|  १९७२ 
                  में शंकर अंतर्राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में पुरस्कृत 
                  पालनपुर¸ गुजरात की छः वर्षीय कलाकार बेला रमणीकलाल रावल की 
                  कलाकृति खेलते हुए बच्चे को पुरस्कृत किया गया था। यह कला 
                  प्रतियोगिता १९४९ में बच्चों की कलात्मक प्रतिभा को बढावा देने 
                  के उद्देश्य से शुरू की गई थी। १९७२ की इस प्रतियोगिता में लगभग 
                  १०० देशों के बच्चों ने भाग लिया जिसमें से यह कलाकृति चुनी गई 
                  थी। १९७३ में इसी कलाकृति को बालदिन के डाक टिकट पर जारी किया  गया 
                  (ऊपर दाएँ)। १९७४ के बालदिवस वाले टिकट पर पीली पृष्ठभूमि में 
                  अंकित राजेश भाटिया की गेरूई बिल्ली की कलाकृति छापी गई है।
 १९७४ से १९८४ 
                  तक बाल दिवस पर कलाकृतियों का दशक हावी रहा। इस दौरान जारी किए 
                  गए डाक टिकट विभिन्न बाल–चित्रकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों 
                  पर आधारित थे। 
  १९७४–७५ और ७६ में जो टिकट जारी किए गए उन पर बच्चों द्वारा 
                  चित्रित पशुओं के चित्र प्रकाशित किए गए थे। ये रंग बिरंगे 
                  चित्रों वाले डाक टिकट २० नए पैसे मूल्य के थे।
 
                  १९७५ में प्रकाशित बालदिवस के टिकट 
                  में संजीव नाथूराम पटेल की कलाकृति में रंगबिरंगी गाय के साथ लाल 
                  कुर्ता पहने हुए एक बालक को चित्रित किया गया है। १९७६ के डाक 
                  टिकट पर एच डी भाटिया का बनाया 
                  हुआ बहुत से रंगों वाला नेवला है जिसके साथ एक महिला का चित्र भी  बनाया 
                  गया है। 
                  १९७७ में बालचित्रकारों द्वारा 
                  अंकित कुछ और विषयों को डाक टिकटों पर जगह मिली। इस वर्ष 
                  चित्रकार भवसार आशीष रमनलाल द्वारा बनाई कलाकृति मित्र पर टिकट 
                  जारी किया गया। इस टिकट में बेंच पर बैठे हुए दो मित्रों को 
                  दिखाया गया था। रंगबिरंगी कलाकृति वाले इस टिकट का मूल्य एक 
                  रुपया था।
   १९७८ में जारी डाक टिकट 
                  चित्रकार दिनेश शर्मा की कृति दो दोस्त पर आधारित था। इसमें एक 
                  बच्चे को मुर्गे के साथ चित्रित किया गया था। इस टिकट का मूल्य 
                  २५ पैसे रखा गया।
 
 
  वर्ष 
                  १९८० से १९८४ तक बाल दिवस पर जारी टिकट एक बार पुनः विभिन्न 
                  चित्रकारों की कलाकृतियों पर आधारित थे। 
 १९८० में जारी किए गए इस टिकट पर प्रकाशित नृत्य के दृश्य को 
                  पम्पा पॉल ने नाचती हुई लडक़ियाँ शीर्ष से चित्रित किया था।
 
 १९८१ से १९८४ तक हर साल अलग अलग बाल चित्रकार को डाक टिकटों पर 
                  अपनी कलाकृति देखने का अवसर मिला। १९८१ में कुमारी रुचिता शर्मा 
                  की कलाकृति खिलौने वाली¸ १९८२ में दीपक शर्मा की कलाकृति मां और 
                  बच्चा¸ १९८३ में कश्यप प्रेम सावल की कलाकृति उत्सव और १९८४ में 
                  एच कस्साम की कलाकृति जंगल में पशु और चरवाहा को प्रकाशित किया 
                  गया। ये चित्र वर्ष संख्या के क्रम में नीचे दिए गए हैं।
 
                    
                    
                      
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      १९८१  | 
      १९८२  | 
      १९८३  | 
      १९८४ |  
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