अभिव्यक्ति
में
डॉ. सुधा उपाध्याय की रचनाएँ
साहित्यिक निबंध
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डॉ. सुधा
उपाध्याय
जन्म- २९ नवंबर को दिल्ली में
शिक्षा- बीए, एम ए (स्वर्ण पदक), एम.फिल, पीएचडी-दिल्ली
विश्वविद्यालय
कार्यक्षेत्र-
अध्यापन एवं लेखन। हिंदी की आज की लेखिकाओं में महत्वपूर्ण
स्थान बना चुकी सुधा उपाध्याय साहित्य और आलोचना के
क्षेत्र में अलग तेवर की वजह से पहचानी जाती हैं। कविता और
कहानी में जिस तरह वे समाज, इतिहास और राजनीति के सूक्ष्म
बिंदुओं को पकड़ती हैं आलोचनाओं में कृति के समाजशास्त्र,
सौंदर्य बोध और उसके तलीय स्वर को पकड़ने का साहस करती हैं
वह उनके सीधे सीधे बात करने के तरीके से पाठकों के मन तक
पहुँचता है। एक शिक्षक होने के नाते समाज के हर उस शख्स के
लिए वो आवाज़ उठाती हैं जो शिक्षा से वंचित है। कविता,
कहानी, लेख और आलोचना में उनके समाज सुधारक रूप की झलक
नज़र आती है। वे किसी अनर्गल विमर्श में न पड़कर एक स्वस्थ
संवाद कायम करने में विश्वास रखती हैं।
प्रकाशित कृतियाँ-
कविता संग्रह- ‘इसलिए कहूँगी मैं’-राधाकृष्ण प्रकाशन-
- ‘बोलती चुप्पी’-राधाकृष्ण प्रकाशन-
आलोचना- औपन्यासिक चरित्रों में वर्चस्व की राजनीति :छठवें
दशक के बाद (साहित्य संचय प्रकाशन)-
महत्वपूर्ण कविता संकलनों में कविताएं प्रकाशित- ‘स्त्री
होकर सवाल करती हो’(बोधि प्रकाशन), ‘यथास्थिति से टकराते
हुए दलित स्त्री’(लोकमित्र प्रकाशन) , ‘हिन्दी की चर्चित
कवयित्रियां’ (कलावती प्रकाशन),
शीतलवाणी त्रैमासिक पत्रिका में उदयप्रकाश साहित्यिक सृजन
विशेषांक का सहसंपादन, मीडिया से सम्बन्धित लेख महत्वपूर्ण
पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। समसामयिक साहित्यिक
पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लेख और समीक्षाएं प्रकाशित,
साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका, दूरदर्शन तथा
आकाशवाणी के कार्यक्रमों में भागीदारी, दिल्ली
विश्वविद्यालय में महिला विकास केंद्र के लिए सक्रिय
भूमिका
सम्प्रति-
वरिष्ठ प्रवक्ता, हिंदी विभाग, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज
(दिल्ली विश्वविद्यालय)
संपर्क-
sudhaupadhyaya@gmail.com
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