अभिव्यक्ति
में जयशंकर प्रसाद
की रचनाएँ
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कविताएँ
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जयशंकर
प्रसाद
महाकवि
के रूप में सुविख्यात स्व जयशंकर प्रसाद हिंदी नाट्य जगत
और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। तितली,
कंकाल और इरावती जैसे उपन्यास और आकाशदीप, मधुआ और
पुरस्कार जैसी कहानियाँ उनके गद्य लेखन की अपूर्व ऊंचाइयाँ
हैं।
जन्मः ३० जनवरी १८९० को वाराणसी में। स्कूली शिक्षा आठवीं
तक किंतु घर पर संस्कृत, अंग्रेज़ी, पाली, प्राकृत भाषाओं
का अध्ययन। इसके बाद भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन,
साहित्य और पुराण कथाओं का एकनिष्ठ स्वाध्याय। पिता देवी
प्रसाद तंबाकू और सुंघनी का व्यवसाय करते थे और वाराणसी
में इनका परिवार सुंघनी साहू के नाम से प्रसिद्ध था।
छायावादी कविता के चार प्रमुख स्तंभों में से एक। एक महान
लेखक के रूप में प्रख्यात। विविध रचनाओं के माध्यम से
मानवीय करूणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण
पक्षों का उद्घाटन। ४८ वर्षो के छोटे से जीवन में कविता,
कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबंध आदि विभिन्न
विधाओं में रचनाएँ।
१४ जनवरी १९३७ को वाराणसी में निधन
प्रकाशित कृतियाँ
काव्य : झरना, आंसू, लहर, कामायनी
नाटक : स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, जन्मेजय का
नाग यज्ञ, राज्यश्री
कहानी संग्रह : छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आंधी, इंद्रजाल
उपन्यास : कंकाल, तितली, इरावती
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