अभिव्यक्ति
में सआदत हसन मंटो
की रचनाएँ
गौरव गाथा
में
टोबा टेकसिंह
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सआदत हसन मंटो
जन्म – ११
मई १९१२ को समरला, जिला लुधियाना में।
शिक्षा – १९३१ में मैट्रिक और बाद में अलीगढ़ विश्वविद्यालय
में
कार्यक्षेत्र –
पत्रकारिता से जीवन की शुरूआत करते हुए मंटो ने लुधियाना
में मुसावात दैनिक के संपादन का कार्यभार संभाला फिर लाहौर
में साप्ताहिक 'पारस' में काम किया। हुमायूं का फ्रांसीसी
विशेषांक और आलमगीर का रूसी विशेषांक संपादित किया। आस्कर
वाइल्ड के जब्तशुदा ड्रामें वीरां का उर्दू में रूपांतर
किया। रूसी साहित्य को उर्दू में अनुवाद कर के लोकप्रिय
बनाने का महत्वपूर्ण कार्य उन्होंने किया। इसके बाद वे
बम्बई चले गए 'मुसावात' का संपादन निभाते हुए इंपीरियल
फिल्म कंपनी से संबद्ध हो गए। उन्होंने आल इंडिया रेडियो
दिल्ली में भी काम किया और अनगिनत रेडियो नाटक व रूपक
तैयार किये। दिल्ली से वे बंबई लौटे और फिर लाहौर चले गए।
असामयिक मृत्यु के कारण उनकी साहित्यिक यात्रा छोटी रही
लेकिन उनका साहित्य संसार अत्यंत विस्तृत रहा। उन्होंने
साहित्य की लगभग हर विधा पर कलम चलाई और हिन्दी–उर्दू के
विवादास्पद लेखक के रूप में जाने गए। उनका संपूर्ण साहित्य
'सआदत हसन मंटो दस्तावेज़' के नाम से पांच अंकों में राजकमल
प्रकाशन नयी दिल्ली से प्रकाशित हुआ है।
निधन – १८ जनवरी १९५५ को उनका देहांत हुआ।
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