'सत्या, क्या आज सुबह सुबह शुगर
को घूमा के आये?'
'हाँ, आज मैं और सुमी शुगर को कुछ कसरत कराने के लिये चक्कर
मारने निकले थे, अमृत। साथ साथ हमारी भी कुछ कसरत हो जाती है!'
सत्या और सुमी एक युवा युगल हैं, करीब तीस साल के। श्रीधाम में
कोई दस साल पहले सस्ते भाव में एक प्लौट खरीदा था, और कोई पाँच
साल पहले अपना घर बना लिया था। अपने खुद के कोई बच्चे नहीं,
मगर कुत्तों से बहुत प्यार करते हैं। तीन कुत्ते पाल के रखे
हैं। दो पीले रंग के और सब से बड़ा काले रंग का शुगर। सब एक ही
घर में साथ साथ रहते हैं।
'अभी मैं दस मिनट पहले मेरे बगीचे का चक्कर मारने निकला था।
मेरे गेट के बाहर जहाँ मैंने गुलाब बोये हैं वहाँ मैंने कुत्ते
की बड़ी शौच देखी। ताज़ा दिख रही थी। धुआँ उठ रहा था। तुम दोनों
को शुगर के साथ मेरे कंपाउंड के नज़दीक से गुज़रते हुए देखा था
तो सोचा कि पूछ लूँ। आज कल हमारे श्रीधाम में आवारा कुत्ते
काफी दिख रहे हैं। शुगर तो तुम दोनों के नियंत्रण में होता है
तो यह शुगर की प्रबल इच्छा का तो परिणाम नहीं हो सकता!'
'अमृत, यह कैसी बात कर रहे हो? हमारा शुगर कभी आलतू फालतू
जगह शौच के लिये पसंद करता ही नहीं! शुगर ने अपने ठिकाने पसंद
करके रखे हैं, जिसमें तुम्हारे गुलाब को स्थान नहीं मिला है!
और हम दोनों साथ में ही तो होते हैं।'
'ठीक है, सत्या। शौच ताज़ा दिखी, तुम दोनों को शुगर के साथ
नज़दीक से गुज़रते देखा, सोचा कि शायद तुम दोनों को कुछ पता हो।'
'यह ताज़ा ताज़ा की क्या लगा रखी है? क्या तुम ने थर्मोमीटर डाल
के टेम्परेचर चेक किया? कब से तुम कुत्ते की शौच के विद्वान
बन गए?' सत्या ने गोलीबार किया।
'अमृत जी, आप हम पर आरोप लगा रहे हैं, झूठा इलज़ाम लगा रहे हैं, और यह अच्छी बात
नहीं है!', सुमी मैदान में आ गई, और सत्या को समर्थन देते हुए
जंग में कूद पड़ी!
'माफ़ करना मुझे, मेरी गलती हो गई!', अमृत
ने जवानी से टक्कर लेना उचित नहीं समजा, और कुछ भी आगे कहे बिना चुपचाप अपने
घर की ओर चल पड़ा। अमृत लकड़ी के सहारे चल रहा था, और उसके पाँव भी काँप रहे थे। अमृत
ने कोई सबूत के लिये फोटो तो नहीं खींचे थे, मगर पूरा शक था कि यह सब शुगर की
करामात थी।
जब सत्या और सुमी अपने बनाए हुए घर में रहने आये थे तब अमृत बहुत खुश हुआ था। दो रेड वाइन्स के बोटल्स का तोहफा लेकर स्वागत करने भी गया
था। अमृत
श्रीधाम का सब से पुराना निवासी। सब के सब प्लॉट्स बिक गए थे, मगर रहने के घर
काफी कम बने थे। जो भी घर बने थे वहाँ लोग दो दिन छुट्टियाँ
मनाने आते, और फिर वापिस अपने शहर चले जाते। श्रीधाम प्राकृतिक
सौन्दर्य से भरपूर मगर शहर जैसी सुविधाओं से वंचित। अमृत ही एक ऐसा था जिस ने जमीन खरीदी, घर बनाया, और स्थाई तौर से रहने लगा। सत्या
और सुमी रहने आये, और साथ में अपने तीन पाले हुए कुत्ते लाये।
ये दोनों कुत्ता धर्म में इतनी भक्ति रखते थे कि सब बचा जूठा
खाना अपने घर के बाहर रख देते थे, और आते जाते सब भूखे कुत्तों
को प्रसाद मिल जाता! कुत्तों की दुनिया में बात फैल गयी! आस
पास की बस्ती के सारे अनाथ कुत्ते श्रीधाम आने लगे! श्रीधाम
आवारा कुत्तों का अड्डा बन गया! श्रीधाम के मालिक बिहारीबाबू
को फ़रियाद आने लगी। बिहारीबाबू ने यहाँ वहाँ और गेट लगाए, तार
और जाली चारों ओर मज़बूत की, मगर कुत्तों को रोक नहीं पाया।
प्रसाद की बास बहुत प्रबल थी!
