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संयुक्त अरब इमारात में हाइकु कार्यशाला-

संयुक्त अरब इमारात, शारजाह 27 जुलाई 2007 को स्थानीय साहित्य, कला और नाटक प्रेमियों द्वारा एक हाइकु कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का संचालन अभिव्यक्ति और अनुभूति की संपादक पूर्णिमा वर्मन ने किया जो स्वयं भी हाइकु लिखती हैं।

कार्यशाला का प्रारंभ पूर्णिमा वर्मन के एक संक्षिप्त व्याख्यान से हुआ जिसमें उन्होंने हाइकु की परिभाषा और भारत में इसके जन्म तथा विकास के विषय में बताया। प्रकाश सोनी ने डॉ जगदीश व्योम द्वारा संपादित "हाइकु दर्पण" से भारत में हाइकु के पितामह डॉ सत्य भूषण वर्मा के एक लेख का पाठ किया जिससे हाइकु के स्वरूप को विस्तार से समझा जा सके। इसके बाद प्रतिभागियों को हाइकु लिखने का मौका दिया गया। इस अभ्यास ने कार्यशाला को और भी दिलचस्प बना दिया। सभी ने हाइकु में अपनी अनुभूतियों को व्यक्त करना शुरु किया और परिणाम बहुत ही सफल रहे। कार्यशाला में भाग लेने वाले लोगों के लिए यह बड़ा ही रोमांचक अनुभव था क्योंकि इनमें से कुछ लोगों ने आज तक किसी भी भाषा में कोई भी कविता नहीं लिखी थी। सभी की रचनाएँ कार्यशाला के अंत में पढ़ी गईं। (कार्यशाला में लिखे गए हाइकु यहाँ पढ़े जा सकते हैं।)

बेरेल ने प्रतिभागियों की ओर से आयोजकों के प्रति आभार प्रकट किया। अंत में सबने डॉली कुमार द्वारा परोसे गए सुस्वादु भोजन का आनंद उठाया।

सुनीता सिंह


नार्वे में प्रेमचंद जयंती

31 जुलाई 2007 को वाइतवेत ओस्लो में भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से प्रेमचंद जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर शाहेदा बेगम और शरद आलोक ने अपनी कहानियों का पाठ किया तथा इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन और लीव एवेनसेन ने अपनी नार्वेजीय कवितायें पढ़ी। कार्यक्रम में प्रवासी रचनाकारों अरुणा शुक्ला, माया भारती, अलका भरत आदि ने अपने विचार रखे। भारतीय राजदूत ने अपना बधाई संदेश दिया।

विगत पाँच वर्षों से नार्वे में की भारतीय सांस्कृतिक संस्था 'भारतीय-नार्वेजीय सूचना और सांस्कृतिक फोरम' द्वारा प्रेमचंद जयंती मनाई जा रही है जिसमें प्रवासी लेखकों के अतिरिक्त नार्वेजीय लेखकों और नेताओं ने हिस्सा लिया है।

सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'


दिविक रमेश सम्मानित

कला संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में उत्तम योगदान के लिए इस वर्ष का 'द होम ऑव लैटरस इंडिया' भुवनेश्वर उड़ीसा का 'क्रियेटिव जॉयंट 2007' सम्मान डॉ. दिविक रमेश को मिला है । साथ ही संस्था ने इन्हें फैलो की उपाधि भी प्रदान की है ।

24 अगस्त 2007

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