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उसने मिसेज रमणिका पाटेकर को प्रिंसिपल का संदेश दे दिया।
प्रिंसिपल किसी को बुलवाए तो क्या लेडीज स्टाफ रूम और क्या
जेण्ट्स स्टाफ रू़म सभी को साँप सूंघ जाता है। मिसेज रमणिका पाटेकर लगभग हाँफते हुए प्रिंसिपल के कमरे
में पहुंची, 'आपने मुझे याद किया सर . . . '
'प्लीज . . . प्लीज . . . डोंट बी शो इमोशनल . . . आपको वॉटर थिरेपी लेनी चाहिए,
मैने तो आपको जो
कुछ भी कहा, अपने इक्शपीरियेंश से कहा। अब आप ही बताइए कि अगर आप अपनी प्रिगनेन्शी के बारे में
मुझे यानी कि शकूल को नहीं बताएंगी तो आपकी मेटर्निटी लीव के
समय के लिए मैं किश टीचर को कॉन्टेक्ट करूंगा . . . अब आप ऐशा कीजिए कि लिखकर दीजिए कि ऐसी कोई बात
जब फिर होएगी तो आप पहले शे शकूल को कॉन्फीडिन्स में रखेंगी
. . . हां, आप इतना और बता दीजिए कि आप की शिफ्ट में और
कौनकौन प्रिगनेन्ट है . . . '
रमणिका पाटेकर के सिर पर न आसमान था और न पाँवों के
नीचे धरती। वह तो बदहवास सी बाहर निकलीं। निकलने से पहले उन्होंने पांचछह उन
अध्यापिकाओं के नाम
जरूर बता दिए जो उनकी शिफ्ट में थीं और प्रेगनेन्ट थीं। उन्हीं में एक मिसेज बालूवाला भी थीं।
अपने बारे में बगैर कन्फर्म हुए मिसेज पाटेकर क्या लिखकर देती
और कैसे लिखती कि अगली बार जब ऐसा कुछ होगा तो वे
सुनियोजित ढंग से सब कुछ करेंगी और स्कूल को बहुत पहले से
सूचित कर देंगी ताकि उनकी जगह किसी को संदर्भ नियुक्ति में कोई
परेशानी न हो। जब वह स्टाफ रूम में पहुंची तो उनका चेहरा दर्पण की तरह
आपबीती बता रहा था। अध्यापिकाओं ने जानना चाहा। मिसेज पाटेकर ने हिचकियों के बीच सब कुछ बता दिया।
'इस साले प्रिंसिपल को प्रेगनन्सी का एक्सपीरियेन्स कहां से
मिला .
. . और अगर यह सही है तो कल . . . इसे मैं फिर से प्रेगनेन्ट करती हूं
. . . ' मिसेज लतिका बालूवाला ने फैसलाकुल अंदाज में कहा।
जिन अथ्यापिकाओं के गर्भवती होने की सूचना मिसेज पाटेकर
से प्रिंसिपल को दी थी, उन्हें ऑफिस ब्वॉय राई ने बीस मिनट के
अंदर ही आकर बता दिया कि बड़े साहब का बुलावा है।
'कोई भी आज मिलने नहीं जाएगा . . . ' मिसेज बालूवाला ने
निर्णायिका का रोल निभाया।
'कल जब मैं मिल लूं उसके बाद जब वह किसी को बुलाता है
तो जाना . . . 'उन्होंने किसी को नहीं बताया कि कल वह क्या करने
वाली है।
शाम को मिसेज रमणिका पाटेकर ने अपनी प्रेगनेन्सी टेस्ट
कराया। रिजल्ट
पॉजिटिव निकला। वह पहली बार माँ बन रही थीं पर माँ बनने का उनका
गौरव बुरी तरह क्षतविक्षत हो गया था। प्रिंसिपल से मिलने कोई नहीं गया।
दिन भर वह अपने चेम्बर में खौलता रहा कि इन अवज्ञाकारिणी
शिक्षिकाओं के साथ उसका अगला कदम क्या होगा?
