आज हम बड़े बाजार गए
थे। बाजार से हमने रंगीन पेंसिलें खरीदीं। माँ और पिताजी
ने भी खरीदारी की। बड़े बाजार में झूले भी हैं। जब हम बड़े
बाजार जाते हैं तो खेलने वाली जगह पर खूब खेलते हैं।
मुझे और मीतू को चरखी वाले झूले पसंद हैं।
सबसे अच्छी है बतख वाली चरखी। जब हम बतख वाली चरखी पर बैठ
जाते हैं तब वह तेजी से घूमती है और बतखें उड़ने लगती हैं।
उड़ते समय पेट में गुदगुदी होती है। जब पेट में गुदगुदी
होती है तब हम जोर से चिल्लाते हैं। चिल्लाने से बहुत मज़ा
आता है और गुदगुदी
ठीक हो जाती है।
माँ और पिताजी बतखों वाली चरखी पर नहीं
बैठते। वह केवल बच्चों के लिये है।
- पूर्णिमा वर्मन |