अभिव्यक्ति
में अचला शर्मा की रचनाएँ
कहानियों
में
चौथी ऋतु
दिल में एक कसबा है
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अचला शर्मा
अचला शर्मा
लंदन मे रहने वाली भारतीय मूल की हिंदी लेखिका है। उनका
जन्म भारत के जालंधर शहर में हुआ तथा शिक्षा दिल्ली
विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वे लंदन प्रवास से पूर्व
भारत में ही कहानीकार एवं कवि के रूप में स्थापित हो चुकी
थीं। रेडियो से भी वे भारत में ही जुड़ चुकी थीं, बाद में
वे लंदन में बी.बी.सी. रेडियो की हिन्दी सेवा से जुड़ीं और
अध्यक्ष के पद तक पहुँचीं।
बीबीसी
से जुड़ने के पश्चात उनके व्यस्त जीवन में कहानी और कविता
जहाँ पीछे छूटते गये, वहीं हर वर्ष एक रेडियो नाटक लिखना
उनके दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया। इन रेडियो नाटकों के दो
संकलन `पासपोर्ट' एवं `जड़ें' के लिए उन्हें वर्ष २००४ के
पद्मानंद साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया।
अचला
शर्मा के लेखन की विशेषता है स्थितियों की सही समझ,
चरित्रों की सही मानसिकता की पकड़ और एक ऐसी भाषा का
प्रयोग जो चरित्रों और स्थितियों के अनुकूल होती है। उनके
रेडियो नाटकों में प्रवासी भारतीयों की दूसरी एवं तीसरी
पीढ़ी की मानसिकता एवं संघर्ष का भी सटीक चित्रण देखने को
मिलता है। बर्दाश्त बाहर, सूखा हुआ समुद्र तथा मध्यांतर
उनके चर्चित कहानी संग्रह हैं। सूरीनाम विश्व हिन्दी
सम्मेलन में अचला शर्मा को ब्रिटेन के हिन्दी साहित्य में
उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
ई मेल:
actrivedi@gmail.com
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