अभिव्यक्ति में रामदरश मिश्र की
रचनाएँ
कहानी
विदूषक
ललित
निबंध
बबूल और कैक्टस
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डा० रामदरश
मिश्र
जन्म- १५ अगस्त, १९२४ को
गोरखपुर जिले के कछार अंचल के गाँव डुमरी में।
शिक्षा- हिन्दी में स्नातक, स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट।
कार्यक्षेत्र- सन् १९५६ में सयाजीराव गायकवाड़
विश्वविद्यालय, बड़ौदा में प्राध्यापक के रूप में उनकी
नियुक्ति हुई। सन् १९५८ में ये गुजरात विश्वविद्यालय से
सम्बद्ध हो गये और आठ वर्ष तक गुजरात में रहने के पश्चात
१९६४ में दिल्ली विश्वविद्यालय में आ गये। वहाँ से १९६०
में प्रोफेसर के रूप में सेवामुक्त हुए।
प्रमुख कृतियाँ-
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कविता
संग्रह- पथ के गीत, बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप,
कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, जुलूस कहां जा रहा है,
रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएँ, आग कुछ नहीं बोलती,
शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, ऐसे में जब कभी, आम
पत्ते।
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गज़ल
संग्रह- हँसी ओठ पर आँखे नम हैं, बाजार को निकले हैं लोग,
तू ही बता ऐ जिन्दगी।
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संस्मरण-
स्मृतियों के छंद, अपने अपने रास्ते, एक दुनिया अपनी और
चुनी हुई रचनाएँ-बूँद-बूँद नदी, दर्द की हँसी, नदी बहती
है, कच्चे रास्तों का सफ़र।
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उपन्यास-
पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, बीच का समय, सूखता हुआ
तालाब, अपने लोग, रात का सफर, आकाश की छत, आदिम राग, बिना
दरवाजे का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार।
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कहानी
संग्रह- खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, वसंत का एक
दिन, इकसठ कहानियाँ, अपने लिए, मेरी प्रिय कहानियाँ,
चर्चित कहानियाँ, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ, आज का दिन भी,
फिर कब आएँगे ?, एक कहानी लगातार, विदूषक (कहानी संग्रह),
दिन के साथ, १० प्रतिनिधि कहानियाँ, मेरी तेरह कहानियाँ,
विरासत।
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ललित
निबंध संग्रह- कितने बजे हैं, बबूल और कैक्टस, घर-परिवेश,
छोटे-छोटे सुख
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आत्मकथा-
सहचर है समय, फुरसत के दिन।
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