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पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


लड़का-वड़का देखना मेरे बस की बात नहीं है। वैसे भी शादी-ब्याह तो माँ-बाप की जिम्मेदारी होती है। मेरी जिम्मेदारी पढ़ाई थी, एक अच्छा कैरियर था, सो मैंने पूरी कर दी।’ सौम्या ने पक्की भारतीय लड़की जैसी बात कर दी मम्मी-डैडी खुश हो गए।

‘हाँ! हाँ! वो सब तो ठीक है बेटी। पर अब तेरे जोड़ का लड़का हम नहीं खोज पाएँगे। तू आम घरेलू लड़की तो है नहीं, और फिर हमारे लोग ओल्ड-फैशन्ड हैं। सब के सब लकीर के फ़कीर। वैसे भी अपनी जात-बिरादरी में तेरे जोड़ का कोई लड़का नहीं दिखता है। सब वही पुरानी मानसिकताओं वाले कि लड़की हो तो पढ़ी लिखी पर हो बंद दिमागवाली।’
‘डैडी मैं समझी नहीं।’
‘मेरे कहने का मतलब यह है बेटी कि लड़के की सोच तेरे सोच से मिलती हुई होनी चाहिए न अब यह काम तो तुझे ही करना होगा। यूँ अखबारों में विज्ञापन देख कर हमने कई लड़कों की प्रोफाइल मँगाई पर हमें तेरे लिए कोई जचाँ नहीं। आजकल के बच्चों की ज़रूरतें और सोच हमसे भिन्न होती है न, यह हमदोनों अच्छी तरह समझते हैं। अब बेटी तू ही देख! वहीं लंदन में ही तुझे कोई स्मार्ट सा लड़का मिल जाए तो अच्छा है। हम तुझे वहीं सेटल करना भी चाहते हैं। यहाँ कोई फ्यूचर नहीं रहा। जो भ्रष्टाचार और बदहाली यहाँ पर है वह तो तू रोज ही अखबार में देखती होगी। यह सब विकास वगैरह की बातें बस दिखावा ही है, कारपोरेट जगत में जो लड़कियों का शोषण हो रहा है वह तो जग जाहिर है। बेटा अब तू वही अपने पसंद का लड़का देख।’

सौम्या ने गर्दन हिलाई।
‘नहीं, डैडी मुझे आपकी यह बात बिल्कुल अच्छी नही लग रही है। आपलोगो ने सदा अपने दिशा-निर्देश से मेरा मार्ग प्रशस्त किया है और अब आप अपना हाथ इस तरह तो न खींचें न।’ यद्यपि सौम्या को अपने माँ-बाप पर गर्व हुआ।

‘नहीं, बेटी, ऐसा कुछ मत सोच। हम तो सदा तेरे साथ हैं। चल, तुझे संबल देने के लिए, हम फिर से अखबार, इंटरनेट और आस-पास देखना शुरू कर देते है साथ ही तू भी शादी डॉटकॉम और इंटरनेट वगैरह पर देखना शुरू कर दे। हम नोट्स कम्पेयर करते रहेंगे।’ इंटरनेट वाले सुझाव को पुख्ता करती हुई ममी बोलीं, ‘आरुषी की याद है न तेरी ताई के बहन की लड़की। उसने इंटरनेट पर ही सौरभ को पकड़ा था। अब तो उसके चार साल का बेटा भी है। बड़ा डैशिंग लड़का है सौरभ। तेरी ताई तो उसकी इतनी तारीफ करती है कि उनका बस चलता तो वह खुद ही उसके साथ शादी कर लेतीं।’ और सब एक साथ ठहाका मार कर हँसने लगे।

‘तेरी ताई भी न…। एक ही नमूना है।’
सौम्या को ममी-डैडी की बात ठीक लगी। उसके ऑफिस में कई लोग इंटरनेट डेडिंग करते हैं। कुछ सीरियसली करते हैं तो कुछ मस्ती के लिए। वह भी ट्राई कर लेगी, कुछ नहीं तो थोड़ा टाइम पास तो होगा ही। बस फिर क्या उसने इंटरनेट के भिन्न-भिन्न साइट्स को खंगालना शुरू कर दिया। इस बीच उसके कई चैट-मेट बने पर सब के सब बातों के रसिया...

महीनों लग गए सौम्या को इंटरनेट पर डेटिंग और चैट करते हुए पर उसे कोई ऐसा सच्चा और गंभीर व्यक्ति नही मिला जो उसे प्रभावित कर सके। सौम्या के मन में अपने होनेवाले पति के लेकर एक ऐसी कल्पना थी कि वह कंप्यूटर का ऐसा बेजोड़ एक्सपर्ट हो कि उसका कोई मुक़ाबला न हो। इधर डैडी भी ‘शादी डॉट कॉम’ और ‘मैरिज डॉट कॉम’ आदि पर लड़के देखने लगे। ‘शादियाँ तो शादियाँ है चाहे कुँडलीवाली हो या इंटरनेटवाली मम्मी सोचती, अब राजेश की सुम्मी को ही ले लो भारद्वाज पंडित से कुँडली मिलवाई थी, पूरे छत्तीस गुण मिले फिर भी बिचारी को कैसा झटका लगा। इतना अच्छा, इतना मीठा बोलनेवाला, हैंडसम लड़का ऐसा सिरफिरा और खुंखार निकला...सुम्मी की तो ज़िंदगी ही तबाह हो गई थी।

