त्रिनिडाड
में साहित्यिक आयोजन
चित्र में बाएं से
भारतीय उच्चायुक्त प्रो परिमल कुमार दास, त्रिनिडाड संस्कृति
विभाग के निदेशक और प्रसिद्ध सितार वादक मंगल पटेसर तथा
प्राचार्य कवि और लेखक प्रेम जन्मेजय।
त्रिनिडाड, पिछले
दिनों हिन्दी साहित्य के वातावरण को बनाए रखने के लिए प्रेम
जनमेजय के संयोजन में दो साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए
गए। भारतीय उच्चायोग
में आयोजित छठी कवि गोष्ठी की अध्यक्षता, भारतीय उच्चायुक्त
प्रोफेसर परिमल कुमार दास ने की।
इस कवि गोष्ठी की विशेषता यह रही कि इसमें त्रिनिडाड और
टुबैगो के अनेक उभरते कवियों के साथसाथ साठ के लगभग
श्रोताओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया।
भारतीय उच्चायुक्त के अतिरिक्त उच्चायोग के काउंसलर श्री
राजेंद्र भगत 'मेघ' , सुमीता चक्रवर्ती ब्रुम्स, डॉ सिल्विया
मूदी कुबलाल सिंह, चेतराम महाराज, विवेक रघुनन्न, डॉ
आशा, नीतू महाराज, शलाना, मनोज बुद्धिराजा, रामदास,
जेन्सी सम्पत, डेफने पैरिस, सावित्री आदि ने कविता पाठ किया।
त्रिनिडाड के हिन्दी प्रेमियों में हिन्दी
साहित्य लेखन के प्रति बढ़ती हुई रूचि को देखते हुए, प्रेम जन्मेजय
के संयोजन में, हिन्दी साहित्य लेखन कार्यशाला, 'लेखक मंडल'
का उद्घाटन भारतीय उच्चायुक्त ने किया। प्रेम जन्मेजय ने
बताया कि नरेंद्र कोहली से मिले 'लेखक मंडल' के संस्कार का यह एक
बीज है। माह में एक बार चलने वाली इस कार्यशाला में नए
रचनाकार अपनी रचनाओं के साथ उपस्थित होंगे और हिन्दीसाहित्य लेखन की बनावट को जानेंगें। प्रोफेसर परिमल
कुमार दास ने अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि मेरे लिए काव्यरचना अपने से बातचीत करने का एक माध्यम है। इस अवसर पर
उपस्थित, त्रिनिडाड एवं टुबैगो के संस्कृति मंत्रालय में सांस्कृतिक
निदेशक मंगल पटेसर ने इसे हिन्दी साहित्य लेखन की सशक्त जमीन
का आधार बताते हुए एक ऐतिहासिक शुरूआत कहा। इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध
कवियत्री राजेनदई चेन, द्वितीय सचिव संस्कृति एवं हिन्दी विनोबा
कुमार संदलेश, महात्मा गांधी सांस्कृतिक संस्थान के निदेशक
राजेश श्रीवास्तव वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर लेंग्वेज
लर्निंग की निदेशिका डॉ सिल्विया मूदी आदि ने विश्वास व्यक्त
किया कि यह कार्यशाला त्रिनिडाड के उभरते हिन्दी लेखकों को अवश्य ही
एक दिशा प्रदान करेगी।
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अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा
कथा सम्मान
लंदन, 21मई 2001, दूसरा अंतर्राष्ट्रीय
इंदु शर्मा कथा सम्मान भारत के जाने माने कथाकार संजीव
को उनके सद्यःप्रकाशित उपन्यास "जंगल जहाँ शुरू होता
है" के लिये देने का निर्णय किया गया है।
इस पुरस्कार के
अंतर्गत दिल्ली लंदन दिल्ली आने जाने का हवाई टिकट (एअर
इंडिया द्वारा प्रायोजित) इंगलैंड के लिये वीसा शुल्क, एक शील्ड,
लंदन में मुख्य न्यासी परिवार के साथ एक सप्ताह तक रहने की
सुविधा तथा लंदन के ख़ास ख़ास दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि
शामिल होगा। यह पुरस्कार संजीव
जी को लंदन के नेहरू सेंटर में 16 जून
2001 की शाम को एक भव्य
आयोजन में प्रदान किया जाएगा।
संजीव कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में
पिछले दो दशकों से निरंतर सक्रिय हैं और अपनी कहानियों के
तेवर, विषय वस्तु और बेलाग भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं। आपकी अन्य उल्लेखनीय कृतियां हैं
उपन्यास : सर्कस, सावधान नीचे आग है, किशनगढ़ के अहेरी,
धार, पांव तले की ज़मीन आदि।
कहानी संग्रह
: तीस साल का
सफरनामा, आप यहाँ हैं, भूमिका तथा अन्य कहानियाँ
दुनियाँ
की सबसे हसीन औरत, प्रेम मुक्ति इत्यादि।
इंदुशर्मा मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना
1995 में संभावनाशील कथा लेखिका एवं कवियित्री इंदु शर्मा की
समृति में की गयी थी। इंदु शर्मा का कैंसर से लड़ते हुए अल्प आयु
में ही निधन हो गया था। तब से लंदन में इंदु शर्मा
मेमोरियल ट्रस्ट "कथा यू के" के नाम से कार्य कर रहा
है।
अब तक इसके द्वारा गीतांजलि, श्री धीरेन्द्र
अस्थाना, अखिलेश, देवेन्द्र तथा मनोज रूपड़ा को सम्मानित किया जा
चुका है। पिछले वर्ष यह पुरस्कार सुश्री चित्रा मुदगल को उनके
उपन्यास 'आवां' के लिये दिया गया था।
पिछले वर्ष यू के में बसे हिन्दी
लेखकों के साहित्य को सम्मानित करने की योजना भी बनाई गयी
थी और इंगलैंड के प्रतिष्ठित हिन्दी लेखक डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव को
उनकी कृति 'टेम्स में बहती गंगा की धार' के लिये प्रथम पदमानन्द
साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया था।
इस वर्ष यह सम्मान सुश्री दिव्या
माथुर को उनके कहानी संग्रह आक्रोश के लिये दिया जा रहा है।
इससे पहले उनके दो कविता संग्रह 'अंतः सलिला' एवं 'ख्याल' प्रकाशित
हो चुके हैं।
इस कार्यक्रम में यू के के साहित्य और
पत्रकार जगत की महत्वपूर्ण हस्तियां शामिल होंगी। |
शंभुनाथ को देवीशंकर
अवस्थी पुरस्कार
'संस्कृति की उतरकथा' शीर्षक पुस्तक के
लिए हिंदी के जानेमाने आलोचक डॉ . शंभुनाथ को वर्ष 2000
का 'देवीशंकर अवस्थी पुरस्कार' रवींद्र भवन, नई दिल्ली में प्रदान
किया गया। हिंदी आलोचना के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के
लिए प्रतिवर्ष यह सम्मान दिया जाता है। डॉ . पी .सी . जोशी, डॉ
. अजित कुमार, प्रो . नित्यानंद तिवारी, डॉ . मैनेजर पांडेय एवं
कृष्ण कुमार इस बार के निर्णायक थे।
21 मई, 1948 को जन्मे डॉ .
शंभुनाथ की पुस्तक 'संस्कृति की उतरकथा' आज के संदर्भो में
विवेचन और विश्लेषण के नए संकेत प्रस्तुत करती है।
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