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व्यक्तित्व

  अभिव्यक्ति में प्रमोद कुमार तिवारी
की रचनाएँ

उपन्यास अंश
चीजू का पाताल

 


प्रमोद कुमार तिवारी

जन्म – ३० अक्तूबर १९६५ को रोहतास बिहार में।
शिक्षा – पूर्णिया कॉलेज, पूर्णिया से स्नातक

कार्यक्षेत्र – असम व मेघालय केडर से १९९१ में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन। संप्रति गौहाटी में कार्यरत।

छात्र–जीवन से ही साहित्य में रूचि। कविताओं से शुरूआत की और अब भी लिखते हैं। कुछ कवितायें प्रकाशित। मुख्य रूचि उपन्यास–लेखन में। 'डर हमारी जेबों में'‚ को लिखना वर्ष १९९८ में आरम्भ किया। पाँच वर्षो के श्रम के उपरांत वर्ष २००३ में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित हुआ। हिन्दी साहित्य के कुछ महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों‚ जैसे श्री भवदेव पांडे‚ श्री शिवकुमार मिश्र‚ श्री श्रीलाल शुक्ल‚ श्री विभूति नारायण राय‚ श्री मिथिलेश्वर आदि ने इसके सम्बंध में उत्साहजनक समीक्षाएँ लिखीं।

दूसरा उपन्यास 'अरे चांडाल' नई शताब्दी के आरंभ में बिहार के एक गाँव की गाथा है जो इस वर्ष के मध्य तक प्रकाशित हो रहा है। फिलहाल वे अपने तीसरे उपन्यास 'एक शवयात्रा'‚ जो असम में आतंकवाद की पृष्ठभूमि में राजनीतिक – प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरियों पर आधारित है‚ पर काम कर रहे हैं। 

पुरस्कार व सम्मान –
'डर हमारी जेबों में ' के लिए 'अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान' से सम्मानित

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