चलो हम दीपावली सजाते हैं।
मनु बोला।
हाँ चलो हम मिलकर सजाएँ। हम क्या सजाएँगे?
मीता ने पूछा।
मैं एक चित्र लाया हूँ इसको दीवार पर लगा देते हैं। मनु
दीये वाला एक चित्र दीवार पर लगाने लगा।
दीवार पर ताख थे। माँ ने ताख में दिये रख दिये। फिर माँ ने
फर्श पर एक रंगोली बना दी।
कितने सुंदर लग रहे हैं! मीता ने अपने दोनो हाथ कमर पर
रखते हुए सोचा।
बाबा ने दरवाजे पर कुछ सितारे वाले तोरण लगा दिये
थे।
देखो देखो वे फुलझरियों जैसे लग रहे हैं। मीता ने कहा।
हाँ वे रात में और भी जगमग करेंगे। मनु ने कहा।
क्या मैं सीढ़ियों पर दिये सजा दूँ ?
मीता ने माँ से पूछा।
सँभालकर सजाना, कहीं हाथ न जल जाए। माँ ने कहा।
माँ रसोई में पूरियाँ बना रही
थी। बाबा मिठाई लाने बाजार गए थे। थोड़ी ही देर में पूजा
होगी। फिर वे मिलकर फुलझरियाँ जलाएँगे।
- पूर्णिमा वर्मन |