भारतीय साहित्याकाश पर बैंक ऑफ बडौदा का इन्द्रधनुषी आलोक
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में : 5 फरवरी 2002 को प्रो गुरूदयाल सिंह का सम्मान करते हए
बैंक आफ बड़ौदा की लुधियाना शाखा के सहायक महा प्रबंधक
श्री वी के सेठ |
भारतीय बैंकिंग व्यवसाय की अग्रणी संस्था बैंक ऑफ बडौदा ने अपनी विशुद्ध व्यावसायिक चेतना में भारतीय साहित्य
की धड़कन की गहन अनुभूति करते हुए इसे भावनात्मक
अनुगूँज
प्रदान की है। उन्होंने 'भारतीय ज्ञानपीठ' से अलंकृत मूर्धन्य साहित्यकारों के छायाचित्रों से युक्त सन 2002 में एक डेस्क कैलेन्डर
प्रकाशित करके न केवल भारतीय साहित्य और साहित्यकारों का सम्मान
किया है अपितु जन सामान्य को अपनी साहित्यिक चेतना से परिचित भी
कराया है।
अब तक सम्मानित सभी 39 साहित्यकारों में से जीवित 13 साहित्यिक
मनीषियों को, जो देश के विभिन्न अंचलों में रह रहे
हैं, बैंक के उच्चाधिकारियों ने उनके घरों पर जाकर स्मृति
चिह्न भेंट कर सम्मानित करने का अभूतपूर्व कार्य किया है।
किसी वित्तीय संस्थान द्वारा भारतीय साहित्य जगत के प्रति ऐसा समर्पण भाषा
व साहित्य की श्रीवृद्धि एवं सुखद अनुभूतिका द्योतक है।
इस स्वर्णिम अध्याय के प्रणेता अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक श्री पीएसशेणॉय एवं उनके सहयोगियों द्वारा प्रज्वलित दीपपुंज समस्त साहित्य प्र्रेमियों के हृदय को
प्रकाशित कर रहा है।
बृजेश कुमार शुक्ला
नार्वे
से सांस्कृतिक समाचार
सुरेशचन्द्र
शुक्ल 'शरद आलोक' को अभिव्यक्ति स्वतन्त्रता पुरस्कार
नार्विजन राइटर
यूनियन ने सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को वर्ष 2002 के लिए अभिव्यक्ति
स्वतन्त्रता पुरस्कार प्रदान किया। नार्विजन राइटर यूनियन द्वारा यह
पुरस्कार उनके वार्षिक समारोह में हर वर्ष विश्व के किसी एक लेखक को
प्रदान किया जाता है। पुरस्कार राशि
50,000 क्रोनर है जो
ढाई लाख रूपये के बराबर है।
गत 23 वर्षों से
नार्वे में हिन्दीनार्वेजीय पत्रिकाओं
परिचय और स्पाइलदर्पण
का सम्पादन कर रहे सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
पहले भारतीय लेखक हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद
आलोक' को इसके पूर्व नार्वे मे पहले भी अनेक संस्थाओं ने पुरस्कृत
और सम्मानित किया है, जिनमें मुख्य हैं : नार्वेजीय लेखक
सेन्टर ( नार्विजन राइटर सेन्टर), नार्वेजीय सांस्कृतिक विभाग,
नार्वेजीय फिल्म संघ, आर्टिस्ट्स
एन्ड राइटर्स अगेन्स्ट रेसिजम, इडिंयन वेलफेयर सोसाइटी, इन्डܖनार्विजन
इनफारमेशन एन्ड कल्चरल फोरम नार्वे और अन्य हैं।
शरद आलोक के सात
कविता संग्रह हिन्दी में 1
वेदना 2 रजनी
3 नंगे पावों का सुख 4
दीप जो बुझते नहीं
5 एकता के स्वर 6 संभावनाओं
की तलाश 7
नीड़ में फँसे पंख और नार्वेजीय भाषा में एक कविता
संग्रह ' फ्रेम्मेदे फयूगलेर ' ( अनजान पंछी) शीर्षकों
से प्रकाशित हो चुके हैं। आपका एक कहानी संग्रह हिन्दी में अर्धरात्रि
का सूरज और
एक उर्दू में तारूफी ख़त शीर्षक
से छप चुका है। इस अवसर पर बधाई देने वालों में
नार्विजन राइटर यूनियन के अथ्यक्ष गाइर पोलेन, नार्विजन
राइटर सेन्टर की अध्यक्षा थूरिल ब्रेक्के, पूर्व अध्यक्षा थोवे नीलसेन,
लेखक सलाहकार थोम लौरिंगटन और अन्य थे। सुरेशचन्द्र शुक्ल
'शरद आलोक' नार्वे में पत्रकार हैं। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि हम
सभी को अन्याय के विरूद्ध और मानवता के मूलभूत अधिकारों
के लिये भी लिखना चाहिये। सभी समाजों और देशों में
कमजोर और बेसहारा लोग प्रताड़ित होते हैं और उन्हें आधारभूत
अधिकार नहीं मिल पाते , लेखक का दायित्व है कि उनके बारे में लिखे,
समाज के बारे में लिखे। यह कार्य कठिन है पर असंभव नहीं है।