अब दूसरी शादी जो हुई वह इंटरनेट के ज़रिए हुई। अब सुम्मी कितनी अच्छी तरह सेट हो गई है, कितनी खुश है। हर चार-छः हफ्ते बाद दोनों कहीं न कही छुट्टियाँ मनाने जाते हैं। सुम्मी के कैरियर का ग्राफ भी कम ऊँचा नहीं है बस ऐसा ही खुले दिल का कोई लड़का मिल जाए अपनी सौम्या के लिए जो उसकी ज़रूरतों और प्रबुद्ध मन को पूरी तरह से समझे।’ कई बार दुविधा में पड़ी मम्मी, डैडी से खुद को तसल्ली देती हुई कहतीं, ‘पर फिर अब सेजल को ले लो, सेजल के भाई को जतिन इंटरनेट पर मिला था। उसी ने सेजल से जतिन को मिलवाया था। पर सेजल की शादी तो बस चार महीने बाद ही टूट गई। इतना रोमांटिक जोड़ा बाद में एक दूसरे के जानी दुश्मन हो गए। शुकर, कोई बाल-बच्चा नहीं आ गया पेट में वर्ना हो जाता कबाड़ा लड़की का...’ ममी को अब सपनों में भी नए-नए जोड़े और उनके बनते-बिगड़ते रिश्ते नज़र आते। उनकी समझ में नहीं आता कि अपनी दुलारी बेटी के रिश्ते के लिए कौन सी विधि चुने जो पूरी की पूरी ‘फूल-प्रूफ’ हो।

‘हम-लोग, खूब छान-बीन कर ही कोई संबंध करेंगे जी, ताकि बाद में कोई गड़बड़ न हो।’ ममी, डैडी से कहतीं। ममी-डैडी को जो लड़के ठीक लगते वे उन्हें सौम्या को प्रेषित कर देते। उधर सौम्या भी ममी-डैडी को उन तमाम लड़कों के बारे में बताती रहती जो उसे उचित और ढंग के लगते। कंप्यूटर को हौव्वा समझनेवाली ममी ने भी इसी बहाने जाने कैसे जल्दी से कंप्यूटर सीख लिया और खाली समय में सौम्या के लिए ‘इंटरनेट मैचिंग’, ‘इंटरनेट मेट’ आदि पर लड़कों की प्रोफाईल आदि बारीकी से देखने लगीं। जो उन्हें पसंद आते वे उन्हें सौम्या को प्रेषित कर देतीं।

फिर एक दिन ‘ऑन लाइन चैटिंग’ पर सौम्या नील से जा टकराई। नील की चुटकुले सी हँसोड़ बातें, उसका वाक-चातुर्य, उसे ऐसा भाया कि अगले दिन जब वह उसे फिर ऑनलाइन दिखा तो उसने उसे चैट के लिए आमंत्रित कर लिया। नील का व्यक्तित्व उसे बहुत आकर्षक लगा। ऊपर से वह चटपटा, बातूना और मज़ाकिया लगता पर अंदर से जैसे कोई फिलॉस्फर या थिंकटैंक हो। देखने में भी स्मार्ट था, बिलकुल रनवीर कपूर... उस दिन नील और सौम्या बातें करने में ऐसे तल्लीन हुए कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब दूसरा दिन शुरू हो गया। दो तीन हफ्ते लगातार बातें करने के बाद उसने पाया कि नील उसके दिलो-दिमाग़ पर छाता जा रहा है। नील का भी यही हाल रहा। जैसे ही सौम्या कम्प्यूटर खोलती नील उसे पकड़ लेता। अब हाल ये हो गया कि जब-तक दोनों चैट लाईन पर न मिल लेते तब तक उन्हें चैन ही नहीं पड़ता। उन्हें ऐसा लगता कि दोनों एक-दूसरे के जन्म-जन्मांतर से जानते हों।

नील चाहता था कि दोनों जल्दी ही कहीं डेट पर मिलें। पर इतनी अधीरता के बावजूद भी सौम्या का दिल बिना ममी-डैडी से नील का परिचय करवाए बगैर डेट के लिए तैयार नहीं था। नील को यह बात अजीब सी लगती। वह कहता, ‘पर...सौम्या परंपरा तो यही है कि लड़का-लड़की पहले डेटिंग करते है, एक दूसरे को पसंद करते हैं फिर माँ-बाप से अपनी पसंद को मिलवाते हैं।’ ‘हाँ, मानती हूँ आज कल यही फैशन है और यही अँग्रेज़ी परंपरा भी है पर इस मामले में मैं ज़रा ‘ओल्ड फैशन्ड’ हूँ, या फिर समझो कि थोड़ी सावधान हूँ। ममी-डैडी की सहमति और असहमति मेरे लिए बहुत माइने रखती है। मैं उनकी अकेली संतान हूँ। मेरी शादी का उन्हे बहुत चाव भी है।’ नील अंत में हथियार डाल देता, ‘ठीक है बाबा, अब मैं तो तुम्हें दिल दे बैठा हूँ। सो तुम जैसा कहोगी, मैं वैसा ही करुँगा। पर डर यह लगता है कि कहीं तुम्हारे ममी-डैडी ने मुझे नापसंद कर दिया तो मैं तो बेमौत मर जाउँगा न।’

‘अगर तुम, बेमौत मर गए तो मैं भी कुछ नहीं कर सकती।’ वह चुटकी लेती ‘पर ये तो बताओ, वे तुम्हें नापसंद क्यों करेंगे? तुम में खराबी क्या है? मेरी पसंद सौ फ़ी सदी उनकी पसंद है।’

