कोरियाई लोक कथाएं का
लोकार्पण
चित्र में बाएं से दाएं
लेखक डा दिविक रमेश दक्षिण कोरिया के राजदूत महामहिम चोंग मू
ली तथा डा लक्ष्मीमल्ल सिंघवी
हाल ही में पीतांबर पब्लिशिंग कंपनी
और कोरियाई राजदूतावास के तत्वाधान में वरिष्ठ साहित्यकार दिविक
रमेश की पीतांबर द्वारा नव प्रकाशित और कोरियाई लोक कथाओं की
हिन्दी में पहली कृति कोरियाई लोक कथाएं ' का लोकार्पण
प्रख्यात न्यायविद एवं सांसद डा लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के कर कमलों
द्वारा इंडिया नेशनल सेंटर में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि दक्षिण
कोरिया के राजदूत महामहिम चोंग मू ली थे। इस अवसर पर भारत
और कोरिया के अनेक साहित्यकार, पत्रकार, प्रोफेसर एवं विद्वान
उपस्थित थे। इनमें केदारनाथ सिंह, विष्णु खरे, राजेन्द्र अवस्थी,
रमेश कौशिक, शेरजंग गर्ग, सुनीता जैन, शीला
झुनझुनवाला, जगदीश चतुर्वेदी, प्रेम जन्मेजय, प्रताप सहगल,
महेश दर्पण, राजा खुगशाल, अमर गोस्वामी, श्याम सुशील,
रमेश आज़ाद, विश्व मोहन तिवारी, अजित राय, श्री कांग,
नलिनी, कमलिनी, प्रोफेसर दो यंग किम, प्रोफेसर आर आर
कृष्णन, प्रोफेसर नूर, एस बलवंत, सविता चड्ढा आदि प्रमुख थे।
संचालन डा मंजू गुप्ता ने किया।
कृष्णा सोबती को शलाका सम्मान
हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा 31
मार्च को मावलंकर सभागार में साहित्यकार एवं
कृति सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह में वरिष्ठ रंगकर्मी जोहरा सहगल ने
सभी साहित्यकारों को सम्मानित किया। मुख्य अतिथि थे शिक्षामंत्री नरेंद्रनाथ।
समारोह की अध्यक्षता हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी
ने की। मंच संचालन
अशोक चक्रधर ने किया।
वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीमती जोहरा
सहगल ने कहा कि यह समारोह प्रज्ञा से उठते हुए स्वर के आगे सिर
झुकाने का उत्सव है। यह
विवेक की सराहना का अवसर है।
शलाका सम्मान से सम्मानित
कथाकार कृष्णा सोबती ने कहा कि एक लेखक शब्द के सत्य के प्रति अपनी
आस्था को पंक्तिबद्ध करने का काम करता है। एक लेखक जितना मामूली लगता है उतना मामूली वह नहीं
होता है। साथ ही जितना
असाधारण लगता है उतना असाधारण भी नहीं होता। उन्होंने कहा कि लेखक की एक तीसरी आँख भी होती है जिससे वह
उन चीजों को भी देख लेता है जिसे दूसरे नहीं देख पाते।
हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष जनार्दन
द्विवेदी ने सम्मानित साहित्यकारों को बधाई देते हुए कहा कि प्रत्येक
बड़े परिवर्तन में शब्द की अहम भूमिका रही है। उन्होंने
घोषणा की कि अगले वर्ष उन अहिंदी भाषी लेखकों को भी हिंदी
अकादमी सम्मानित करेगी जो अपनी भाषाओं में लिखते हुए भी हिंदी
भाषा का प्रचारप्रसार कर रहे हैं।
कथाकार कृष्णा सोबती को वर्ष 20002001
का शलाका सम्मान के रूप में 1,11,111 रूपए का चेक, शाल तथा प्रशस्तिपत्र
भेंट किया गया। साहित्यकार सम्मान (वर्ष 20002001) से
सम्मानित किए गए साहित्यकारों में निर्मला जैन, सत्येंद्र शरत,
मैनेजर पांडेय, प्रेम कपूर, सोहनपाल सुमनाक्षर, कमल कुमार,
धर्मेंद्र गुप्त, रमेशदत शर्मा, वीरेंद्र साँधी तथा रवींद्र
त्रिपाठी शामिल है। प्रत्येक साहित्यकार को 21000 रूपये का चेक,
शाल तथा प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया।
