यू
के से साहित्य समाचार
ब्रिटेन में यूके हिन्दी समिति द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट कविसम्मेलन
!
अन्य वषों की भाँति इस वर्ष भी हिन्दी समिति यूके ने ब्रिटेन में चार दिवसीय (24252627 अगस्त 2001) काव्यसम्मेलनों का आयोजन यॉर्क, मैनचेस्टर,
बरमिंघम और लंदन में सफलता पूर्वक सम्पन्न किया।
इग्लैण्ड के प्रसिद्ध कॉनवाय हॉल, होर्बन, लंदन के विशाल सभागार में 28 अगस्त 2001 को कार्यक्रम का आरम्भ 'पुरवाई' पत्रिका की सहसंपादिका, कवियत्री उषा
राजे सक्सेना ने भारत एवं स्थानीय कवियों का मंच पर स्वागत करते हुए कहा, ' पिछले ग्यारह वर्षों से हिन्दी समिति यूके अपने अथक परिश्रम से वार्षिक उत्सव के
रूप में बरतानियाँ में काव्य सम्मेलन आयोजित कर भारत एवं बरतानियाँ के बीच साहित्यिक सेतु बना रही है। जो अच्छे साहित्यक आदानप्रदान की आधारशिला
है।'
श्री केशरी नाथ त्रिपाठी विधानसभा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश ने द्वीप प्रज्वलित कर कवि सम्मेलन को आशिर्वाद देते हुए अध्यक्षता का भार स्वीकार किया।
नेहरू केन्द्र की कार्यक्रम आयोजिका श्रीमती दिव्या माथुर ने सरस्वती वन्दना के पश्चात् औपचारिक ढंग से श्रोताओं एवं अतिथियों का स्वागत किया।
कवि सम्मेलन में भारत से आए हिन्दी विधान सभा अध्यक्ष श्री केशरी नाथ त्रिपाठी जी, श्री गिरधर राठी, डा अरूण कमल, श्री सीतेश आलोक, श्री नरेश शांडिल्य,
डा सुरेश एवं गीतकार सुमन दुबे तथा स्थानीय कवियों में डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव, रूपर्ट स्नेल, अनिल शर्मा, दिव्या माथुर, उषा वर्मा, कृष्ण कुमार एवं श्यामा कुमार मंच
पर उपस्थित थे। काव्य पाठ का संचालन बीबीसी हिन्दी, लंदन के प्रेजेन्टर श्री भारतेंदु विमल जी ने अत्यंत रोचक ढंग से किया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में दिल्ली से आए डा गिरधर राठी की वैचारिक कविता 'उनींदे की लोरी' की पंक्तियाँ 'साँप सुने अपनी फुफकार और सो जाए, चीटियाँ बसा
ले अपना घरबार और सो जाए गुरखे कर जाएँ खबरदार और सो जाएँ , में छिपे व्यंग्य को सुधी श्रोताओं ने तहे दिल से सराहा साथ ही सीतेश आलोक की
पंक्तियाँ 'सब सुख देना, पर ऐसा सुख प्रभु न मुझे मिल पाए पास कोई रोता रहे, मुझे नींद आ जाए।' को भी श्रोताओं ने बहुत पसंद किया। वही अरूण कमल जी
की रचनाओं का अपना अलग स्वर था 'अपना क्या है इस जीवन में, सब तो लिया उधार, सारा लोहा उन लोगों का, अपनी केवल धार' का सबने लोहा माना और
सभागार तालियाँ की गड़गड़ाहट से देर तक गूंजता रहा। नरेश शांडिल्य ने दोहा 'बेशक होगा शाह वो, मैं अलमस्त फकीर, उनके पास कुबेर है अपने पास कबीर' से
काव्यपाठ प्रारम्भ कर श्रोताओं को दोहों और कविताओं के चुटीलेपन और सादगी से प्रभावित करते हुए हरिप्रसाद चौरसिया एवं बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई पर
कविताएं सुना कर भारत के प्रसिद्ध कलाकारों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कोकिल कंठी सुमन दुबे के श्रृंगार रस के गीतों ने कुछ ऐसा जादू जगाया कि सभागार
वाह! वाह! और तालियों की मधुर ध्वनि में देर तक डूबा रहा। श्रोताओं के इसरार पर सुमन दुबे ने कई गीत गाएं 'पोरूष की बेटी हूँ सिकंदर से मिलुंगी' को श्रोताओं
ने बहुत पसंद किया। डा सुरेश जी का गीत 'इस नगर है उस नगर है, पाँव में बांधे सफर है नींद के मारे, हम थके हारे, हम तो ठहरे यार बंजारे' अत्यंत लोकप्रिय
रहा।
कार्यक्रम के मध्य में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव को हिन्दी सेवा सम्मान तथा पियाली रे को संस्कृति सेवा सम्मान तथा श्री कृष्ण बिहारी लाल
सक्सेना जी को हिन्दी सेवा प्रशस्ति पत्र से भारतीय उच्चायुक्त महामहिम श्री नरेश्वर दयाल जी ने सम्मानित किया। ये पुरस्कार कनेरा बैंक द्वारा आयोजित थे।
कार्यक्रम के दौरान डा गौतम सचदेव के व्यक्तित्व पर लिखी गई पुस्तक 'गरिमा' के लोकार्पण के पश्चात् अपने भाषण में महामहिम ने कहा, 'विश्व हिन्दी सम्मेलन
1999 के आयोजन के पश्चात् यूके हिन्दी समिति एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में उभरी है। आज हिन्दी को अगली पीढ़ी, एवं आम जनता तक ले जाने की
आवश्यकता है। इसके लिए कवि सम्मेलन एक सेतु का काम करता है'। सम्मेलन के मध्य में श्री पद्मेश गुप्त जी ने घोषणा की कि इस वर्ष यूके हिन्दी समिति ने
भारतेंदू विमल जी की 'सोन मछली' नामक उपन्यास को प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। प्रकाशक होंगे दिल्ली के जाने माने प्रकाशक 'वाणी प्रकाशन'। साथ ही
उन्होंने यह भी कहा कि यूके हिन्दी समिति ब्रिटेन में रहने वाले रचनाकारों को प्रेरणा देने के लिए प्रति वर्ष एक चयनित पुस्तक का प्रकाशन करेगी।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में डा रूपर्ट स्नेल ने ब्रज भाषा में दोहे सुना कर श्रोताओं को चकित एवं विभोर किया साथ ही डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव की मुक्त वैचारिक कविता
का भी श्रोताओं ने भरपूर तालियों से स्वागत किया। अनिल शर्मा की कविता 'सीता को सोने का मृग चाहिए' ने श्रोताओं को स्वार्थों की अंधी दौड़ के संदर्भ में कुछ
सोचने को मजबूर किया वही दिव्या माथुर द्वारा पढ़े गए 'ख्याल तेरा' पर रोमांटिक रचनाएं श्रोताओं को गुदगुदा गई।
बरमिंघम के डा कृष्ण कुमार, लंदन के भारतेंदु विमल, यॉर्क की उषा वर्मा तथा मैनचेस्टर की श्यामा कुमार की हृदयग्राही रचनाएं कवि सम्मेलन को सफल एवं रसपूर्ण बनाती रही।
कार्यक्रम का समापन उषा राजे सक्सेना जी ने गणमान्य अतिथियों, कवियों, श्रोताओं विशेषकर कार्यक्रम संयोजक यूके हिन्दी समिति के अध्यक्ष श्री पद्मेश को
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए किया।
|