मक दृष्टि से उन्हें देखा। जवाब में उनकी आँखों में आँसू उमड़ आए। ''रवि. . .ठीक तो है न?'' वह बौखलाई-सी बोली। उन्होंने अपनी आँखे बंद कर लीं। आँसू बंद आँखों से बह कर गालों पर ढुलकने लगे।

*

हास्य-व्यंग्य में
अलका पाठक की रचना आखिर ऐसा क्यों होता है?
हमारे यहाँ बेटियाँ पाँव नहीं छूतीं। बालक श्रद्धानत होकर उच्चाधिकारी के चरण आते-जाते छू लेता है। बालिका खींसें निपोरती रह जाती है। परिणाम क्या? सेवा का फल बालक की झोली में जा पड़ता है। चरण-स्पर्श बराबर वज़न पर पासंग का काम करता है। तुलसी की कविता पूजा में स्थान पा गई और मीरा की विष का प्याला। कारण साफ़ है। तुलसीदास शुरू ही चरण वंदना से हुए - 'श्री गुरु चरण सरोज रज।' मीरा को चरण कमल प्राप्त ही नहीं हुए। गुरु के चरणों में शीश नवाए बिना रचना सफलता को प्राप्त हो ही नहीं सकती। अगर पाँव परसने बेटी आती तो पाप लगता। बहन-बेटी से पाँव छुआते नहीं।

*

साक्षात्कार में महिलावादी कार्यकर्ता
दिव्या जैन से मधुलता अरोरा की बातचीत
समाजशास्त्र में एम.ए. होने से मेरा सामाजिक समस्याओं से सरोकार रहा। ये समस्याएँ लगातार मेरे दिमाग़ को मथती रहती थी। ये सवाल सदा सताता कि वेश्याएँ क्या होती हैं? इस विषय में कोई जानकारी नहीं थी। पत्रकारिता करते-करते ब्लिट्स के लिए देवदासी पर लेख लिखना था सो मैटर जमा किया। पी. एच. ओ. कर्नाटक जाते हैं देवदासी प्रथा रोकने के लिए। मैं अपने लेख के लिए डॉ. गिलाडा के पास फोटो लेने गई। बातचीत के दौरान जब उन्हें पता चला कि मैं पत्रकार हूँ तो उन्होंने मेरे सामने नौकरी का प्रस्ताव रखा। उनके ऑफ़र करने पर मैं सप्ताह में दो बार जाने के लिए तैयार हो गई। डॉ. गिलाडा मीडिया में काफ़ी रहे। उन्होंने धीरे-धीरे मुझसे पूछा कि क्या मैं महिलाओं के लिए पत्रक निकाल सकती हूँ।

*

महानगर की कहानियों में
सुवर्ण शेखर दीक्षित की लघुकथा कल्पवृक्ष
उन्होंने बहुत प्यार से नेहा की तरफ़ देखा, उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में कुछ अजीब-सा भाव देखा आज और पूछ ही लिया, ''तू. . . खुश तो है ना बेटा?''
''हाँ पापा।'' नेहा ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया। फिर नेहा ने ही बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ''पापा ये पेड़ हम यहाँ से उखाड़ कर पीछे वाले बगीचे में लगा दें तो? ''
पापा कुछ असमंजस में पड़ गए, बोले, ''बेटे ये चार साल पुराना पेड़ है अब कैसे उखड़ेगा और अगर उखड़ भी गया तो दुबारा नई जगह, नई मिट्टी को बर्दाश्त कर पाएगा? कहीं मुरझा गया तो?''
नेहा ने एक मासूम-सा सवाल किया, ''पापा एक पौधा और भी तो आपके आँगन का नए परिवेश में जा रहा है ना?

*

रसोईघर में माइक्रोवेव के साथ
गृहलक्ष्मी पका रही हैं बेक्डबीन आलू कैसरोल
चाहिए सिर्फ़ 450 ग्राम का बेक्डबीन का एक टिन, 1 किलो आलू उबाल कर स्लाइस किए हुए, 250 ग्राम चेदर चीज़ कसी हुई, नमक और काली मिर्च। एक कैसरोल और एक माइक्रोवेव अवन बस फिर दस मिनट में तैयार हो सकता है यह स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन जो न सिर्फ़ भूख मिटाएगा बल्कि सादा खाना खानेवालों को खूब पसंद आएगा। चाहें तो स्वादानुसार इसे चटपटा भी बनाया जा सकता हैं।


सप्ताह का विचार
नारी की करुणा अंतरजगत का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं। -जयशंकर प्रसाद

 

कुछ नए
और
कुछ परिचित कवियों की अनेक विधाओं में ढेर सी नई काव्य रचनाएँ

ताज़ा हिंदी चिट्ठों के सारांश
नारद से

होली विशेषां ग्र

-पिछले अंकों से-
कहानियों में
होली का मज़ाक-
यशपाल
एक और सूरज-जितेन ठाकुर
शिवः माम् मर्षयतु-
लोकबाबू
वैलेंटाइन दिवस-महावीर शर्मा
क़सबे का आदमी-
कमलेश्वर
दिल्ली दूर है-
किरन अग्रवाल
*

हास्य व्यंग्य में
काव्य कामना-अशोक चक्रधर
अमेरिका में गुल्ली डंडा-उमेश अग्निहोत्री
भोलेनाथ की . . .-शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
वनन में बागन में- अनूप कुमार शुक्ल
जनतंत्र-
डॉ नरेंद्र कोहली

संभावनाएँ बहुत हैं...!-
गुरमीत बेदी
*

संस्मरण में
मधुलता अरोरा की परिचर्चा
प्रख्यात लेखकों के होली-पल
*

ललित निबंध में
प्रेम जनमेजय का आलेख
लला फिर आईयो खेलन होली

*

साहित्यिक निबंध में
सुधीर शाह के संग्रह से कतरनें
होली-पुराने दौर के समाचार-पत्रों में

*

प्रकृति और पर्यावरण में
टीम अभिव्यक्ति ले आई है
सदाबहार की बहार
*

प्रौद्योगिकी में
मितुल पटेल द्वारा विकास की राह पर
हिंदी-विकिपीडिया
*
साहित्य समाचार में—
ब्रसेल्स में भारत महोत्सव, दुबई में द्वितीय खाड़ी क्षेत्र हिंदी सम्मेलन संपन्न और सजीवन मयंक के काव्य संकलनों का विमोचन
*
पर्व परिचय में
मनोहर पुरी का संदेश
सच्चिदानंद का साक्षात्कार ही है महाशिवरात्रि
*
पर्यटन में
डॉ अजय शेखर के साथ पंचकेदार यात्रा
हिमालये तु केदार
*
कलादीर्घा में
विभिन्न कलाकारों की तूलिका से
- शिव -

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

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