शहर में नंदी भगवान प्रकट हो गए हैं। यह खबर आग
की तरह दूर-दूर तक फैल गई है। प्रिंट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया
में कवरेज के लिए होड़ लगी हुई है। हर कोई नंदी भगवान को निकट
से देखना चाहता है। उसे छूना चाहता है।
जो भी दर्शन के लिए आ रहा है वह कुछ न कुछ हाथ
में लिए हुए हैं। किसी के हाथ में आटे-चोकर की मीठी पिन्निया
हैं। किसी ने डब्बल रोटी उठा रखी है। कोई पैसे चढ़ा रहा है। कोई
लाल चुनरी और मौली लेकर नंदी के गले और पूँछ में बाँध रहा है।
कोई दूध और पानी की बाल्टी लेकर उस पर चढ़ा रहा है। उसके पैर धो
रहा है। चंदन के तिलक लगाए जा रहे हैं। गाँव से भी मर्द और
औरतें दर्शन के लिए पहुँच रहे हैं। उनके हाथ में हरे घास और
पत्तियों की छोटी-छोटी पूलियाँ हैं। जितने लोग आए हैं सभी के
मन में मन्नते हैं। चाहते हैं। इच्छाएँ हैं। कोई धन माँग रहा
है। कोई बेटा माँग रहा है। कोई नौकरी लगने की आस लिए आया है तो
किसी को बेटी के विवाह की चिन्ता है। चुनाव जीत कर आए कुछ नए
विधायक मन्त्री की कुर्सी माँग रहे हैं। ऐसे भी बहुत हैं जो
अपनी काली करतूतों को छुपाने के लिए नंदी भगवान से प्रार्थना
कर रहे हैं।
किसी को कोई पता नहीं है कि नंदी बैल अचानक कैसे प्रकट हो गया।
कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ। एक दो लोग जो साथ है, वे सपने में
भगवान शिव के आने की बात कहते हैं। |