मिसेज बालूवाला अगले दिन बड़े इत्मीनान से स्कूल आई। उन्होंने एसम्बली अटेण्ड की।
अपना पहला पीरियड लिया और उसके बाद प्रिंसिपल के चेम्बर
में घुसीं '
'एस सर . . . अपने मुझे बुलाया था . . . ' 'दैट्स ऑल आइ वांटेड . . . कमॉन यू रास्कल ऐण्ड बोल्ट द डोर, कमॉन।' घायल शेरनी की तरह दहाड़ते हुए मिसेज बालूवाला ने अपने पर्स में से छोटासा टेप रिकॉर्डर निकाल लिया, 'नाउ . . . आय विल टेक इट टु ऑल द बोर्ड मेम्बर्स . . . .अंडरस्टैंड यू . . . . ' प्रिंसिपल के चेहरे पर बारह बज गए। वह सीधे मिसेज लतिका बालूवाला के पैरों पर गिर पड़ा , 'आयम शौरी . . . वेरी शौरी . . . यू ऑर लाइक माय शिश्टर . . . आय प्रॉमिश . . प्लीज फॉरगिव मी . . . वन चांश . . . न जाने वह क्याक्या बकता रहा। मिसेज बालूवाला उसके कमरे से बाहर निकल आई। उन्होंने औरतों की आदत के खिलाफ आचरण किया। किसी को इस संबंध में कुछ नहीं बताया। स्टाफ के लोगों ने अपनीअपनी समझ से अनुमान लगाया। हाँ, एक बात जो सबने नोट की वह यह कि प्रिंसिपल अब मिसेज बालूवाला को नमस्ते करने लगा था। इस परिवर्तन से लोगों को लगा था कि हो न हो,मिसेज बालूवाला ने प्रिंसिपल को फॉल्स प्रेगनेन्सी तो करा ही दी है .. . . .
लगभग एकडेढ़ साल तक प्रिंसिपल लोप्रोफाइल में रहा पर
उसके बाद वह फिर अपने अंदाज में शुरू हो गया था। रस्सी के जल जाने से ऐंठन तो नहीं जलता न। इस वर्ष मार्च पास्ट की टीम को अभ्यास कराने का दायित्व वासुदेव को सौंपा गया था। वासुदेव के टाइम टेबल की प्रॉक्सी बन गई। उसकी क्लासेज दूसरों को लेनी पड़तीं। खेलकूद की तैयारी के नाम पर उससे जुड़े लड़के हाई जंप, लांग जंप, टि्रपल जंप, डिस्कसजैवलिन और शॉटपुट के साथ सौ, दो सौ, चार सौ, आठ सौ मीटर की दौड़ के साथसाथ रिले और हर्डल्स की प्रैक्टिस करते। बाकी लड़के क्लासेज में बैठे घुटा करते और मौका मिलते ही ग्राउंड में आ जाते । प्रतियोगिता की तैयारी से लेकर उसके खत्म होने तक एक भयंकर किस्म की अनुशासनहीनता का आलम रहता।
वासुदेव मैदान में एक किनारे पेड़ की छाया में बैठा हुआ
था। उसकी
टीम मार्च पास्ट की प्रैक्टिस में लगी थी। वासुदेव के दो पीरियड एलेवन्थ बी में थे, उनकी प्राक्सी
हेनरी को दी गई थी। स्टाफ रूम से साइंस ब्लॉक तक पहुंचने में उसे पांचसात मिनट लग गए। जब
तक वह पहुंचा लड़के क्लास से निकलकर मैदान में पहुंच चुके थे।
वह थोड़ी देर तक क्लास के सामने खड़ा रहा और उसके बाद
वापस स्टाफ रूम में बैठ गया। एलेवेन्थ बी के लड़कों ने मैदान में पहुंचकर फुटबॉल खेलना शुरू किया जिसमें मार्च पास्ट करनेवालों और खेलकूद का अभ्यास करने वालों को असुविधा होने लगी। लड़कों में तूतू , मैंमैं हुई और जब तक वासुदेव का कोई हस्तक्षेप होता तब तक हाथापाई भी हो गई। वासुदेव ने जो रिपोर्ट प्रिंसिपल को दी उसके अनुसार हेनरी को फंसाना था। ऑफिस ब्वॉय राई उसका फरमान लिए स्टॉफ रूम में आ पहुंचा, 'साब ने बुलाया है . . . '
'कमबख्त . . . यह भी एक मुसीबत ही है . . . ' कहते हुए हेनरी उठ पड़ा, 'चलो
