अभिव्यक्ति में गिरिराज किशोर
की रचनाएँ
कहानियों
में
माँ आकाश है
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गिरिराज किशोर
जन्म- ८ जुलाई, १९३७, को
मुजफ्फरर नगर में।
शिक्षा- मास्टर ऑफ सोशल
वर्क 1960, समाज विज्ञान संस्थान, आगरा से।
कार्यक्षेत्र- आई. आई. टी.
कानपुर में कुल सचिव के पद से अवकाश ग्रहण।
पुरस्कार
सम्मान- राष्ट्रपति द्वारा २३ मार्च २००७ में साहित्य और
शिक्षा के लिए 'पद्मश्री' से विभूषित, साहित्य अकादमी,
नई दिल्ली की कार्यकारिणी के सदस्य
प्रकाशित
कृतियाँ :
कहानी संग्रह -
नीम के फूल, चार मोती बेआब, पेपरवेट, रिश्ता
और अन्य कहानियाँ, शहर -दर -शहर, हम प्यार कर लें, जगत्तारनी
एवं अन्य कहानियाँ, वल्द रोजी, यह देह किसकी है? ,कहानियाँ
पाँच खंडों में 'मेरी राजनीतिक कहानियाँ' व हमारे 'मालिक
सबके मालिक'।
उपन्यास-
लोग, चिड़ियाघर, दो, इंद्र सुनें, दावेदार, तीसरी
सत्ता, यथा प्रस्तावित, परिशिष्ट, असलाह, अंर्तध्वंस, ढाई
घर, यातनाघर, आठ लघु उपन्यास अष्टाचक्र के नाम से दो खण्डों
में। पहला गिरमिटिया - गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीकी अनुभव पर
आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास
नाटक-
नरमेध, प्रजा ही रहने दो, चेहरे - चेहरे किसके चेहरे,
केवल मेरा नाम लो, जुर्म आयद, काठ की तोप। बच्चों के लिए एक
लघुनाटक ' मोहन का दु:ख'
लेख/निबंध-
संवादसेतु, लिखने का तर्क, सरोकार, कथ-अकथ, समपर्णी, एक
जनभाषा की त्रासदी, जन-जन सनसत्ता।
संपर्क : girikishore@yahoo.com
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