"वनमाला के
दाह-कर्म पर हमारा बहुत पैसा लग गया, मैडम।" अगले दिन जगपाल
फिर मेरे दफ्तर आया, "उसकी तनख्वाह का बकाया आज दिलवा दीजिए।"
वनमाला मेरे पति वाले सरकारी
कालेज में लैब असिस्टेंट रही थी तथा कालेज में अपनी ड्यूटी
शुरू करने से पहले मेरे स्कूल में प्रातःकालीन लगे ड्राइंग के
अपने चार पीरियड नियमित रूप से लेती थी। सरकारी नौकरी की
सेवा-शर्तें कड़ी होने के कारण वनमाला की तनख्वाह हम स्कूल के
बैंक अकाउंट में प्रस्तुत न करते थे, लेखापाल के रजिस्टर में
स्कूल के विविध व्यय के अन्तर्गत जारी करते थे।
"वेदकांत
जी इस समय कहाँ होंगे?"
लेखापाल होने के साथ-साथ वेदकांत
स्कूल के वरिष्ठ अध्यापक भी हैं।
"वेदकांत जी?" पास बैठी आशा रानी
को स्कूल के सभी अध्यापकों व अध्यापिकाओं की समय सारिणी कंठस्थ
है,"वेदकांत जी इस समय छठी कक्षा में अँग्रेजी पढ़ा रहे हैं।"
"उन्हें वनमाला की तनख्वाह का बकाया जोड़ने के लिए बोल आइए।"
आशा रानी को अपने दफ्तर से भगाने का मुझे अच्छा बहाना मिल गया। |