नवजात
शिशु का नवाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
बिब
वाले दिन
यों तो शिशु की लार ग्रंथियाँ गर्भाशय में ही काम करना
शुरू हो जाती हैं पर आम तौर पर ९ हफ़्ते के शिशु की लार
टपकने लगती है। वह हर चीज़ मुँह में डालता है और जितनी लार
निगल सकता है उससे ज़्यादा बनाता है। इसका मतलब यह नही है
कि शिशु के दाँत आने वाले हैं - यह कम से कम अगले २ सप्ताह
के लिए नही होगा। अधिकतर शिशुओं का पहला दाँत ४ से ७ महीने
के बीच निकलता है। यदि शिशु जल्दी बढ रहा है तो ३ महीने की
उम्र में ही उसके सामने के बीच के निचले २ दाँतों की सफ़ेद
टोपी दिखाई देगी। बहुत ही कम लेकिन ऐसा भी होता है कि शिशु
का पहला दाँत जन्म पर ही दिखाई देने लगे। कुछ बच्चों के
दाँत साल भर की उम्र में भी आने शुरू होते हैं।
कई माता पिता ९ हफ़्ते के बच्चे को लार पोछने के लिए स्थाई
तौर पर एक बिब लगा देते हैं। ध्यान रखने की बात यह है कि
सोते समय बच्चे की बिब निकाल देनी चाहिए ताकि बिब से उसका
गला घुटने का डर ना रहे। एक अच्छी बात यह है कि शिशु की
लार खिलौनों और दूसरी वस्तुओं पर एक रोग-निवारक प्रोटीन की
परत बना देती है। यह एक अच्छी बात है क्योंकि आने वाले
दिनो में शिशु के हाथ जो लगेगा वह उसे अपने मूँह में डालकर
उसकी परीक्षा करता रहेगा।
लंबी नींद
यदि
आपका शिशु पूरी रात सो रहा है (५ या ६ घंटे लगातार) तो आप
बहुत खुशनसीब हैं। ९ हफ़्ते की उम्र के अधिकतर बच्चे आधी
रात में उठते हैं। वे बच्चे जो अभी पूरी रात नही सो रहे वो
भी पहले से ज़्यादा अन्तराल के लिए सोएँगे और जागेंगे बजाए
इसके कि वह कम अन्तराल के लिए सोएँ जागें। शिशु २ से ४
घंटे लम्बे अन्तराल की नींद लेगा और २४ घंटे में से १०
घंटे जागा रहेगा।
एक रोचक बात- शिशु रात का उल्लू हो या सुबह का सूरज,
ज़्यादा देर सोता है या कम देर। वह बचपन भर ऐसा ही रहेगा।
करवटों का आरंभ
शिशु अब लुढकना सीख रहा है। इस उम्र में वह पीठ के बल लेटे
हुए करवट ले सकता है और वापस पीठ के बल लेट सकता है। पूरी
तरह पलटने में उसे अभी एक महीना और लगेगा क्योंकि इस
क्रिया के लिए उसे गरदन और बाँह की ज़्यादा मज़बूत
मासपेशियों की ज़रूरत है। शिशु की गतिशीलता में वृद्धि का
मतलब है कि अब शिशु की नैपी बदलते समय माँ को एक हाथ शिशु
पर रखना चाहिए। अब क्योंकि शिशु लुढक सकता है उसे कभी भी
बिस्तर या किसी ऊँची सतह पर अकेला न छोड़ें।
ओह ये पेट दर्द
नवजात शिशु का पाचन तंत्र अपरिपक्व होता है इसलिए उसमें
गैस जमा होने की सम्भावना ज़्यादा रहती है। गैस जमा होने पर
शिशु बहुत परेशान होता है। पेट से आवाज़ें आना और गैस
निकालना नवजात शिशुओं में सामान्य बात है। यह परेशानी
थोड़े महीनो में कम हो जाएगी लेकिन तब तक इससे माँ और शिशु
दोनो ही परेशान रहेंगे।
कारण
पर ध्यान दें- यह माना जाता था कि माँ यदि गैस पैदा
करने वाला खाना खाएगी तो स्तनपान द्वारा यह गैस शिशु में
चली जाएगी। यह मान्यता पूरी तरह गलत साबित नही हुई है
इसलिए माँ को पत्ता गोभी, ब्रोकली, आलू, फली आदि गैस पैदा
करने वाले आहार नही लेने चाहिए। हो सकता है कि शिशु दूध
पीते समय बहुत सारी गैस निगल रहा हो। बोतल से दूध पीने
वाले शिशु स्तनपान करने वाले शिशुओं से अधिक गैस निगलते
हैं। कुछ शिशुओं को लेक्टोस से एलर्जी होती है जिसके कारण
वह गाय का दूध पचा नही पाते। इससे भी गैस होती है।
सावधानी- समय के साथ
जैसे-जैसे शिशु बढ़ेगा उसका पाचन तंत्र परिपक्व होगा और
उसकी गैस की समस्या कम होती जाएगी। लेकिन तब तक नीचे दिए
कुछ उपाए शिशु को आराम पहुँचा सकते हैं -
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
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