इसी बीच सौम्या ने अपने और नील के चैट की पूरी फाइल बिना संक्षिप्त किए ममी-डैडी को नील के ढेरों फोटो के साथ प्रेषित कर दी। पूरी फाइल ध्यान से पढ़ने के बाद ममी-डैडी को भी नील के व्यक्तित्व और कृतित्व का सारा व्यौरा पसंद आ गया। उन्हें ऑक्सफोर्ड ग्रैजुएट नील, स्मार्ट और अच्छे घराने का लड़का लगा। ममी-डैडी सौम्या की आतुरता और उसके मन में उठ रहे भावों को समझ रहे थें। सौम्या के ज़ोर देने पर भी इतनी जल्दी उनका लंदन आना संभव नहीं हो पा रहा था। अतः उन्होने सौम्या को स्काइप पर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित करने की सलाह दी। मम्मी खुद जाकर ‘वेब कैम’ ले आईं। डैडी ने खास इस मौक़े के लिए चालीस इंच का डिजिटल टीवी स्क्रीन लगवा लिया। अगले सप्ताह इंग्लैण्ड में महारानी एलिजबेथ के जन्मदिन वाली तीन दिन की छुट्टियाँ थीं। नील, ममी-डैडी और सौम्या चारों स्काइप पर इकट्ठे हो गए। कभी चारों साथ होते तो कभी नील और डैडी, कभी ममी और नील। कभी सब आमने सामने बैठे चाय पीते, खाना खाते, और हँसी-मज़ाक करते। सप्ताहांत कब समाप्त हुआ उन्हें पता ही नहीं चला। आपस में परिचय हुआ, खूब बातें हुई।

ममी-डैडी ने खुल कर नील का साक्षात्कार लिया। नील ने डैडी के साथ स्पोर्ट्स, पॉलिटिक्स, स्टॉक-एक्चेंज, बैंकिंग आदि के आधुनिक तौर-तरीकों और इंटरनेट पर हो रहे धोखा-धड़ी के साथ एकाउँट-हैकिंग आदि पर देर तक बातें की। डैडी नील के चातुर्य, ज्ञान, और प्रतिभा के साथ-साथ उसके भविष्य की योजनाओं से अच्छे-खासे प्रभावित हुए। ममी और नील ने परिवार के सभी सदस्यों के जन्म दिन, एनिवर्सरी, उनकी खास पसंद आदि की जानकारियाँ प्राप्त की। ममी-डैडी, नील के बौद्धिक प्रतिभा, पारिवारिक मान्यताओं, प्रतिबद्धता और अपनेपन से बहुत प्रभावित हुए। नील सोशल साइंसेज़ में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का स्नातक था साथ ही उसने आइ-टी में डिप्लोमा भी किया था और अब वह फ्रीलॉस आई-टी कन्सल्टेंट है। नील ममी-डैडी को चतुर, दूरदर्शी, आधुनिक मान्यताओं के साथ पारिवार को प्राथमिकता देने वाला सर्वगुण सम्पन्न युवक लगा।

अबतक ममी-डैडी ने जितने लड़के देखे थे उन पर नील भारी पड़ रहा था। ममी डैडी को सबसे अच्छी बात यह लगी कि नील के पिता भारतीय है। माँ, आइरिश हैं तो क्या हुआ, जड़ें तो भारतीय हैं न। नील की बातों से भी उन्हें लगा कि नील का झुकाव भारतीय सभ्यता की ओर अधिक है। बात-चीत के दौरान नील ने उन्हें बताया कि उसके माता-पिता अब अवकाश प्राप्त है और उन्हें नए-नए देशों का भ्रमण करना अच्छा लगता है। अगले वर्ष उन लोगो की भारत भ्रमण की योजना है। आज-कल वे लोग छः महीने के लिए अमेरिका की तरफ़ क्रूज़ पर गए हुए हैं वर्ना वह उनसे भी बात करा देता। गोरे रंग और गहरे शरबती आँखों वाला नील मम्मी-डैडी को बहुत पसंद आया। इसलिए उन्होंने सौम्या को नील से डेटिंग करने सलाह दी। ‘बस सौम्या और नील आपस में ‘क्लिक’ हो जाएँ। दोनों की शादी हो जाए तो हमलोग भी नील के ममी-डैडी की तरह देशाटन करेंगे, क्रूज़ करेंगे और सारी दुनिया देखेंगे।’ ममी-डैडी की आँखों में भविष्य के ढेरों सपने झिलमिलाने लगें।

बात-चीत खतम होने के बाद सौम्या और न रुक सकी, उसने तुरंत नील को टेक्स्ड मैसेज भेजा कि ममी-डैडी ने उसे पसंद कर लिया और वह नील को डेट देने को तैयार है। नील की मन चाही हो गई, माथे से पसीना पोछते हुए वह खुशी से नाच उठा।

‘गॉड! आई एम सो हैपी, सौम्या। अब मैं रुक नहीं सकता। अगले हफ्ते मैं लंदन आ रहा हूँ। लेट्स फिक्स अ डेट। बहुत प्रतीक्षा कराई है तुमने सौम्या बेबी।’ सौम्या खुद भी तो नील से मिलने के लिए उतनी ही अधीर और उत्सुक थी पर वह अपनी अधीरता प्रकट नहीं करना चाह रही थी। डेट तो फिक्स करनी ही थी सो फिक्स हो गई।

अगले हफ्ते जब नील लंदन आया तो नियत स्थान पर टेम्स नदी के किनारे बिग बेन और मिलेनियन व्हील के बीच वेस्टमिनिस्टर ब्रिज पर सौम्या अधीर खड़ी उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। ‘हाय नील’ कहते हुए सौम्या ने उसके गालों पर चुंबन देकर स्वागत किया। नील ने उसे सुनहरे रिबन में लिपटे एक पीले गुलाब की अधखिली कली भेंट की।

