नागरिक
३- दादा, लाउड
स्पीकर मँगवाएँ?
नागरिक १- पैसा तू देगा? समझता नहीं यार! (डुग्गीवाले
को एक नागरिक-२ सिगरेट पिला रहा है।) लाउडस्पीकर तो यह खुदै है
भाई। ये डुगडुगी का मतलब तो समझते हो न?...नहीं? समझाओ इसे!
डुगडुगीवाला- डुगडुगी का मतलब है, सरकारी फ़रमान। और
सरकारी फ़रमान का क्या है, कि ज़रूरी नहीं कि वह सुनाई दे।
सरकारी फ़रमान का शोर सुनाई देना ज़रूरी है बस! फ़रमान में
क्या कहा गया हर एक नागरिक का कर्तव्य है कि वह पता लगाकर जान
ले। जल्दी लेन लगाओ भाई।
नागरिक १- लगाओ भई! जल्दी-जल्दी! खड़े हो जाओ बाबा!
नागरिक ५- ऐसई दे दो भइया। खड़े नहीं हुआ जाता, पाँव
कूदता है।
नागरिक २- अच्छा ठीक है। बैठे ही रहो।
नागरिक ३- लेकिन दादा, और लोगों को कैसे मालूम होगा?
यहाँ तो तीन-चार लोग ही हैं।
नागरिक १- उसकी डयूटी पार्टी के लोगों की है। अपनी।
डुगडुगीवाला- शुरू करैं?
नागरिक १- एक मिनट! ...ज़रा मेरे लिए बजाइये!
डुगडुगीवाला- आपके लिए?
नागरिक १- तनिक बजाइये न! (डुगडुगीवाला बजाता है।)
देवियों और सज्जनों! कौन कहता है कि सरकार सो रही है? आप लोग
आज खुद देखेंगे कि सरकार हमारी कितनी फ़िक्र कर रही है। 'हमारे
लिए' वो नित नई योजना ले आ रही है। ध्यान रखिए! 'हमारे
लिए'...'हमारे लिए' ! तो हमारा भी तो फ़र्ज़ बनता है कि हम
सरकार के लिए भी कुछ करें। सरकार हमसे कुछ नहीं चाहती। वह हमसे
सिर्फ़ वोट चाहती है। तो आइए, हम सब संकल्प करें कि अगले चुनाव
में हम सरकारै को वोट दें। आप लोग तो जानते हैं हमारे राजा
साहब खुद सरकार हैं, चाहे तो चुनाव कराएँ, चाहे न कराएँ। ये तो
उनकी भलमनसाहत है, जो वो चुनाव करवाते हैं, नहीं तो कोई उनका
क्या उखाड़ लेगा? बोलो महाराज अनंत सुखदाता की!
सभी- जय!!
डुगडुगीवाला डुगडुगी बजाता है।
नागरिक १- अब आप शुरू
करिए!
डुगडुगीवाला- सुनो-सुनो-सुनो! हर ख़ास और आम को...
नागरिक १- एक बात ध्यान रखिएगा आप लोग! ये जो घोषणायें
हो रही हैं, आप लोगों के लिए हैं। और कौन करा रहा है? सरकार
करा रही है। सरकार कौन है? सरकार खुद महाराज हैं। महाराज अनंत
सुखदाता की?
सभी- जय!
नागरिक १- अब शुरू करिए!
डुगडुगीवाला- सुनो-सुनो-सुनो! हर ख़ास और आम को सूचित
किया जाता है, कि महाराजधिराज अनंत सुखदाता ने आम नागरिकों के
सुख और चैन की ख़ातिर, सरकारी नीतियों में भारी फेरबदल कर दिया
है। ध्यान से सुनो! पहला - अब कर देने आपको कहीं नहीं जाना
होगा। अब कर लेने वाले खुद आपके घर आएँगे। (डुगडुगी)
नागरिक १- ये तो बहुत बड़ी सुविधा है।
नागरिक २- महाराज अनंत सुखदाता की?
सभी- जय!
डुगडुगीवाला- सुनो-सुनो-सुनो! महाराज अनंत सुखदाता का
दूसरा ऐलान सुनो! अब नागरिकों को महँगाई से मुक्ति मिल जाएगी!
अब विदेशों से सस्ता कपड़ा, सस्ता अनाज और सस्ती शराब आएगी।
(डुगडुगी)
नागरिक १- तालियाँ! (लोग ताली बजाते हैं।) वाह-वाह-वाह!
देखा आप लोगों ने, हमारे महाराज आपका कितना ख़याल रखते हैं!
नागरिक २- बोलो महाराज अनंत सुखदाता की?
सभी- जय!
डुगडुगीवाला- सुनो-सुनो-सुनो! महाराज अनंत सुखदाता का
तीसरा ऐलान - अब नागरिकों को सरकारी विभागों में लाइन नहीं
लगानी पड़ेगी। वहाँ अब बाबू नहीं, कंप्यूटर बैठेंगे जो झकाझक्क
काम करेंगे ! (डुगडुगी)
नागरिक १- बोलो महाराज अनंत सुखदाता की?
सभी- जय!
नागरिक ५- बाबू! ओ बाबू! सामान बँटवाओ न अब!
नागरिक ३- अरे बाबा, चुप बैठो! यहाँ सामान नहीं मिलेगा।
यहाँ उससे कहीं ज़्यादा काम की, ज़्यादा फ़ायदे की बात हो रही
है। पब्लिक भी क्या हो गई है यार ! (नागरिक ५ उठने लगता है।)
कहाँ चल दिए! चुपचाप बैठो!
डुगडुगीवाला- सुनो-सुनो-सुनो! महाराज अनंत सुखदाता का
चौथा ऐलान! - अब नागरिकों को सरकारी अमले का बोझ नहीं उठाना
होगा! उन्हें अब सिर्फ़ अपना ही बोझ उठाना होगा।
नागरिक १- कितनी अच्छी बात है। बोलो महाराज अनंत
सुखदाता की?
सभी- जय!
नागरिक ५- चुप रहो! मैं अपना बोझ नहीं उठा सकता। मेरा
बोझ कौन उठाएगा?
नागरिक ३- अरे बाबा बैठे रहो, इसके लिए हम बाद में
विचार करेंगे।
नागरिक २- हमारी पार्टी ज़रूर इस पर सोचेगी।
नागरिक १- क्या समस्या है आपकी? कब से डिस्टर्बेंस कर
रहे हैं!
नागरिक ५- मैं खुद समस्या हूँ।
डुगडुगीवाला- सुनो-सुनो-सुनो! महाराज अनंत सुखदाता का
पाँचवां ऐलान! मुल्क से बेरोज़गारी अब गायब हो जाएगी! सारे
रोज़गार दफ़्तर अब बंद किए जाएँगे...!
डुगडुगीवाला
डुगडुगी बजाता चला जाता है। |