अभिव्यक्ति में
डॉ हरिमोहन बिष्ट की
रचनाएँ
पर्यटन में
पंचकेदार
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डॉ हरिमोहन
जन्म- फरवरी, १९५३ ई. में।
कार्यक्षेत्र- लोककवि घाघ की मौसम संबंधी कहावतों और
काव्योक्तियों का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत कर
साहित्यिक अनुसंधान का एक नया आयाम स्थापित करने वाले
प्रो. हरिमोहन का लेखन बहुआयामी है। इन्होंने हिंदी की
अनेकों विधाओं पर अपनी कलम चलाई है।
कार्यक्षेत्र-
आपने कविता, कहानी, उपन्यास आदि विभिन्न विधाओं में
सृजनात्मक और आलोचनात्मक साहित्य लेखन के समानांतर
प्रयोजनमूलक हिंदी, पत्रकारिता और जनसंचार, सूचना तथा भाषा
प्रौद्योगिकी जैसे नये विषयों पर साधिकार लेखन किया है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के प्रतिष्ठित
कन्हैयालाल माणिक मुंशी हिंदी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ
के निदेशक के रूप में कार्यरत प्रो. हरिमोहन के कृतित्व पर
विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों द्वारा अब तक तीन
पी.एच.डी और दस एम.फ़िल स्तरीय शोधकार्य संपन्न किए जा
चुके हैं।
पुरस्कार व सम्मान-
हरिमोहन जी को सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार की
ओर से 'भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार', पर्यटन एवं
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से 'राहुल
सांकृत्यायन पुरस्कार' सहित उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की
ओर से 'विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षक सम्मान', 'बाबू श्याम
सुंदर दास पुरस्कार', 'बाबूराव विष्णु पराडकर पुरस्कार',
'सच्चिदानंद हीराचंद वात्स्यायन अज्ञेय पुरस्कार', भारतीय
विद्या भवन की ओर से 'सर्वपल्ली राधाकृष्णन पुरस्कार' और
मॉरिशस हिंदी अकादमी की ओर से 'साहित्यभूषण' इत्यादि एक
दर्जन से भी अधिक स्तरीय सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हो
चुके हैं।उन्हें केंद्रीय हिंदी संस्थान के महापंडित राहुल
सांकृत्यायन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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