‘पीला गुलाब क्यों? लाल गुलाब क्यूँ नहीं। प्यार का प्रतीक तो लाल गुलाब होता है न नील।’ सौम्या ने चहक कर, इस अपनेपन से कहा जैसे वह उसे सदियों से जानती हो। ‘पर तुम्हें तो पीला गुलाब पसंद है न।’ नील ने उसके दोनों गालों पर एक-एक चुंबन जड़ा। ‘हाँ है तो, पर तुम्हें कैसे पता?’
‘बस पता है।’
‘बताओ न, वर्ना मुझे चैन नहीं पड़ेगा और मेरी शाम बिगड़ जाएगी।’
‘बस इतनी सी बात, प्रिये। अरे! भई, तुम्हारे घर के पीले पर्दे और हर गुलदस्ते में पीले गुलाब रोज़ स्काइप पर देखता आया हूँ। और फिर भारतीय परिवेश में पीला रंग लगन (प्रतिबद्धता) का प्रतीक है, डैडी ने भारतीय विवाह के संदर्भ में ‘लग्न’ का अर्थ बताया था। इसी से अटकल लगाया कि पीला गुलाब हमारे लिए शुभ होगा।’

‘वाओ! नील यू आर रियली ग्रेट, कितनी सहजता से तुमने मेरी पसंद को जान लिया। यू आर अ परफेक्ट मेट, आई ऐम इमप्रेस्ड... ’ नील के कथन से सौम्या निहाल हो कर बोली।

‘और यह भी’ कहते हुए उसने जेब से नन्हीं-नन्हीं मोतियों से बना एक डिज़ाइनर मेड पीला फ्रैंडशिप बैंड उसकी कलाई में पहना दिया, ‘यह हमारी पहली मुलाक़ात का साक्षी, एक छोटा सा उपहार है।’ ओह! यह नील भी कैसे अनूठे ढंग से मेरे नस-नस को झंकृत कर रहा है। जमीन से जुड़ा, पक्का मनोवैज्ञानिक है। सौम्या सम्मोहित सी, समर्पित भाव से डूबते सूरज की रोशनी में उसे देखते हुए, उसके हर स्पर्श को, हर पल को, हर शब्द को अपने अंदर की गहराइयों में समोती जा रही थी क्या सचमुच यह, वही ‘मिस्टर राईट’ है जिसे वह पिछले कई महींनो से खोज रही थी...हाँ, यह वही है तेरा ‘सोलमेट’ तेरा मन-मीत जिसे तू खोज रही थी सौम्या। देख! तेरी कसौटी पर कैसे खरा उतरता जा रहा है। तुझे प्यार करने को आतुर, कैसे समर्पित भाव से तेरे सामने खड़ा, अपने असीम प्रेम और लगाव को किस कुशलता और खूबसूरती से अभिव्यक्त कर रहा है। सौम्या ने बिग बेन में लगी घड़ी, उससे जुड़े ब्रिटिश पार्लियामेंट और वेस्टमिनिस्टर अबे को साक्षी बनाते हुए मन ही मन कहा। कैसा सुंदर संयोग है जैसे कोई सपना वास्तविकता में परिवर्तित हो रहा हो और सनातन बहती रिवर थेम्स उसकी साक्षी बन रही हो।

नील उत्साहित था। उसे अपने पर भरोसा था कि आज वह सौम्या को अपना बना ही लेगा। नील ने सौम्या के हाथो को सहलाते हुए उसके मनः स्थिति का आंकलन कर उसे अपने बाहों के घेरे में लेते हुए स्नेह से भीगे स्वर में कहा, ‘आओ न सौम्या, नीचे चलें। थेम्स में खड़े उस जहाज ‘कटीसाक’ के ऊपरी डेक पर मैंने डिनर के लिए टेबल बुक करा रखा है। वहीं बैठ कर हम इस सुहानी शाम को सार्थक बनाएँगे।’ ओह! हाउ रोमैंटिक, हीरा है हीरा, मेरा नील। कैसा प्यार भरा रोमानी निमंत्रण है और वह भावविभोर यंत्रचालित-सी, नील की बाहों में सिमटी, उसके गर्म बदन से उठती खुशबू को अपने बदन में समोती कदम से कदम मिलाती थिरकती हुई चल पड़ी।

नील को सौम्या का, उसके प्यार में मदहोश हो जाना अच्छा लग रहा था। यही तो उसकी कामना थी। आज से सौम्या उसकी है वह सौम्या की साँसो में समा चुका है। आज के शाम की सार्थकता सौम्या के प्यार और विश्वास को जीतना ही तो उसका लक्ष्य है। नील ने बडे यतन और प्यार से उसे उस राजसी कुर्सी पर बैठाया जो मात्र विशेष अतिथियो के लिए ही सुरक्षित था। सौम्या को अच्छा लगा। ‘क्या पीना पसंद करोगी सौम्या?’। इसके पहले कि सौम्या कुछ कहती, वह बोला, ‘यह हमारी पहली मुलाक़ात है। हमारे जीवन का सबसे बड़ा त्यौहार, हम इसे शैम्पेन से सेलिब्रेट करेंगे। देखो सौम्या मना मत करना वर्ना हम रूठ जाएँगे फिर तुम्हें मनाने में बड़ा परिश्रम करना पड़ेगा।’ उसने सौम्या के हाथो को अपने हाथ में लेकर चूमते हुए कहा। सौम्या हँस पड़ी, ‘मैं तुम्हें निराश नहीं करुँगी यद्यपि मैं ड्रिंक नहीं करती पर बिज़नेस में होने के कारण कभी-कभी शैम्पेन तो होठों से लगाना ही पड़ता है।’

