चंद्रधर शर्मा गुलेरी
केवल तीन कहानियाँ लिखकर ही हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कहानी
'उसने कहा था' लिखने का श्रेय लेने वाले चंद्रधर शर्मा
गुलेरी जी
(१८८३–१९२२)
विश्व में स्वयं एक उदाहरण हैं।
आपकी पहली कहानी सन् १९११ में छपी और १९१५ में जब 'उसने
कहा था' का प्रकाशन हुआ तो समस्त हिन्दी संसार इस कहानी को
देखकर चकित रह गया।
हिन्दी की यह प्रथम यथार्थवादी कहानी है और प्रभाव की
दृष्टि से इसके जोड़ की आज तक दूसरी कहानी देखने में नहीं
आई।
प्रौढ़ रचना–कौशल़, व्यंग्य, सूक्ष्म
चरित्र–चित्रण, वातावरण की सजीवता तथा सरल, कोमल भाषा इसकी
विशेषताएँ हैं।
जयपुर में सम्पन्न ब्राम्हण परिवार में जन्म पाने वाले
गुलेरी जी का विद्यार्थी जीवन बहुत ही गौरवशाली था।
जीवन भर आपने अध्यापन कार्य किया और आपकी गणना
पुरातत्व, इतिहास, संस्कृत, पाली और प्राकृत के विद्वानों
में की जाती है।
आपका मुख्य कार्यक्षेत्र काशी था।
एक धूमकेतु की भाँति गुलेरी जी हिन्दी–कथा–साहित्य के आकाश
में चमके और हिन्दी
कथा–साहित्य के प्रारम्भकाल में ही उसे एक नई दिशा देने व
उच्च शिखर पर पहुँचाने में समर्थ हुए।
कम लिखकर अमरता पाने वाले आप विश्व में अकेले
उदाहरण हैं।
प्रमुख कृतियाँ
कहानियाँ — सुखमय जीवन, बुद्धू का कांटा और उसने कहा था। |