अभिव्यक्ति में
डॉ राम प्रकाश सक्सेना की रचनाएँ
संस्मरण
पुण्य का काम
व्यंग्य
मौसम है फीलगुडयाना
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प्रोफ़ेसर राम प्रकाश सक्सेना
जन्मतिथि : ३०.०१.१९४१
शिक्षा : डी.लिट्,
कार्यक्षेत्र : अधिष्ठाता, कला संकाय, २. पूर्व
अध्यक्ष, भाषाविज्ञान, विदेशी तथा भारतीय भाषा विभाग तथा पूर्व अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, नागपुर विश्वविद्यालय
से होते हुए सेवानिवृत्त। इसके बाद वहीं अवैतनिक कार्य देश-विदेश
में व्याख्यान।
लेखन के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय। अनेक रचनाएँ भारत के
प्राय: सभी प्रतिष्ठित हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित
तथा आकाशवाणी से प्रसारित। कुछ कहानियों व व्यंग्यों का मराठी, बंगला व
पंजाबी में अनुवाद। लोक साहित्य की रचना और दो नाटक कमानी प्रेक्षागृह, मंडी हाउस, नई दिल्ली,
रवींद्र भवन, भोपाल, बूटी हॉल, नागपुर तथा तोक्यो (जापान) के
विश्वविद्यालयों के प्रेक्षागृहों में मंचित।
पुरस्कार तथा अनुदान व सम्मान:
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भारतीय भाषाओं में
लिप्यंतरण` पुस्तक पर उत्तर प्रदेश हिंदी समिति द्वारा
पुरस्कार, १९८०।
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रेणु पुरस्कार` महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी
द्वारा, १९९६।
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पं. राम नरेश त्रिपाठी लोक साहित्य समीक्षा पुरस्कार`
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा, १९९७।
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महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा व्यंग्य संग्रह
''मकड़ी का जाला'' के प्रकाशन हेतु अनुदान,
१९९०।
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फ़खऱुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी, उत्तर प्रदेश सरकार
द्वारा उर्दू व्यंग्य संग्रह 'ज़माने का ज़माना' के प्रकाशन
हेतु अनुदान।
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महाराष्ट्र राज्य उर्दू अकादमी द्वारा
२००३ में सर्वश्रेष्ठ
व्यंग्य संग्रह के लिए पुरस्कृत।
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राष्ट्रीय हिंदी सेवी
सहस्राब्दी सम्मान- सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन, नई
दिल्ली, द्वारा २००० में।
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राष्ट्रभाषा रत्न - बदायूँ महोत्सव समिति द्वारा २००२ में
प्रदत्त।
प्रकाशन पुस्तकें :
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भाषाविज्ञान- भारतीय भाषाओं में लिप्यंतरण, बदायूँ जनपद की बोली का एककालिक अध्ययन, लिप्यंतरण: सिद्धांत और प्रयोग (देवनागरी के विशेष संदर्भ
में)
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लोकसाहित्य- मध्य भारत
के लोकगाथा गीत
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व्यंग्य संग्रह- मकड़ी
का जाला, मूर्ख बने रहना की समझदारी, बाढ़ आई, बहार
आई, अजगर करे क्यों चाकरी, ज़माने का ज़माना
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कहानी संग्रह- टूटती
सुबह का दर्द
संपर्क :
drrpsaxena@rediffmail.com
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