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शिशु का २६वाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
गति के लिये
आरामदायक परिधान
जैसे-जैसे शिशु और भी सक्रिय हो रहा है उसे आरामदेह कपड़े
पहनने अच्छे लगेंगे। मुलयम कपड़े चुनें ताकि जब शिशु
इधर-उधर हिले तो कपड़ा शिशु की त्वचा से रगड़े नही। ढ़ीले
खिचने वाले, और जिसमें से हवा आर-पार हो सके एसे कपड़े
चुनें ताकि नन्हा मुन्ना आराम से कमरे में घूम फिर सके।
खुरदुरी या सख्त सिलाई वाले कपड़े ना चुनें, रिब्बन, बड़े
बटन, या बो वाले कपड़े (यह चीज़ें शिशु के गले में अटक सकती
हैं), या कोई भी ऐसी चीज़ जो शिशु को सोने में, घुटने के बल
चलने में, खेलने में, या अन्य नियमित गतिविधियों में बाधा
बन सकती हो वह ना लें।
सांकेतिक भाषा
का प्रारंभ
यदि आप सांकेतिक भाषा से शिशु का परिचय कराना चाहते हैं तो
यही सहि समय है। शिशु का भाषा समझने का कौशल और हाथ पैर
चलाने का कौशल उसके बोलने की क्षमता से अधिक तेज़ विकसित
होता है। उदाहरण के तौर पर। अधिकतर बच्चे हाथ हिलाना सीख
जाते हैं (लगभग ९ महीने की उम्र में), एक वस्तु की ओर
अँगुली कर के संकेत कर सकते हैं (करीब १ साल की उम्र में),
"बाए बाए" या "ये देखो" कहने के बहुत समय पहले।
शिशु को अपने भाव व्यक्त करने के लिए यदि उपकरण दिए जाएँ
तो वह कम चिड़चिड़ा होगा। सांकेतिक भाषा निश्चित रूप से
शिशु के गुस्से का आवेश या रोना कम तो नही करती लेकिन इस
उम्र में शिशु यह भाषा सफलता पूर्वक सीख लेता है।
शुरुआत के लिए आम शब्दों का उपयोग करते समय हाथों के संकेत
का इसतेमाल करें। जैसे "किताब" कहते समय दोनो
हथेली
जोड़कर खोलें, और "भूख" बोलते समय अपनी अँगुली होठों पर
रखें। आगे जाकर शिशु जटिल विचार भी व्यक्त कर पाएगा जैसे
"मुझे और जूस नही चाहिए" कहने के लिए वह अपनी हथेली कँघे
की ऊँचाई पर दिखाएगा।
चिंता ना करें। हस्त संकेत आपके शिशु की बोलने की क्षमता
में बाधा नही बनेंगे। बल्कि यह शिशु के भाषा कौशल को
विकसित होने में मदद करेंगे।
दायाँ हाथ या बायाँ हाथ
शिशु कुछ समय के लिए एक हाथ से काम करना पसंद करता है और
कुछ समय के लिए दूसरे से। इसलिए जब तक शिशु २ या ३ साल का
नही हो जाता यह बताना मुशकिल है कि वह बड़ा हो कर दाएँ हाथ
से काम करेगा या बाएँ से।
शिशु के हाथ की पसंद पर अपना प्रभाव ना डालें (यह जन्म से
पहले ही निशचित हो चुका होता है)। यदि बाएँ हाथ का
इस्तेमाल करने वाले शिशु पर दायाँ हाथ इस्तेमाल करने के
लिए ज़ोर डाला जाएगा तो वह असमन्जस में पड़ जाएगा। इसके
कारण आगे जाकर उसे हाथ और आँख से समन्वय में, हाथ की लिखाई
में और निपुणता में कठिनाई आ सकती है।
खेल खेल खेल-
-
डिब्बे
में गुडडा - जैसे
जैसे शिशु वस्तुओं के अस्तित्व के बारे में सीख रहा है
उसके लिए कोई भी खेल, जिसमें कोई चीज़ आती है और गायब
हो जाती है, अति रोमान्चक लगते हैं। इस खेल के लिए
आपको चाहिए एक कागज़ का गिलास, एक डंडी या पेन्सिल, एक
छोटा सा रंग-बिरंगा खिलौना (अँगुली वाली कठपुतलियाँ
सबसे अच्छी रहती हैं), और चिपकाने के लिए एक टेप या
गोंद। गिलास के तल्ले में छेद कर के उसमें डंडी या
पेन्सिल घुसा दें। फिर डन्डी का जो हिस्सा गिलास के
अन्दर है उसमें खिलौना चिपका दें। और बन गया पॉप अप
खिलौना। डंडी खीच कर खिलौना गिलास में छुपा दें फिर
एकदम से डंडी को ऊपर ढ़केल कर खिलौना ऊपर ले आएँ।
देखिए कैसे नन्हा मुन्ना खिलखिलाता है।
-
आओ
देखें क्या होता है -
शिशु को गोद में लेकर
अलमारी का दरवाज़ा बंद करें और खोलें, बत्ती का बटन ओन
ओफ़ करें (इससे उसे अधेरे और रोशनी में भी फ़र्क पता
चलेगा), आप नल को खोल बन्द भी कर सकते है (ध्यान रहे
कि नल में केवल ठंडा पानी आ रहा हो)।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
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सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
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