शिशु का ४०वाँ सप्ताह
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इला
गौतम
न और नहीं – का आरंभ
शिशु अब "ना" शब्द का अर्थ समझना शुरू कर रहा है हालाकि वह
अभी इसका पालन नही करेगा। उदाहरण के तौर पर, जब आप शिशु को
कोई वस्तु छूने से मना करेंगे तब भी हो सकता है कि वह उस
वस्तु को छुएगा। "ना" शब्द जितना कम इस्तेमाल किया जाए
उतना अच्छा होता है। जब भी यह शब्द इस्तेमाल करें तो उसके
फ़ौरन बाद शिशु को उस जगह से हटाकर किसी और नई गतिविधि में
व्यस्त कर लें।
व्यक्तित्व का विकास-
आपके शिशु का व्यक्तित्व अब वास्तव में उभर कर सामने आ रहा
है। हो सकता है कि शिशु बहुत मिलनसार हो और उससे मिलने
वाले हर एक व्यक्ति को देखकर वह एक प्यारी सी मुस्कान दे
या फिर हो सकता है कि वह शर्मीला हो और जब कभी कोई अपरिचित
और नया व्यक्ति उसके पास आए तो वह अपना मुँह छुपा ले। कुछ
बच्चे बिना शर्माए आगे बढ़कर दूसरों से बात करते हैं और
कुछ स्थिती को आँक कर फिर अपरिचित लोगों को स्वीकार करते
हैं। हो सकता है कि शिशु गुस्से वाला हो या फिर या फिर
उसका मन नाटकीय रूप से बदलता हो।
शिशु आपका ध्यान पाने के लिए इशारा करेगा जैसे जब आप
दरवाज़े की ओर जाएँगे तब हो सकता है कि वह हाथ हिलाकर
अल्विदा का इशारा करे। शिशु की अपनी अलग बुद्धि विकसित हो
रही है जैसे जब आप उसे कार सीट या स्ट्रोलर में बैठाना
चाहेंगे तब यही बुद्धि शिशु को आपका विरोध करने को कहेगी।
खेल खेल खेल-
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चिपचिपी सतह- शिशु जब खिलौने को उठाकर उनसे
खेलने में माहिर हो जाता है तब वह इस अजीब लेकिन
आश्चर्यचकित
करने वाले खेल के लिए तैयार है। इस खेल के लिए हमें
चाहिए चिपकाने वाला कागज़ (जिसके केवल एक तरफ़ गोंद
हो), एक चिपकाने वाला टेप और कुछ छोटे खिलौने।
यह खेल खेलने के लिए चिपकाने वाले कागज़, जैसा दीवारों
पर चिपकाने के लिए आता है, लेकर उसकी एक बारह इन्च
चौड़ी और चौबीस इन्च लम्बी पट्टी काट लें। अब इस कागज़
का चिपकने वाला हिस्सा ऊपर रखते हुए इसे चिपकाने वाले
टेप की मदद से चारों किनारों को ज़मीन पर अच्छे से
चिपका लें। अब इस चिपचिपी सतह पर कुछ छोटे-छोटे खिलौने
अच्छी तरह दबाकर रख दें ताकि वह अच्छे से चिपक जाएँ।
फिर शिशु को खिलौने दिखाएँ और उसे उन्हे उठाने के लिए
(या फिर उठाने कि कोशिश करने के लिए) प्रोत्साहित
करें। आप और शिशु दोनो खूब हँसेंगे जब शिशु को पता
चलेगा कि खिलौनों को कैसे खीचकर निकालना है।
जब शिशु सारे खिलौने निकाल ले तब उसे इस चिपकने वाले
कागज़ पर नँगे पैर चलाएँ। जब आप शिशु का एक पैर उठाकर
दूसरा पैर रख कर चलने में मदद करेंगे तो शिशु इस नई
सतह के स्पर्श से मोहित हो उठेगा। लेकिन यदि शिशु को
यह चिपकाने वाली भावना अच्छी ना लगे तो उसके साथ
ज़बरदस्ती ना करें।
इस खेल से शिशु की छोटी माँसपेशियों का कौशल विकसित
होता है तथा हाथ व आँख के समन्वय का भी विकास होता है।
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छुक छुक रेलगाड़ी- जिन बच्चों ने अभी-अभी घुटने
के बल चलने में महारथ प्राप्त की है उनके लिए यह खेल
बहुत ही रोमांचक होगा। इस खेल के लिए हमें किसी भी
विशेष वस्तु की आवश्यक्ता नही है।
यह खेल खेलने के लिए अपने पैर फैलाकर ऐसे खड़े हों कि
आपके पैर आपके कँधों से बाहर हों। शिशु को कहें कि वह
एक रेलगाड़ी है और आप एक सुरंग। फिर उसे आपके पैरों के
बीच से गुज़रने के लिए प्रोत्साहित करें। जब शिशु गुज़र
रहा हो तो साथ-साथ छुक-छुक-छुक और सीटी की आवाज़ें भी
निकालें ताकि एक रेलगाड़ी जैसा ध्वनि प्रभाव हो।
जब शिशु यह खेल थोड़ी देर खेल ले तब उससे कहें कि अब
ट्रेन को थोड़ा जल्दी गुज़रना होगा, सुरंग के गिरने से
पहले। जैसे-जैसे शिशु गुज़र रहा होगा वैसे-वैसे अपने
पैर पास लाएँ और शिशु को पकड़ने का नाटक करें। या फिर
अपना शरीर नीचे लाएँ (अपने घुटने मोड़कर) मानो कि आप
शिशु पर बैठने वाले हैं।
इस खेल से शिशु अपने घुटने के बल चलने की कला में और
माहिर होगा और उसके गति पर नियंत्रण रखने के कौशल का
भी विकास होगा।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या विकास
होने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा समय लेते हैं। यदि माँ के मन में बच्चे के स्वास्थ
या विकास से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सलाह लेनी चाहिए।
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