अभिव्यक्ति
में डॉ.प्रभाकर
श्रोत्रिय
की रचनाएँ
नगरनामा में
कोलकाता की
शाम
रचना
प्रसंग में
साहित्य के प्रश्न
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डॉ प्रभाकर श्रोत्रिय
हिंदी
आलोचना में प्रभाकर श्रोत्रिय एक महत्वपूर्ण नाम है। पर
आलोचना से परे भी साहित्य में उनका प्रमुख योगदान रहा है।
खास कर नाटकों के क्षेत्र में। उन्होंने कम नाटक लिखे पर जो
भी लिखे उसने हिंदी नाटकों को नई दिशा दी।
जन्मः
१९ दिसंबर,
१९३८ जावरा (मध्यप्रदेश)
शिक्षाः पीएच.डी.,
डी.लिट, पूर्व में मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के सचिव एवं
'साक्षात्कार' व 'अक्षरा' के संपादक रहे हैं एवं विगत सात
वर्षों से भारतीय भाषा परिषद के निदेशक एवं 'वागर्थ' के
संपादक।
प्रकाशित कृतियाँ-
आलोचना- 'सुमनः मनुष्य और स्रष्टा', 'प्रसाद को
साहित्यः प्रेमतात्विक दृष्टि', 'कविता की तीसरी आँख',
'संवाद', 'कालयात्री है कविता', 'रचना एक यातना है', 'अतीत
के हंसः मैथिलीशरण गुप्त', जयशंकर प्रसाद की प्रासंगिकता'. 'मेघदूतः
एक अंतयात्रा, 'शमशेर बहादुर सिंह', 'मैं चलूँ कीर्ति-सी
आगे-आगे' ।
निबंध- 'हिंदीः दशा और दिशा', 'सौंदर्य का तात्पर्य',
'समय का विवेक', 'समय समाज साहित्य
नाटक- 'इला', 'साँच कहूँ तो. . .', 'फिर से
जहाँपनाह'।
प्रमुख संपादित पुस्तकें-
'हिंदी कविता की प्रगतिशील भूमिका', 'सूरदासः भक्ति कविता का
एक उत्सव, प्रेमचंद- आज', 'रामविलास शर्मा- व्यक्ति और कवि',
'धर्मवीर भारतीः व्यक्ति और कवि', 'समय मैं कविता', 'भारतीय
श्रेष्ठ एकाकी (दो खंड), कबीर दासः विविध आयाम, इक्कीसवीं शती
का भविष्य नाटक 'इला' के मराठी एवं बांग्ला अनुवाद तथा
'कविता की तीसरी आँख' का अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित।
१९९३
में नार्वे यात्रा। अनेक महत्वपूर्ण संस्थानों के सदस्य।
पुरस्कार और सम्मानः
अखिल भारतीय आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार (उत्तर प्रदेश
हिंदी संस्थान), आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार (म.प्र.
साहित परिषद), अखिल भारतीय केडिया पुरस्कार, समय शिखर सम्मान
(कान्हा लोकोत्सव), श्रेष्ठ कला आचार्य (मनुवन, भोपाल), अखिल
भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार (बिहार सरकार), अखिल
भारतीय श्री शारदा सम्मान (म.प्र. के हि.सा. एवं
संस्कृतिन्यास देवरिया) एवं माधव राव सप्रे पत्र संग्रहालय
का रामेश्वर गुरु साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार। |