सत्या और सुमी के घर के बिलकुल बगल में कावेरी का बंगलो। इतना
नज़दीक कि एक दूसरे की खिड़की से झाँक सके, सुन सके, और कौन कब
आता जाता है उस पर निगरानी भी रख सके। शुरू में दोनों की अच्छी
दोस्ती रही, करीबी पड़ौसी जो ठहरे। कोई ख़ास खाना बनाया हो तो
एक दूसरे के घर सैंपल भेजते रहे। अगर कभी कोई तकलीफ़ हुई तो
सुमी कावेरी से मदद लेती रही।
कावेरी और उसका पति कौशल दोनों निवृत्त। बच्चे बड़े, दूर दूर
अपनी दुनिया में, कभी कभी मिलने आते रहे। दोनों ने मिलकर अपना
सुंदर बगीचा बनाया और बगीचे के काम काज में काफी व्यस्त रहे।
फिर भी, कावेरी का पूरा समय कटता नहीं, और सूनापन सताता रहता।
कावेरी और कौशल ने एक कुत्ता पालने का निर्णय लिया। शिकारी
औलाद की एक तीन माह की कुत्ती को दत्तक बना लिया। प्यार से नाम
रखा हनी!
कावेरी बहुत व्यस्त हो गयी! इंसान की औलाद को जितना ध्यान
मिलता उससे ज्यादा ध्यान हनी को मिलने लगा! सुबह शाम हनी हनी
के जाप होने लगे! कावेरी हनी के लिये ख़ास रोटी बनाने लगी,
रोटी के टुकड़े दूध में मिलाकर हनी को परोसने लगी। तीन समय दिन
में खाना देने लगी, और तीन समय घुमाने ले जाने लगी। हनी को
विभिन्न प्रकार का हनी की पसंद का खाना देना, और हनी की सेहत
का ख़याल रखना कावेरी का जीवन-मंत्र बन गया! कावेरी और कौशल
खुद शाकाहारी परन्तु कभी कभी अपनी शिकारी औलाद की हनी के लिये
बाज़ार से चिकन लाते रहे और खिलाते रहे। एक ही साल में हनी तगड़ी
हो गयी, और बाघिन जैसी दिखने लगी! ऐसी दिखने लगी कि देखनेवालों
के छक्के छूट जाएँ!
कुत्ते घुमाते घुमाते एक दिन कावेरी की मुलाकात सत्या और सुमी
से हो गयी।
'सत्या, ये आवारा कुत्ते बहुत सारे बढ़ गए है। मेरे गेट के इर्द
गिर्द डेरा जमा के बैठे रहते हैं। आने जाने का दुष्कर कर दिया
है।'
'सुनो कावेरी, ये सब भूखे पशु है। कुछ खाना दे दोगी तो बहुत
प्यार तुम्हें देने लगेंगे, और मुफ्त में तुम्हारी सुरक्षा और
भी बढ़ जायेगी।'
'ओह, मेरी हनी को ये अनाथ कुत्तों का झुंड पसंद नहीं, हनी की
सीमा का परिलंघन हो रहा है! हनी बहुत मज़बूत है। ये सब बदमाशों
को भगाने के लिये हनी पीछे दौड़ती है, और मुझे भी पीछे पीछे
दौड़ना पड़ता है। आज सबेरे तो झुंड ने मुझ पर और हनी पर हमला बोल
दिया था!'