‘ये हुई न बात, दैट्स लाईक माई गर्ल।’ उसने सौम्या के चेहरे पर झूमती लट को अपनी उँगली में लपेट कर कानों के पीछे खोंस दिया। सौम्या खिलखिलाई, ‘तुम, अभी तक कहाँ थे नील?’ नील ने उसके चेहरे पर फिर लटक आई उस शोख लट को हटाते हुए उसकी आँखों की खिड़कियों में झाँकते हुए कहा, ‘मैं हमेशा तुम्हारे पास रहा, पर तुम्हारे पास अवकाश ही नहीं था मुझ पर नज़र डालने का।’
वेटर स्टार्टर और शैंपेन मेज़ पर सजा गया।
शैम्पेन की पहली घूँट के साथ ऑलिव के एक सुनहरे दाने को मुँह में रखते हुए हुए सौम्या ने शोख अदा के साथ कहा,
‘झूठे!’
नील मुस्कराया, ‘छोड़ो भी, तुम्हें यकीन थोड़ी न आएगा मेरी बातों पर। मैं तुमसे एक सेमिनार में मिला था बस वहीं तुम्हें दिल दे बैठा था।’
‘कब?’
‘जब रैशब्रुक तुम्हें बिज़नेस प्रपोज़ल दे रहा था...।’ कहते हुए नील ने तले हुए स्वादिष्ठ किंग-प्रॉन को काँटे में कुशलता से फँसाया।

‘नों! वह तो पाँच महीने पहले की बात है।’ सौम्या की आँखे नील की शरबती आँखों से टकराई और वह उसमें उलझकर खो सी गई। तो नील पिछले पाँच महीनों से उसे अपने ह्रदय में बसाए, उसे प्यार कर रहा है। उसे तलाश रहा है। ऐसा तो फिल्मों में होता है पर यह तो उसका यथार्थ है। अचानक सौम्या के उम्र में से दस वर्ष गुम हो गए। सौम्या के पोर-पोर में वासंती पवन ने डेरा डाल दिया। उसका यौवन मचला। वह कोयल सी कुहुक उठी।

बोन चाइना की प्लेटों में वेटर खाना परोस गया। खाने की स्वदिष्ट खुशबू उड़ी, नथनों में जा देह के रेशे-रेशे में मादकता भर गई। यह खाना नहीं था, नील के प्यार का इज़हार था और बहुत खूबसूरत इज़हार था।
सौम्या पिघल रही थी। इंद्रधनुषी हिंडोले में झूलती, बोली,
‘यह नदी, यह समा, और यह स्वादिष्ट खाना। नील! मेरे प्रिय, तुम्हारी सरसता मेरे नस-नस को स्पंदित कर रही है।’ सौम्या का हाथ नील के हाथो में था।

‘मेरी प्रिये, तुम तो, इससे भी कहीं ज़्यादा लज़ीज़ हो। मेरा मन पुलक रहा है।’ नील ने उसके चेहरे पर फिर झूल आई लट को सँवारा...
जहाज के डेक पर खड़े गिटारिस्ट ने गिटार के तारों को छेड़ा। उसने नील और सौम्या के कबूतरी जोड़े को बीटल का गाया एक खूबसूरत रोमैंटिक गीत, ‘आई वान्ट टु होल्ड योर हैंड’ समर्पित करते हुए मधुर स्वर में गाना आरंभ किया।
‘कितनी मादक धुन है, आओ नृत्य करें प्रिये।’ नील ने तर्जनी से सौम्या के नाक को हल्के से थपका।

नृत्य, मतलब आलिंगनबद्ध थिरकना, एक-दूसरे के साँसों में घुल जाना। समय और शब्दों के पार चले जाना... सुंदर और बहुत सुंदर। गीत के धुन और शब्दो में खोई सौम्या का विवेक अभी पूरी तरह सोया नहीं था। पहली मुलाक़ात है। आज क्या इतना ही काफी नहीं है?...
‘आज नहीं, नील। बातों ही बातों में आधी रात गुज़र गई। अब चलें।’ सौम्या का विवेक हल्का सा सतर्क हुआ, ‘इस सुहानी रात को यहीं थम जाने दो...थोड़ी प्यास बाक़ी रहने दो...’
‘प्रिये समय को जँवा होने दो, कोई लिक्योर...आइरिश कॉफी? इस रात को यादगार बन जाने दो।’ नील की आवाज़ में प्रणय की मीठी खनक थी।

‘नहीं... नील। हमें चलना चाहिए, कल ऑफिस भी जाना है!’ सौम्या ने यथार्थ का सूत्र पकड़ा, वह फिसल रही है उसे थमना है, वह सोचने लगी। यह तो पहली डेट है। अभी तो रस आना शुरू हुआ है। जल्दी क्या है? पहले गहरी पहचान तो बनने दो। सौम्या ने वेटर को इशारा करते हुए बटुए से सुनहरा क्रेडिट कार्ड निकाला।