. . . ' 'यह तो आपका शौक है , जो जी में आए करें . . . ' हेनरी उठ खड़ा हुआ, 'मेरी कोई गलती नहीं हैं . . आप समझे कुछ . . ' वह बाहर निकल आया। आधे घंटे के अंदर ही उसे स्टि्रक्ट वॉर्निंग लेटर मिल गया जो उसकी पर्सनल फाइल में भी लग गया। लेटर के अनुसार उसे एपोलॉजी लिखकर तुरंत देनी थी . . उसने एक पंक्ति का माफीनामा लिखा, 'आइ विल नॉट से सॉरी फॉर व्हिच आइ हॅव नॉट कमिटेड . . ' प्रिंसिपल छनछनाकर रह गया। हेनरी ने सब कुछ वक्त पर छोड़ ही रखा था। वह अपने ढंग से काम करता रहा। एथलेटिक मीट हुई। इस बार चौबीस स्कूलों ने भाग लिया। परंपरागत रूप से स्कूल को पहला स्थान मिला। यही नहीं मार्च पास्ट की जो ट्रॉफी दूसरे स्कूलों को जाने लगी थी, वह भी मिली। वासुदेव की वाहवाही हुई। चेयरमैन ने इस उपलब्धि पर अपनी ओर से टीचर्स और एथलीट्स को ट्रीट देने की घोषणा की।
स्कूल के ऑडिटोरियम में चेयरमैन की ओर से पहले ही
औपचारिकताएं पूरी की गई। प्रिंसिपल ने चेयरमैन को बीफ कर रखा था।
उसने एथलीट्स को शाबाशी दी। वासुदेव की तारीफ की और उसे स्टेज पर बुलाने के बाद सबको
संबोधित करते हुए कहा, 'गिव मिस्टर वासुदेव अ बिग हैंड . . . '
ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वासुदेव के लिए यह एक मौका था।
और, मौका चूकना उसने सीखा नहीं था। उसने तुरंत ही माइक हाथ में लिया और चेयरमैन के उत्साह
प्रदर्शन पर अपना धन्यवाद दे डाला। चेयरमैन अपनी प्रशंसा से
गदगद हो गया। उसने वासुदेव का हाथ अपने हाथों में लिया और उसकी
प्रशंसा का बदला अपने स्पर्श से दिया। 'सर, अगले एकेडमिक सेशन से कराइए . . . ' वासुदेव का बेटा इस वर्ष आईएससी के अंतिम वर्ष में था। अगले साल जब वह किसी न किसी प्रोफेशनल कोर्स में जाएगा तो उसकी माँ को यहां लाना वासुदेव के लिए लाभदायक होगा। प्रिंसिपल ने वासुदेव और चेयरमैन को इस तरह घुलमिलकर बातें करते देखा तो उसे लगा कि चेयरमैन जरूर ही कोई नया आदेश उसे देने वाला है। यह वासुदेव तो उड़ती चिड़िया को हल्दी लगाने वाला निकला। चेयरमैन ने जयराज को बुलाया। 'एश शर . . . ' 'मिस्टर जयराज . . स्टार्ट काउंसलिंग सेल फॉर गर्ल्स ऐण्ड ब्वॉयज फ्रॉम द नेक्स्ट एकेडमिक सेशन ऐण्ड . . . अरेन्ज वन स्कूल वीजा फॉर मिसेज वासुदेव . . . शी विल बी द इंचार्ज फॉर गर्ल्स शिफ्ट . . . ' 'एश शर . . .' चेयरमैन ने फिर से माइक संभाला। उसने वासुदेव की भरपूर प्रशंसा की और हेनरी को आड़े हाथों लिया। स्टाफ ने चेयरमैन के इस स्टेटमेंट की हानिकारक ही माना। आज हेनरी का नाम लिया उसी तरह कल किसी दूसरे का नाम भी यह ले सकता है। हेनरी
ने चेयरमैन की इस प्रतिक्रिया को भी वक्त की ताकत के हवाले कर
दिया। उसने
मुस्कराकर कहा, 'कमबख्त चमचागिरी की भी कोई हद होती है . . . '
दिसंबर
के महिने में जब पत्ते पेड़ों को छोड़ रहे थे तब हेनरी को
अपने बड़े भाई की चिठ्ठी मिली। उन्होंने हेनरी की शादी की तारीख तय कर दी थी।
बाईस दिसंबर। क्रिसमस की छुट्टियों से ठीक पहले। क्रिसमस की छुट्टियों के साथ ही विंटर ब्रेक भी था।
कुल मिला कर हेनरी को अपनी होने वाली बीबी के साथ रहने
को दस दिन मिल रहे थे। उसके बाद वह अपनी पत्नी के लिए स्पांसर होकर अपलाई करता।
उसने प्रिंसिपल के चेम्बर पर खड़े होकर दरवाजे से ही कहा,
'मे आइ कम इन सर . . . ' |
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स्रोत : वागर्थ (अक्तूबर 1996)
संपादक प्रभाकर श्रोत्रिय भारतीय भाषा परिषद, 36ए शेक्सपीयर सरणी, कलकता 700 017 |