सुमी तो सुनकर बहुत खुश हो गयी, तालियाँ बजाने लगी, और हँसते
हँसते बोली, 'ये तो बहुत अच्छी बात हुई, तुम उसी के लायक हो,
कावेरी! दौड़ने से तो तुम्हें अच्छी खासी कसरत भी मिल गयी होगी!'
'सुमी, ये मजाक की बात नहीं है! इस झुंड में कुछ कुत्ते बीमार
हैं, रोग से भरे हैं। अगर कुछ काटा काटी हो गयी तो हनी और मेरी
सेहत को खतरा हो सकता है।'
'तुम कुत्ते को पत्थर क्यों मारती हो? कुत्ते फिर तुम्हें
दुश्मन समझेंगे, और तुम्हें और परेशान करेंगे!', सत्या ने
कावेरी को ज्ञान से भरी बात सुना दी।
'अरे, मेरा पत्थर कहाँ कुत्ते तक पहुँचता है, सत्या! ये तो सब
कुत्तों को दूर रखने की और भगाने की कोशिश है। एक बात मैं कहूँ
तुम्हें सत्या?'
'मैं ना कहूँ तो भी तुम कहने ही वाली हो, बोलो बोलो, क्या कहना
है?', सत्या ने कटाक्ष के साथ जवाब दिया।
'तुम अपने घर के आगे ये जंगली कुत्तों को जो बचा झूठा खाना
खिलाते हो वह छोड़ दो! खाना खिलाना ही है तो कहीं श्रीधाम से
दूर सार्वजनिक स्थल पर जा कर खाना खिलाओ! क्या है न कि यहाँ
गलियाँ गंदी होती है, चूहे और साँप भी निकल आते है, आवारा
कुत्तों की आबादी बढ़ती है, और सब पड़ोसियों को दर्द होता है।
दूर रोज़ एक जगह जा कर खाना खिलाओ, तुम्हें तुम्हारा पुण्य मिल
जाएगा, और हम यहाँ खुश रहेंगे!'
'कावेरी, हम ने भगवान महावीर के उपदेश को अपना जीवन मंत्र
बनाया है! भगवान महावीर ने कहा है, हर पशु पक्षी को प्रेम
करो, संवेदना दिखाओ, और भूखे को खाना दो!'
'ये तो बहुत अच्छी बात है, सत्या, किन्तु पड़ोस में जो मनुष्य
रहते हैं उनका भी ख़याल करने को भी भगवान महावीर ने कहा तो
होगा! मैं तुम्हारी माँ की उम्र की हूँ, बहुत प्यार से निवेदन
करती हूँ कि ये आवारा कुत्तों को खाना किसी दूर निश्चित ज़गह पर
दो।'
'हम सब कानून के मुताबिक कर रहे हैं। हिन्दुस्तान का संविधान
साफ़ साफ़ कहता है कि भूखे पशु को खाना देना मानव धर्म है। हम
अपने माँ बाप का सम्मान करते हैं, हम सब का सन्मान करते हैं,
ख़ास तौर से उन पशुओं का जो मनुष्य की जुबान में बात नहीं करता! हम अपना धर्म नहीं छोड़ेंगे, तुम्हें जो ठीक लगे वो तुम कर
सकती हो!', सत्या ने कावेरी को जीवन के तथ्य का ज्ञान दिया।
कावेरी ने फ़रियाद दर्ज़ की। श्रीधाम के मालिक बिहारीबाबू को
चिट्ठी लिखी। दो पड़ोशियों से भी चिट्ठी लिखवाई। बिहारीबाबू ने
सत्या और सुमी को चिट्ठी लिखी कि वो अनाथ कुत्तों को खाना देना
तुरंत बंद करे वरना कारवाई की जायेगी!