‘नहीं... नहीं, तुम मेरी अतिथि हो।’ नील ने उसके हाथ से क्रेडिट कार्ड ले लिया। बिल मैं भरुँगा।’
ओह! कितना उदार...कितना मेहमान-नवाज़, साँसों का आरोह-अवरोह बढ़ा। प्यार का ज्वार उत्कर्ष पर।
‘यह ज्यादती है नील’ सौम्या का सिर नील के कंधे पर था।
‘चलो तुम्हें घर छोड़ दूँ, रात गहराने लगी है।’ नील ने सौम्या के कंधों को सहलाया।
‘नहीं। आज नहीं प्रिय, यह हमारी पहली डेट है प्यास को थोड़ा और बढ़ने दो…’ सौम्या सतर्क हुई। अभी कुछ दूरियाँ ज़रूरी हैं।
‘तिश्नगी, प्यार का लुबाब है प्रिये। मैं तुम्हारे विवेक को नमन करता हूँ, प्रिये! तुम बिल्कुल वैसी हो, जैसा मैने सोचा था।’ नील की आवाज़ गहरी और भावभीनी थी।
‘घर कैसे जाओगी?’
नील ने सौम्या के बटुए और शाँल को सहेजते हुए उसे अपने बाहों के घेरे में नज़ाकत से लेते हुए पूछा,
‘कैब, मेरा नियमित कैब ड्राइवर पार्किंग लॉट में मेरा इंतज़ार कर रहा है। मैं उसे फोन करती हूँ। तुम्हें कहाँ जाना है?’
‘हीथ्रो, ढाई बजे रिपोर्टिंग है। कल दो महत्वपूर्ण क्लाइंट से मिलना है। ओह! गॉड मुझे तो टाइम का अंदाज़ा ही नहीं रहा। मेरी फ्लाइट मिस हो जाएगी!’

‘नहीं, तुम्हारी फ्लाइट नहीं मिस होगी। टॉम को सारे शार्ट-कट पता हैं। रात के इस प्रहर में हीथ्रो पहुँचने में सिर्फ पंद्रह मिनट लगेंगे।’ शब्द संवेगों के आवेग में समा गएँ। मौन गहरा गया। स्पर्श, आलिंगन, प्यार, चुंबन, पल भर में हीथ्रो आ गया।

‘अगली डेट नील?’ अधीर, टैक्सी से उतर, नील से लिपटते हुए सौम्या बोली।
प्रगाढ़ आलिंगन, माथे पर एक और चुंबन...अभी सौम्या खुद को सहेज ही रही थी कि ‘इंटरनेट पर मिलते है...।’ कहते हुए तेज कदमों से तकरीबन भागता हुआ नील उसकी आँखों से ओझल हो गया।

घर आकर नींद से बोझिल आँखों में नील के सपने लिए सौम्या बिस्तर पर ढह गई। सुबह जब आँख खुली तो सात बज रहे थे। रात सपनों में नील के साथ न जाने कहाँ-कहाँ घूम आई थी। सोचा उसे फोन करे पर फिर जाने क्या सोच कर उसके ही टेक्स्ट या फोन का इंतजार करने लगी। इतने में फोन की घंटी बजी सौम्या लपकी, ‘हाय’
‘सौम्या कल डेट कैसी रही?’ ‘वांडरफुल ममी, नील इज़ ग्रेट। बहुत रोमैन्टिक है पर आम लड़कों से भिन्न है। व्यवहारिक भी है।’ ‘अच्छा चल स्काइप पर आजा, तुझे देखने को दिल कर रहा है। देखें कैसी लगती है अनुराग-रंजित मेरी बेटी।’ ‘ओह! मम आप भी…’ लज्जा से आरक्त सौम्या ने जैसे ही फोन रखा कि दरवाजे की घंटी बजी, इस समय कौन हो सकता है? कहीं अधीर, उसके प्यार में सराबोर, नील लौट तो नहीं आया...। दरवा़जा खोला, सामने यूनीफॉर्म में एक महिला पुलिस के साथ एक पुलिस मैन खड़ा था। पुलिस लेडी के हाथ में एक सुनहरा विजटिंग कार्ड था जिसे दिखा कर उसने पूछा ‘क्या यह विज़िटिंग कार्ड आपका है?’ ‘हाँ यह विज़िटिंग कार्ड मेरा है पर आपको कहाँ मिला?’ ‘मैम आपको पुलिस स्टेशन चलना होगा पहचान के लिए......’ ‘क्या?...’ सौम्या अंदर तक हिल गई। उसे गहरा झटका लगा। वह घबराकर बोली, ‘क्यों? क्या हुआ?’

‘कल रात, हीथ्रो एयर पोर्ट पर वह एक ऑक्सफोर्ड ग्रैजुएट, आई-टी कन्सल्टेंट शातिर ‘हैकर’ पकड़ा गया है... उस ‘हैकर’ के साथ आप कल हीथ्रो एयरपोर्ट पर देखी गई थीं…। उसके जेब से आपका विज़िटिंग कार्ड मिला है। कहीं उसने आपका एकाउंट भी तो हैक नहीं कर लिया?’

सौम्या की साँस मानो रुक गई, उसके बदन का रेशा-रेशा थर्रा उठा। वह अस्थिर हो उठी... तो...तो, क्या नील, उसका नील फ्रॉड है? नहीं...नहीं वह फ्रॉड नहीं हो सकता है। वह खुद्दार है, सच्चा है। वह...वह मेरा प्यार है। उसी आँखें नम और गला घुटने सा लगा। खुद को संभालो सौम्या, नील फ्रॉड हो सकता है क्यों नहीं हो सकता है उसके अंदर से आवाज़ आई। आखिर तुम उसे जानती ही कितना हो? मैं...मैं इंसान को जानने का हुनर रखती हूँ। मैं स्कूल में फ्रॉड आफिसर की तरह जानी जाती थी। मैं चोर और झूठे को पकड़ने में माहिर थी। अगर नील फ्रॉड है तो उसे मुझसे झूठ बोलना चाहिए था। उसने मुझे अपना असली नाम और अपने जीवन की सारी सच्चाइयाँ क्यों बताईं। सौम्या, तुम नील से प्रभावित हो, उससे प्यार करने लग गई हो, ऐसे में तुम धोखा खा ही सकती हो। नहीं...नहीं, मैं पूरे आत्मविश्वास से कह सकती हैँ नील फ्रॉड नहीं है कहीं कोई ग़लती अवश्य है। सौम्या की व्यापारिक बुद्धि ने उसे समझाया। उसने खुद को संतुलित करते हुए गहरी साँस खींची,

