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कोई भी भाषा अपने साथ एक संस्कार,
एक सोच, एक पहचान और प्रवृत्ति को लेकर चलती है।
-- भरत
प्रसाद
- जब तक तुम स्वयं अपने में विश्वास नहीं करते, परमात्मा में तुम विश्वास नहीं कर सकते।
-- विवेकानंद
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कहानी जहाँ खत्म होती है, जीवन
वहीं से शुरू होता है।'
-- संजीव
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वही राष्ट्र सच्चा लोकतंत्रात्मक
है जो अपने कार्यों को बिना हस्तक्षेप के सुचारु और सक्रिय रूप
से चलाता है।
-- महात्मा गांधी
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जब तक हम स्वयं निरपराध न हों तब
तक दूसरों पर कोई आक्षेप सफलतापूर्वक नहीं कर सकते।
-सरदार पटेल
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जीवन का रहस्य भोग में स्थित नहीं है,
यह केवल
अनुभव द्वारा निरंतर सीखने से ही प्राप्त होता है।
-विवेकानंद
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ईश्वर बड़े बड़े साम्राज्यों से ऊब
उठता है किंतु छोटे-छोटे पुष्पों से कभी खिन्न नहीं होता।
-रवीन्द्रनाथ
ठाकुर
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महापुरुष वे ही होते हैं जो
विभिन्न परिस्थितियों के रंगों में रंगे जाने के बाद भी अपने
व्यक्तित्व की पहचान को खोने नहीं देते।
- मुक्ता
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रंगों का स्वभाव है बिखरना और
मनुष्य का स्वभाव है उन्हें समेटकर अपने जीवन को रंगीन बनाना।
- मुक्ता
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आतंक का जन्म असंतोष से होता है
असमानता से इसे हवा मिलती है और यह अपनी आग में हज़ारों को लेकर
जल मरता है
-मुक्ता
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बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी
सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण
राष्ट्र की थाती हैं।
- स्वामी
रामदेव
- विनम्रता की परीक्षा 'समृद्धि'
में और स्वाभिमान की परीक्षा 'अभाव' में होती है।
- आदित्य चौधरी
- शरीर
को रोगी और निर्बल रखने के सामान दूसरा कोई पाप नहीं है।
- लोकमान्य तिलक
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- स्वदेशी
उद्योग, शिक्षा, चिकित्सा, ज्ञान,
तकनीक, खानपान, भाषा,
वेशभूषा एवं स्वाभिमान के बिना विश्व का कोई भी देश महान
नहीं बन सकता।
- बाबा रामदेव
- किताबों में वजन होता है! ये यूँ ही किसी के जीवन की दशा और दिशा नहीं बदल देतीं।
- इला प्रसाद
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जहाँ चक्रवर्ती सम्राट की तलवार कुंठित हो जाती है, वहाँ
महापुरुष का एक मधुर वचन ही काम कर देता है।
-हरिऔध
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कीर्ति का नशा शराब के नशे से भी तेज़ है। शराब छोड़ना आसान है,
कीर्ति छोड़ना आसान नहीं।
-सुदर्शन
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क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का
दिल दुखाना चाहता है।
-प्रेमचंद
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सारा हिन्दुस्तान गुलामी में घिरा हुआ नहीं है। जिन्होंने
पश्चिमी शिक्षा पाई है और जो उसके पाश में फँस गए हैं, वे ही
गुलामी में घिरे हुए हैं। -महात्मा गाँधी
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मानव जीवन धूल की तरह है, रो-धोकर हम
इसे कीचड़ बना देते हैं।
-बकुल वैद्य
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सौंदर्य और विलास के आवरण में महत्त्वाकांक्षा उसी प्रकार पोषित
होती है जैसे म्यान में तलवार।
-रामकुमार वर्मा
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जिस प्रकार बिना जल के धान नहीं उगता उसी प्रकार बिना विनय के