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काका हाथरसी सम्मान
सरोजनी प्रीतम को
काका हाथरसी सम्मान वर्ष 20002001 हास्यव्यंग कविता के लिए
सरोजनी प्रीतम को प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें 21000 रूपए का चेक, शाल तथा प्रशस्तिपत्र
प्रदान किया गया।
बशीर अहमद मयूख पुरस्कृत
हिन्दी के जानेमाने लेखक बशीर
अहमद मयूख को के .के . बिड़ला फाउंदेशन का प्रतिष्ठित 'बिहारी'
पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उनके काव्य
संग्रह अवचू अनहद नाद सुने के लिए दिया जा रहा है। इस
पुरस्कार के तहर एक लाख रूपए की राशी प्रदान की जाती है। ज्ञातव्य
है कि फाउंडेशन का यह पुरस्कार केवल राजस्थान के हिंदी लेखक कोही
दिया जाता है।
रामदरश मिश्र
रचनावली का लोकार्पण
पिछले दिनों नई दिल्ली में
हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार रामदरश मिश्र की रचनावली (14 खंड) का
लोकार्पण सुप्रसिद्ध लेखक विष्णु प्रभाकर ने किया। लोकार्पण करते हुए विष्णु प्रभाकर ने कहा कि जो लेखक
जीवन को करीब से देखता है वही उसकी सही व्याख्या प्रस्तुत कर सकता
है।
लोकार्पण से पूर्व रचनावली
की सहसंपादिका डॉ . स्मिता मिश्र ने अपने संपादकीय अनुभवों की
चर्चा की। अपने लिखित
आलेख में डॉ . प्रकाश मनु ने मिश्रजी की कविताओं में शक्ति और
ऊर्जा के उल्कापिंड देखे।
इस अवसर पर नित्यानंद तिवारी
ने कहा कि डॉ . मिश्र गरीबी, भुखमरी, अभाव को अपनी रचनाओं
में उतारते हैं। उन्होंने
कहा कि मिश्रजी ने किसी दर्शन, वाद या अंतरराष्ट्रीय स्तर की रचनाएँ
पढ़कर अपना साहित्य नहीं लिखा है।
वे आम आदमी की जिंदगी का साहित्यक दस्तावेज है।विष्णुचंद्र शर्मा ने कहा कि रामदरश मिश्र ऐसी कमली है,
जिस पर कोई दूसरा रंग नहीं चढ़ सकता।विश्वनाथ त्रिपाठी ने कहा कि यह उनके लेखकीय संतोष का सुफल
है कि मिश्रजी इस आयु में भी रचनात्मकता को बचाए हुए हैं।
वरिष्ठ कथाकार कमलेश्वर ने
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि आज की रचनाएँ ज्यादा प्रशस्तिगान
से छपती हैं। यही रचनाएँ
साहित्य को अशुद्ध करती है, लेकिन रामदरश मिश्र की रचनाएँ किसी
प्रशस्तिगान से नहीं छपी हैं।
विशिष्ट कृति
सम्मान महावीर त्यागी को
इस अवसर पर विशिष्ट कृति सम्मान वर्ष
19992000 महावीर त्यागी (निधनोपरांत) को उनकी कृति आजादी का
आंदोलन : हँसते हुए आँसू के लिए प्रदान किया गया।
साहित्यिक कृति वर्ष 19992000 सम्मान से सम्मानीत किए गए
साहित्यकारों में रामशरण जोशी, चित्रा मुद्गल, मक्खनलाल
शर्मा, भगवानदास मोरवाल, प्रताप सहगल, रूपसिंह चंदेल,
रमेशचंद्र मिश्र, देवेंद्र राज अंकुर, राज बुद्धिराजा तथा गोहर रजा
शामिल है। साहित्यिक कृति सम्मान से सम्मानित साहित्यकारों
को 11000 रूपए का चेक, शाल तथा प्रशस्तिपत्र प्रदान किए गए।
साथ ही बाल साहित्य कृतिसम्मान
(वर्ष 19992000) से सम्मानित किए गए साहित्यकारों में पद्मश्री चिरंजीत, बलवीर त्यागी, चित्रा गर्ग,
वंदना जोशी तथा बी .आर . धर्मेंद्र त्यागी शामिल हैं।
बाल साहित्य कृति सम्मान से सम्मानित किए गए साहित्यकारों को
5100 रूपए का चेक, शाल तथा प्रशस्तिपत्र प्रदान किए गए।
कार्यक्रम के अंत में हिंदी अकादमी के
सचिव रामशरण गौड़ ने कहा कि साहित्यकारों ने हिंदी अकादमी का
सम्मान स्वीकार कर अकादमी का गौरव बढ़ाया है। |