‘जी, कल मैं साउथबैंक पर अपनी डेट के साथ डिनर पर गई थी। मेरा डेट, ऑक्सफोर्ड ग्रैजुएट, आई-टी कन्सल्टेंट है उसे ही छोड़ने मैं हीथ्रो एयरपोर्ट गई थी...। पर वह फ्रॉड नहीं हो सकता है। हो सकता है यह सिर्फ़ एक संयोग हो कि जिसे आपने पकड़ा है उसकी क्वालिफिकेशन भी वही है जो मेरे डेट की है। पर यह विज़िटिंग कार्ड ज़रूर मेरा है। मैं कारपोरेट वर्ल्ड से संबंध रखती हूँ। मेरा कार्ड किसी के भी पास हो सकता है।’ फिर उसने खुद को संभालते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ दोबारा कहा, ‘ज़रूरी तो नहीं जिसे आपने पकड़ा है वह मेरा डेट ही हो और वह हैकर भी हो।’

कहने को तो वह कह गई पर उसके मन में बवंडर उठने लगा था। कल नील ने उसे बिल चुकाने नही दिया था। उसने उसके हाथ से उसका क्रेडिट कार्ड ले लिया था। बिल का भुकतान नील ने अपने क्रेडिट कार्ड से किया था। यह उसने अपनी खुली आँखों से देखा था पर...पर उसने उसका क्रेडिट कार्ड उसे लौटाया या नही? उसे कुछ याद नहीं। सौम्या के बदन में नर्वस फुरहरी सी उठी। हैकिंग करने वाले को क्रेडिट कार्ड की क्या जरूरत...वह, वैसे ही एकाउंट हैक कर सकता है। पर हाँ... क्रेडिट कार्ड से हैकिंग और आसान हो सकती है। तो क्या नील फ्रॉड है। नहीं...नहीं, वह शिष्ट, सौम्य एवं कुलीन है। मम्मी-डैडी ने भी उसे परखा है। मेरी अंतरात्मा ने उसे स्वीकारा है। जरूर इन लोगो को कहीं कोई ग़लतफहमी हुई है। सौम्या, उसने खुद से कहा, यह वक्त अन्यथा लेने का नहीं है। मुझे धीरज और आत्मविश्वास का संबल लेना होगा। बेचारा नील...सौम्या

गहरे असमंजस में थी, नील से मिलना आवश्यक है। उसने सोचा वह नील को फोन पर संपर्क कर के आश्वस्त होले, फिर सोचा नील इस समय मीटिंग में होगा। उसे परेशान करना ठीक नहीं है। उसे पहले पुलिस स्टेशन ही जाना चाहिए। आखिर देखे तो वह कौन है जिसे इन लोगो ने नील समझ कर पकड़ा है।
‘मैम, वह ठग पुलिस स्टेशन में है। आपको पुलिस-स्टेशन चल कर उसकी पहचान करनी होगी।’

‘आप लोग एक मिनट ठहरें, कोई विचार बनाने से पहले मैं अपना क्रेडिट कार्ड और बैंक एकाउँट चेक कर के बताती हूँ।’ सौम्या का हृदय तेज़ी से धड़क रहा था। उसके मन में सूनामी लहरें उठ रही थीं, ओह! आज क्या उसका सबकुछ ध्वंस हो जाएगा? नील अच्छे परिवार से आता है वह चतुर, इंटेलिजेंट, संतुलित और सभ्य है। वह ऐसा काम नहीं कर सकता है। वह तो खुद डैडी को हैकर्स की ओर से आगाह कर रहा था फिर वह खुद कैसे हैकर हो सकता है। ज़रूर कहीं कुछ गड़बड़ है, गलतफहमी है। यह कोई और है जिसने किसी को लूटा है। नील ने तो उसके प्यार और विश्वास को जीता है। मेरा नील ऐसा हो ही नहीं सकता है, क्यों नहीं हो सकता है? तुम्हारे पास क्या गारंटी है सौम्या कि तेरा नील ऐसा नहीं कर सकता है। वह कम्प्यूटर एक्स्पर्ट है। सारी तकनीक उसे मालूम है। वह मुझसे प्यार करता है। मैने उसे परखा है, इसलिए वह ऐसा नहीं कर सकता है। वह सच्चा है, सहज है। एक तरह से सरल भी है। उसे महसूस हुआ इन थोडें से दिनों के मेल जोल ने नील को उसके जीवन का मक़सद बना दिया है और वह मन ही मन नील को समर्पित हो चुकी है।

काँपते हाथों से उसने अपने पर्स की डोरी खोली ऊपर और सबसे ऊपर उसका सुनहरा क्रेडिट कार्ड चमक रहा था। सौम्या के जान में जान आई। उसने एक गहरी साँस ली और पुलिस ऑफिसर से कहा, ‘देखिए मेरा क्रेडिट कार्ड मेरे बैग में है। मैं बिल का भुकतान करने ही जा रही थी कि मेरे डेट ने मेरे हाथ से मेरा क्रेडिट कार्ड ले लिया। उसने स्वयं बिल का भुकतान किया और चुपके से मेरा कार्ड बैग में डाल दिया। मुझे पता भी नहीं चला। मैं पूर्ण रूप से निश्चिंत हूँ कि वह व्यक्ति मेरा डेट नहीं है जो आपके हिरासत में है। वैसे मेरे विज़़िटिंग कार्ड तमाम लोगो के पास होते हैं। इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं किसी शातिर ठग की शिकार बन गई।’ सौम्या ने अपने मन की तीखी बेचैनी व्यक्त कर दी। इसी बीच उसने अपने सारे बैंक एकाउँट चेक कर लिए उसमें भी कोई गड़बड़ नहीं था।