प्राप्त की गई विद्या फलदायी नहीं होती।
-भगवान महावीर
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अकर्मण्यता के जीवन से यशस्वी जीवन और यशस्वी मृत्यु श्रेष्ठ
होती है।
-चंद्रशेखर वेंकट रमण
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सत्य से कीर्ति प्राप्त की जाती है और सहयोग से मित्र बनाए जाते
हैं।
-कौटिल्य अर्थशास्त्र
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जिस प्रकार जल कमल के पत्ते पर नहीं ठहरता है, उसी प्रकार मुक्त
आत्मा के कर्म उससे नहीं चिपकते हैं।
--छांदोग्य उपनिषद
- कामनाएँ
समुद्र की भाँति अतृप्त हैं। पूर्ति का प्रयास करने पर उनका
कोलाहल और बढ़ता है।
-स्वामी विवेकानंद
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- जैसे सूर्य आकाश
में छुप कर नहीं विचर सकता उसी प्रकार महापुरुष भी
संसार में गुप्त नहीं रह सकते।
-व्यास
- पुरुषार्थ से
दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है,
मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय
नहीं होता। - चाणक्य
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शासन के समर्थक को जनता पसंद नहीं
करती और जनता के पक्षपाती को शासन। इन दोनो का प्रिय कार्यकर्ता
दुर्लभ है। - पंचतंत्र
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ख्याति नदी की भाँति अपने उद्गम
स्थल पर क्षीण ही रहती है किंदु दूर जाकर विस्तृत हो जाती है।
-भवभूति
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कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से
साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का
नाश होता है।- विदुर
- सारा जगत स्वतंत्रता के लिए
लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता
है।
- श्री अरविंद
- बुद्धि के सिवाय विचार प्रचार का
कोई दूसरा शस्त्र नहीं है, क्योंकि ज्ञान ही अन्याय को मिटा
सकता है।
- शंकराचार्य
- खुद के लिये
जीनेवाले की ओर कोई ध्यान नहीं देता पर जब आप दूसरों के लिये जीना सीख
लेते हैं तो वे आपके लिये जीते हैं।
- श्री परमहंस योगानंद
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फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म
करनेवाला मनुष्य ही मोक्ष प्राप्त करता है।
- गीता
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- बच्चों को
पालना, उन्हें अच्छे व्यवहार की शिक्षा देना भी
सेवाकार्य है, क्योंकि यह उनका जीवन सुखी बनाता
है।
- स्वामी रामसुखदास
- समस्त भारतीय
भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह
देवनागरी ही हो सकती है।
- (न्यायमूर्ति) कृष्णस्वामी अय्यर
- मस्तिष्क
इन्द्रियों की अपेक्षा महान है, शुद्ध बुद्धिमत्ता
मस्तिष्क से महान है, आत्मा बुद्धि से महान है, और
आत्मा से बढकर कुछ भी नहीं है। -स्वामी शिवानंद
- जो कर्म छोड़ता
है वह गिरता है, कर्म करते हुए भी जो उसका फल
छोड़ता है वह चढ़ता है।
— महात्मा गाँधी
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- जबतक कष्ट सहने
की तैयारी नहीं होती तब तक लाभ दिखाई नहीं देता।
लाभ की इमारत कष्ट की धूप में ही बनती है। -
विनोबा
- विश्व की
सर्वश्रेष्ठ कला, संगीत व साहित्य में भी कमियाँ
देखी जा सकती है लेकिन उनके यश और सौंदर्य का आनंद
लेना श्रेयस्कर है। -श्री
परमहंस योगानंद
- तर्क से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा
जा सकता।
मूर्ख लोग तर्क करते हैं, जबकि बुद्धिमान विचार करते हैं।
-श्री परमहंस योगानंद
- दीपक सोने का हो
या मिट्टी का मूल्य उसका नहीं होता, मूल्य होता है
उसकी लौ का जिसे कोई अँधेरा, अँधेरे के तरकश का
कोई तीर ऐसा नहीं जो बुझा सके।- विष्णु प्रभाकर
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