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फुलवारी

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आसमान की सैर

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मनु और मीता आसमान की सैर को निकले।
दूर दूर तक फैला नीला आसमान!
शीतल हवा और जगमग तारे। कहीं कहीं बादल, नरम नरग गद्दों की तरह।
वहाँ उन्हें छोटा भालू मिला। उसका नाम छुटकू था। छुटकू पढ़ाकू था। हर समय किताब उसके हाथ में रहती और वह रात में भी धूप का चश्मा लगाए रहता। मनु और मीता उससे मिलकर बहुत खुश हुए। छुटकू ने उन्हें तीन किताबें दीं। किताबों में अच्छी अच्छी कहानियाँ थीं।
 

मनु और मीता भी सैर करते-करते थक गए थे। वे बादलों के गद्दे पर लेटकर कहानियाँ पढ़ने लगे। बादलों के गद्दे में सितारे टँके थे। सितारे जगमग करते थे।

कहानियों की एक किताब मनु के हाथ में थी और दूसरी छुटके भालू के हाथ में। मीता के पास किताब नहीं थी। वह पीछे से मनु की किताब में झाँक रही थी। कहानी मजेदार थी, चित्र भी। बहुत देर तक वे दोनो कहानियाँ पढ़ते रहे। साथ में छुटका भालू भी धूप का चश्मा लगाकर कहानियों की किताब पढ़ता रहा।
भला कोई धूप का चश्मा लगाकर किताब पढ़ता है?

- पूर्णिमा वर्मन

१० दिसंबर २०१२  

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