महिला पुलिस ऑफिसर ने भी एक लंबी साँस खींची और कहा, ‘मुझे बहुत खुशी हुई मैडम कि आपकी कोई हानि नहीं हुई। फिर भी आपको पुलिस स्टेशन पहचान के लिए चलना होगा’
‘जी, ठीक है। आप मुझे तैयार होने के लिए बीस मिनट का समय दें। आप लोग यही लिविंगरूम में बैठे... टी, कॉफी या कुछ?
‘जी, नहीं हम ठीक हैं आप बस तैयार हो जाएँ।’

सौम्या ने अंदर जा कर पहले ममी को फोन कर के कहा कि वह किसी आवश्यक काम से बाहर जा रही है, लौटकर बात करेगी। फिर अपने बाकी के क्रेडिट कार्डस चेक किए सभी यथा स्थान थें। वह अधीर सी कपड़े बदलने लगी, उसे यह तो समझ आ रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ ज़रूर है पर गड़बड़ कहाँ पर है यह वह इंगित नहीं कर पा रही थी। वह व्यक्ति जो पुलिस स्टेशन में बैठा है वह शायद नील ही है या नील नहीं है... हो सकता है नील ‘मिस्टेकन आईडेंटिटी’ के चक्कर में पकड़ा गया हो। ऐसा फिल्मों में तो होता ही है पर यथार्थ में भी होता रहता है। फिर पुलिस वह तो कोई भी केस वना सकती यह तो सारी दुनिया को पता है।

सौम्या स्तब्ध रह गई जब उसने पुलिस की हिरासत में अपने नील को इंसपेक्टर के सामनेवाली कुर्सी पर बैठा पाया। यह नील हर्षित चेहरेवाला हँसमुख, बातूनी उसका डेट नील नहीं था जो उसके तन-मन को अपनी रसीली बातों से चुराए चला जा रहा था... इस नील का चेहरा बुझा हुआ था, वह व्याकुल था, उसकी आँखें लाल और नींद से बोझिल हो रही थीं। ‘नील, नील ये लोग क्या कह रहे है? क्या तुमने किसी का एकाउँट हैक किया है।’ सौम्या अधीर, तड़प कर बोली।
‘ऐसा कुछ नहीं है सौम्या। मुझे नही मालूम था कि हम दोस्तों द्वारा आपस में दी गई एक निर्दोष चुनौती, एक चुलबुली शरारत मुझे ऐसे भीषण परिस्थिति में डाल देगी’ नील ने सौम्या के हाथों को सहलाते हुए कहा ‘उस शाम मेरे दोस्त डैन की स्टैग पार्टी थी। हम लोग मस्ती मे थे। शाम के सात बजे से पीना-पिलाना शुरू हो गया। आइटम गर्ल को नौ बजे आना था। सब सरूर और मस्ती में थे। एक घंटे का समय था हम एक-दूसरे पर अपनी अपनी कुशल क्षमताओं और य़ोग्यताओं की तड़ी मार रहे थे। इतने में डैन ने हमें ललकारा, ‘है कोई माई का लाल जो मेरे एकाउँट को हैक कर सके।’ मैंने जोश में चुनौती स्वीकार कर लिया। मेरी ही नही, हम सभी दोस्तों की एड्रिनेल ग्रंथि में तेज़ रिसाव हो रहा था। हमने अच्छी खासी पी रखी थी। उत्तेजना में मेरी उँगलियाँ तेज़ी से लैपटॉप पर दौड़ने लगीं, मेरे कंधे पर झुके हुए थें। बस तभी ज़रा देर में आइटम गर्ल के आने का हुल्लड़ मच गया। मुझे याद नहीं मैं किस स्तर तक पहुँचा था। अब मेरी सारी इंद्रियाँ मित्रों के साथ आइटम गर्ल से छेड़-छाड़ करने में लग गई। बाद में हम रात भर पीते पिलाते पब-हॉपिंग करते रहें। दूसरे दिन डैन की शादी थी। उस मौज मस्ती में मैं उस चुनौती को भूल गया।’

‘तो फिर यह शातिर हैकर वाली बात’ ‘वही तो मैं भी परेशान हूँ। मैने कोई एकाउँट हैक नहीं किया है। उस रात शोखी में मैं यह चुलबुली शरारत कर बैठा। शायद बैंक को इसकी खबर हो गई और उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी। संभवतः यह सब उसी का परिणाम है।’ ‘अब क्या होगा नील? मेरी तो जान निकली जा रही है। मैं जानती हूँ तुम कोई गलत काम नहीं कर सकते हो।’ उसने नील के बालों में अधीरता से उँगलियाँ फिराते हुए कहा,
‘प्लीज़ धीरज रखो सौम्या। मेरा दोस्त डैन उसकी वकील पत्नी आते ही होंगे।’ इतने में नील का दोस्त डैन और उसकी वकील पत्नी आ गए। उनके स्टेटमेंट पर पुलिस ने सारी स्थिति का आकलन किया।

पुलिस अफसर भी एक जिंदादिल नौजवान ऑफ़िसर था। स्टैग पार्टियों की मौज मस्तियों और वेवकूफि़यों से वह खुद भी कई बार गुज़र चुका था। उसने फाइल बंद कर ड्रॉर में रखते हुए, नील और उसके साथियों को वार्निंग देते हुए कहा, ‘इस तरह के मज़ाक भी गंभीर अपराध होते है, चाहे वह चुलबुली शरारत ही क्यों न हों...... ‘

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१९ सितंबर २०११

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