सत्या का लहू उबल गया! उसने पाँच पन्नों से भरा लंबा जवाब
दिया। भारत के संविधान का जिक्र किया। कुछ अदालतों में लड़े
हुए नामी किस्सों का बयान किया। मूक पशुओं की ओर सहानुभूति
दिखानेवाले लोगों के विरुद्ध जो गया उसको ५०,००० रुपये का दंड
या पाँच साल का कारावास या दोनों सज़ा की संभावना का जिक्र
किया। बिहारीबाबू के श्रीधाम की कमियाँ दिखाई। श्रीधाम की
चारों ओर जाली और दीवार मज़बूत नहीं, बाहर से कुत्ते आराम से
दाखिल हो जाते हैं। श्रीधाम में दो दिन के लिये जो मेहमान रहने
आते हैं वो बचा झूठा खाना रास्ते पर डाल के चले जाते हैं, और
फिर ये अनाथ कुत्ते को खाना मिल जाता है। सत्या और सुमी ने खुद
को पशुओं के तारणहार के किरदार में दिखाया।
सत्या ने अपने पत्र की प्रतियाँ सब पशु - रक्षक संगठनों को ,
सुप्रीम कोर्ट को, और दिल्ली की गवर्नमेंट के पशु - रक्षक
विभाग को भेज दी!
दूसरे दिन कावेरी के पति कौशल को दिल्ली से फोन आया। फ़रियाद आई
है कि तुम लोग निर्दोष पशुओं को पत्थर मारते हो, और त्रास देते
हो। ये सब कानून के खिलाफ़ है। अगर तुम लोगों ने अपना रवैया
नहीं बदला तो पुलिस और कानूनी कारवाई होंगी! श्रीधाम के मालिक
बिहारीबाबू अपने मेहमानों की खातिर नवाजी कर रहे थे तब उन्हें
दिल्ली के पशु - रक्षक मंत्रालय से फोन आया। आप के श्रीधाम से
फ़रियाद आई है। निर्दोष पशुओं पर अत्याचार हो रहा है। आप
अत्याचार करनेवालों से सहानुभूति दिखा रहे हैं, और जो पशु की
रक्षा कर रहे हैं उसको आप धमकी दे रहे हैं। कानून के हिसाब से
आप को ५०,००० रुपैये दंड या पाँच साल जेल या दोनों सज़ा हो सकती
है। स्थानीय पुलिस आप का संपर्क करेगी!
बात काफी आगे बढ़ गयी। युद्ध का मैदान तैयार हो गया। पुलिस आई।
स्थानीय विस्तार में बिहारीबाबू का बड़ा नाम। पुलिस भी अच्छी
तरह बिहारीबाबू को पहचाने। पुलिस ने कुछ समस्या की नोंध ली, और
जाहिर किया कि इस समस्या को बिहारीबाबू खुद ही ठीक तरह से हल
कर सकते है, पुलिस हस्तक्षेप नहीं करेगी। हम दिल्ली के
मंत्रालय को सन्देश भेज देंगे। पुलिस आई, और चली गयी।
कावेरी और कौशल ने शायद शिकस्त स्वीकार कर ली, और नज़दीक के शहर
में स्थित अपने फ्लैट में , श्रीधाम से दूर, समय गुज़ारने लगे।
बिहारीबाबू ने श्रीधाम में कुछ और गेट लगाए, और कुछ जालियाँ और
दीवारें मज़बूत करने की कोशिश की, मगर आवारा कुत्तों की संख्या
कम नहीं कर पाए।
सत्या और सुमी का कुत्ताश्रम चलता रहा। श्रीधाम की गलियाँ गंदी
होती रही।
आवारा कुत्ते घूमते रहे और नई आवारा फौज़ को जन्म देते रहे!
अमृत अपनी दुनिया में मस्त रहा, और दूर से तमाशा देखता रहा।
रात बहुत हो गयी थी। कुछ ठंड सी भी थी। अमृत
ने कम्बल सर पर खींच लिया। नयी सुबह की तलाश में अपनी आँखें मूँद ली।
दूर कहीं आवारा कुत्तों ने मध्यरात्रि का राग आलापना शुरू
किया, और
अमृत को धुन सुनाई दी-
'कुत्ता यहाँ, कुत्ता वहाँ
इस के सिवा जाना कहाँ !!'
|