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सप्ताह का विचार  

(पुरालेख)
२००७

  • जैसे रात्रि के बाद भोर का आना या दुख के बाद सुख का आना जीवन चक्र का हिस्सा है वैसे ही प्राचीनता से नवीनता का सफ़र भी निश्चित है। — भावना कुँअर
  • धन के भी पर होते हैं। कभी-कभी वे स्वयं उड़ते हैं और कभी-कभी अधिक धन लाने के लिए उन्हें उड़ाना पड़ता है। —कहावत
  • प्रसिद्ध होने का यह एक दंड है कि मनुष्य को निरंतर उन्नतिशील बने रहना पड़ता है।
    —अज्ञात
  • प्रत्येक व्यक्ति की अच्छाई ही प्रजातंत्रीय शासन की सफलता का मूल सिद्धांत है।
    —राजगोपालाचारी
  • अपने अनुभव का साहित्य किसी दर्शन के साथ नहीं चलता, वह अपना दर्शन पैदा करता है।
    —कमलेश्वर
  • मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।
    हरिशंकर परसाई
  • 'शि' का अर्थ है पापों का नाश करने वाला और 'व' कहते हैं मुक्ति देने वाले को। भोलेनाथ में ये दोनों गुण हैं इसलिए वे शिव कहलाते हैं।
    —ब्रह्मवैवर्त पुराण
  • काम की समाप्ति संतोषप्रद हो तो परिश्रम की थकान याद नहीं रहती।
    —कालिदास
  • रंगों की उमंग खुशी तभी देती है जब उसमें उज्जवल विचारों की अबरक़ चमचमा रही हो।
    —मुक्ता
  • नारी की करुणा अंतरजगत का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं।
    —जयशंकर प्रसाद
  • चंद्रमा, हिमालय पर्वत, केले के वृक्ष और चंदन शीतल माने गए हैं, पर इनमें से कुछ भी इतना शीतल नहीं जितना मनुष्य का तृष्णा रहित चित्त।
    —वशिष्ठ
  • इस संसार में प्यार करने लायक दो वस्तुएँ हैं-एक दुख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता।
    —आचार्य श्रीराम शर्मा
  • बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है। –आचार्य रामचंद्र शुक्ल
  • संवेदनशीलता न्याय की पहली अनिवार्यता है।
    –कुमार आशीष
  • शब्द पत्तियों की तरह हैं जब वे ज़्यादा होते हैं तो अर्थ के फल दिखाई नहीं देते।
    –अज्ञात
  • अपने दोस्त के लिए जान दे देना इतना मुश्किल नहीं है जितना मुश्किल ऐसे दोस्त को ढूँढ़ना जिस पर जान दी जा सके। -- मधूलिका गुप्ता
  • जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे, वह हमारे लिए बेकार है वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है।
    -प्रेमचंद
  • आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपने घर की याद आती है।
    --प्रेमचंद
  • किताबें समय के महासागर में जलदीप की तरह रास्ता दिखाती हैं।
    -- अज्ञात
  • देश कभी चोर उचक्कों की करतूतों से बरबाद नहीं होता बल्कि शरीफ़ लोगों की कायरता और निकम्मेपन से होता है।
    --शिव खेड़ा
  • बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।
    --अष्टावक्र
  • यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर किनारे पर खड़े रहनेवाले कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।
    -- वल्लभ भाई पटेल
  • ऐ अमलतास किसी को भी पता न चला तेरे कद का अंदाज जो आसमान था पर सिर झुका के रहता था, तेज़ धूप में भी मुसकुरा के रहता था।
    --मधूलिका गुप्ता
  • बेहतर ज़िंदगी का रास्ता बेहतर किताबों से होकर जाता है।
    - शिल्पायन
  • दस गरीब आदमी एक कंबल में आराम से सो सकते हैं, परंतु दो राजा एक ही राज्य में इकट्ठे नहीं रह सकते।
    — मधूलिका गुप्ता
  • राष्ट्र की एकता को अगर बनाकर रखा जा सकता है तो उसका माध्यम हिंदी ही हो सकती है।
    - सुब्रह्मण्यम भारती
  • मानव हृदय में घृणा, लोभ और द्वेष वह विषैली घास हैं जो प्रेम रूपी पौधे को नष्ट कर देती है।
    -सत्य साईं बाबा
  • बिखरना विनाश का पथ है तो सिमटना निर्माण का। 
    --कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर
  • समझौता एक अच्छा छाता भले बन सकता है, लेकिन अच्छी छत नहीं।
    --मधूलिका गुप्ता
  • सज्जन पुरुष बादलों के समान देने के लिए ही कोई वस्तु ग्रहण करते हैं।
    --कालिदास
  • सतत परिश्रम, सुकर्म और निरंतर सावधानी से ही स्वतंत्रता का मूल्य चुकाया जा सकता है।
    --मुक्ता
  • दुख को दूर करने की एक ही अमोघ ओषधि है- मन से दुखों की चिंता न करना।
    -- वेदव्यास
  • बिना ग्रंथ के ईश्वर मौन है, न्याय निद्रित है, विज्ञान स्तब्ध है और सभी वस्तुएँ पूर्ण अंधकार में हैं।
    -- अज्ञात

  • पराजय से सत्याग्रही को निराशा नहीं होती बल्कि कार्यक्षमता और लगन बढ़ती है।
    --महात्मा गांधी

  • अंग्रेज़ी माध्यम भारतीय शिक्षा में सबसे बड़ा विघ्न है। सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"
    -- महामना मदनमोहन मालवीय

  • हँसमुख व्यक्ति वह फुहार है जिसके छींटे सबके मन को ठंडा करते हैं।
    --अज्ञात

  • मुट्ठी भर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
    --महात्मा गांधी

  • रामायण समस्त मनुष्य जाति को अनिर्वचनीय सुख और शांति पहुँचाने का साधन है।
    --मदनमोहन मालवीय

  • उजाला एक विश्वास है जो अँधेरे के किसी भी रूप के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजाने को तत्पर रहता है। ये हममें साहस और निडरता भरता है।
    --डॉ. प्रेम जनमेजय

  • वही पुत्र हैं जो पितृ-भक्त है, वही पिता हैं जो ठीक से पालन करता हैं, वही मित्र है जिस पर विश्वास किया जा सके और वही देश है जहाँ जीविका हो।
    -चाणक्य

  • हिंदी ही हिंदुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है। हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक ख़रीदें! मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी लेखकों को प्रोत्साहन देंगे?
    --शास्त्री फ़िलिप

  • यह सच है कि कवि सौंदर्य को देखता है। जो केवल बाहरी सौंदर्य को देखता है वह कवि है, पर जो मनुष्य के मन के सौंदर्य का वर्णन करता है वह महाकवि है।
     --रामनरेश त्रिपाठी

  • अत्याचार और अनाचार को सिर झुकाकर वे ही सहन करते हैं जिनमें नैतिकता और चरित्र का अभाव होता है। 
     --कमलापति त्रिपाठी

  • समय और बुद्धि बड़े से बड़े शोक को भी कम कर देते हैं।
    --कहावत

  • स्वयं प्रकाशित दीप भी प्रकाश के लिए तेल और बत्ती का जतन करता है, विकास के लिए निरंतर यत्न ही बुद्धिमान पुरुष के लक्षण है।

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(२००७)

 
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