इस
अवसर पर नार्वे में भारतीय राजदूत महामहिम निरूपम सेन ने लेखक
को बधाई देते हुए उन्हें भारत और नार्वे के मध्य सांस्कृतिक और
राजनैतिक सम्बन्धों को मजबूत करने वाला अनौपचारिक राजदूत
बताते हुए कहा कि इनके काव्य संग्रह
नीड़ में फँसे पंख
को अंग्रेजी और नार्वेजीय भाषा में प्रकाशित होना चाहिये।
भारत
से बधाई देने वालों में उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष एंव
वरिष्ठ लेखक केशरी नाथ त्रिपाठी, निदेशकउत्तर प्रदेश सूचना
निदेशालय उमेश कुमार सिंह चौहान, उपनिदेशक
त्रिपाठी जी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष सच्चिदानन्द
पाठक, उपाध्यक्ष एंव वरिष्ठ लेखिका डॉ बिद्याविन्दु सिंह, सचिव हिन्दी
अकादमी दिल्ली डॉ .रामशरण गौड़, निदेशक राजभाषा भारतीय
रेलवे डॉ विजय कुमार मेहरोत्रा, डॉ
सत्यभूषण वर्मा, डॉ स्ुानील जोगी, ब्रजेश सौरभ मुख्य
हैं।
भारत से एक और सांस्कृतिक
समाचार
सोनाञचल
साहित्यकार प्रतिष्ठा वार्षिक पर्व
पंडित दूधनाथ शर्मा शीश और डॉ . अनुज प्रताप सिंह पुरस्कृत
सोनाञचल साहित्यकार संस्थान इलाहाबाद के
तत्वाधान में लीलापुर कला ग्राम में 'सोनाञचल साहित्य प्रतिष्ठा
वार्षिक पर्व' सतीश चन्द्र शुक्ल 'भावुक'
के सौजन्य से सम्पन्न हुआ। इस पर्व के अन्तर्गत सांस्कृतिक सन्ध्या
एंव अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के साथ राजेन्द्र कुमार तिवारी दुकानजी की भाव
प्रस्तुति एंव जादूगर सोनी का जादुई प्रदर्शन सराहनीय रहा।
कार्यक्रम का उद्घाटन नार्वे से पधारे साहित्यकार
एंव स्पाइलदर्पण के सम्पादक डॉ . सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
द्वारा द्वीप प्रज्जवलन से हुआ और अध्यक्षता की सोनाञचल साहित्यकार
संस्थान के संस्थापक और वरिष्ठ कवि रमाशंकर पाण्डेय ' विकल' जी
ने। संस्थान के अध्यक्ष डॉ . हीरालाल पाण्डेय ने स्वरस्वती प्रतिमा पर
माल्यार्पण किया और नेहा और प्रज्ञा ने वाणी वन्दना प्रस्तुत
किया।
इस अवसर पर पंडित दूधनाथ शर्मा शीश को 'पं
.हरी राम द्विवेदी लोकभाषा सेवा सम्मान'
एंव डॉ . अनुज प्रताप सिंह
को 'डॉ .
सुरेशचन्द्र शुक्ल राष्ट्रभाषा प्रचार सम्मान' अंगवस्त्रम, सम्मानपत्र
सहित सम्मानित किया गया। पंडित दूधनाथ शर्मा शीश लोक भाषा के
लोकप्रिय कवि हैं। डॉ . अनुज प्रताप सिंह
अमेठी उत्तर प्रदेश
में स्नाकोत्तर विद्यालय में प्राध्यापक हैं तथा एक अच्छे कहानीकार हैं।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आरम्भ सोनभद्र
से पधारे जितेन्द्र कुमार सिंह 'संजय' की वाणी वन्दना से हुआ।
श्रोताओं से परिपूर्ण परिसर को काव्यमय बनाने वाले पूरी रात
चले इस कवि सम्मेलन
में पंडित दूधनाथ शर्मा शीश, वरिष्ठ कवि रमाशंकर पाण्डेय '
विकल', डॉ .प्रकाश द्विवेदी, डॉ .लालजी सिंह बिसेन, दिनेश
गुक्कज, डंडा बनारसी, बेहोश जौनपुरी, विजय 'मधुरेश', डॉ .अनुज प्रताप सिंह, डॉ . सुरेशचन्द्र शुक्ल,
डॉ . हीरालाल पाण्डेय, शिवाकान्त त्रिपाठी ' सरस', सुधाकान्त मिश्र '
बेलाला', उमाकान्त पाण्डेय, बिहारी लाल 'अंम्बर', राकेश त्रिपाठी
'पुरकैफ', शिवपाल सिंह ' शिव', जितेन्द्र
कुमार सिंह 'संजय', राजेन्द्र कुमार तिवारी 'दुकानजी',
महेन्द्र कुमार शुक्ल, पंकज कुमार वर्मा, सतीश चन्द्र
शुक्ल 'भावुक', राम चन्द्र शुक्ल, शम्भूनाथ त्रिपाठी
'अंशुल', आदि ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का पर्याप्त आहलाद
किया। बालकलाकार अभिजित पाण्डेय 'सन्नी' ने कार्यक्रम के शुभारम्भ
में आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किये। सम्पूर्ण कार्यक्रम का श़ालीनता से
संचालन आचार्य शम्भूनाथ त्रिपाठी 'अंशुल' ने किया।
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