तीस साल पहले की बात है मैने एक सपने के साथ अमरीका के
लिये हिंदुस्तान का किनारा छोड़ा '' आगे की पढ़ाई का सपना
और शायद नयी जिंदगी बनाने का भी। पढ़ाई फ्लोरिडा के
इन्स्टीट्रयूट आफ टेक्नोलॉजी में होनी थी। मैने दो दिन
न्यूयार्क सिटी में अपने एक रिश्तेदार के यहाँ गुज़ारे और
फिर मेलबोर्न फ्लोरिडा में आ गया। मेरे सपनों और संघर्ष की
शुरूआत यहीं से होने वाली थी।
हवाइअड्डे पर दो भारतीय विद्यार्थियों ने मेरा स्वागत किया
जो उसी स्कूल में पढ़ते थे। दिन का थोड़ा समय मैने उन
लोगों के साथ गुज़ारा और फिर रहने की जगह ढूँढने निकल
पड़ा। मैं शहर और स्कूल में जल्दी जम जाना चाहता था इसलिये
बेकार समय बरबाद करना मुझे ठीक न लगा।
मैने जेब में थामस कुक के ट्रैवलरर्स चेक डाले जो बम्बई से
चलते समय प्रारंभिक खर्चो के लिये खरीदे थे। चलते चलते मैं
एक दुमंजिली इमारत के सामने जा पहुँचा। बाहर बड़े शब्दों
में लिखा था- साप्ताहिक या मासिक किराये पर कमरा उपलब्ध
है। मकान बेहद पुराना और अँधेरा सा लग रहा था फिर भी मैं
सीढ़ी चढ़कर सीधा मैनेजर के आफिस में पहुँच गया। रास्ते पर
सीढ़ी या बरामदे में मुझे कोई भी दिखाई नहीं दिया।
शुक्रवार का दिन था और मैनेजर सप्ताहाँत की छुट्टी के लिये
आफिस बंद करने की तैयारी में था।
मैने अपना परिचय दिया, "मैं विद्यार्थी हूँ । शहर में
नया आया हूँ और रहने के लिये सस्ते भाड़े का कमरा ढूँढ रहा
हूँ।
-ठीक है, मेरे पास बहुत से कमरे खाली हैं। हफ्ते या
महीने के हिसाब से किराये पर ले सकते हैं। मेरे विचार से
वह कोने वाला कमरा आपके लिये ठीक रहेगा। इसका एक हफ्ते का
किराया पचास डालर होगा।
"क्या मैं कमरा देख सकता हूँ?" मैने पूछा और मैनेजर
साहब कमरा दिखाने चल दिये। पता नहीं दरीचे साफ नहीं थे या
फिर रोशनी कम थी मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। अब
वापस जाना भी मुश्किल था कमरा तो देखना ही पड़ेगा मैने मन
ही मन सोचा। कमरा खुला और मैने देखा वहाँ एक बिस्तर था एक
मेज़ एक कुर्सी थी और कोने में एक खिड़की भी थी।
"बाथरूम
किधर है?" मैने पूछा।
"यहाँ किसी कमरे में बाथरूम नहीं है। सब के सब गलियारे
में हैं। मैनेजर ने बताया। "ठीक है। मुझे बम्बई के
होस्टल की याद आ गयी। मैने सोचा बस एक कमरा मिल जाये फिर
तो मैं हर मुश्किल का सामना कर लूँगा। और मैने अपना
पचास डालर का पहला ट्रैवलर
चैक साइन कर दिया। मुझे कोने वाले कमरे की चाभी मिल गयी।
मैने अपना सामान कमरे में लगा दिया। थोड़ा सा सामान था
ज़रा सी देर में लग गया। स्कूल सोमवार से शुरू होने वाले
थे। मैने सोचा कि पुरानी पढ़ाई को दोहरा लिया जाय फिर गणित
की एक किताब निकाली और थोड़ी देर तक पढ़ी। रात के बारह बजे
मैने सोने की तैयारी शुरू कर दी। पाजामा पहन लिया और सोचा
बाथरूम का सफ़र हो जाये।
सारी ज़िन्दगी मैंने अपने को अति सावधान आदमी समझा। सोच
रहा था कि कमरे की चाभी साथ ले जाऊँ या नहीं। मैने कमरे का
ताला बार बार देखा - इधर घुमाया उधर घुमाया। लगा कि चाभी
बिना चला जाये तो ठीक रहेगा। बाहर निकला।
सोचा देख लूँ कि कमरा खुलता
है या नहीं। कमरा नहीं खुला। मैं बाहर - कमरे की चाभी अंदर
!
बाथरूम का सफ़र स्थगित कर मैं सीधा मैनेजर के आफिस पर
पहुँचा। आफिस बंद था। मैनेजर जा चुका था। सुनसान गलियारे
में हल्की सी रोशनी और चाभी बिना, पाजामे में अकेला खड़ा मै
!
दिल में घबराहट होने लगी। दिमाग को काबू में कर के सोचा
नीचे जाऊँ और बाहर से मकान का जायज़ा लूँ। बाहर निकला और
बाहर से सारा मकान और भी ऊँधेरा सा लगा। वापस आया और कमरे
को फिर से खोलने की कोशिश की। मैनेजर के कमरे को भी खोलना
चाहा लेकिन दोनो कमरे ज़िद्दी निकले। वे बन्द रहे और मै
खुला बाहर।
दूसरी बार नीचे आते समय मैने शानदार तरीके से सजीधजी एक
सुंदर महिला को देखा। उम्र चालीस पचास के बीच लड़खड़ाते
कदमों से रेलिंग के सहारे वे धीरे धीरे ऊपर आ रही
थीं। हवा में परफ्यूम और शराब की महक सी फैल गयी। इतनी देर
बाद मुझे कोई रूह दिखी। मुझे किसी से बात करनी ज़रूरी था।
"हलो क्या आप बता सकती हैं कि मैनेजर साहब किधर होंगे
उनका आफिस बंद है।
"मैनेजर इस समय नहीं रहता। वो तो कभी का चला गया।
"मैं आज शाम से कोने वाले कमरे में आया हूँ। थोड़ी देर
पहले मैं कमरे से बाहर निकला और अब कमरा खुल नहीं रहा है
शायद अंदर से बंद हो गया। मैने उन्हें अपनी दर्द भरी कहानी
सुनायी।
"ओह पुअर बेबी सुनो मै ऊपर रहती हूँ। मेरे कमरे में
जगह है। अगर कहीं और जगह न मिले तो मेरे कमरे में रात
गुज़ार सकते हो।" महिला ने कहा।
मैं तो बेहोश हो गया! मैने अमरीका के बारे में पढ़ा था।
अमरीका '' जहाँ विचारों और व्यवहार की स्वतंत्रता है। मेरे
दिल की धड़कन बढ़ गयी और हाथ काँपने लगे। मुझे लगा कि मैं
इस महिला की मदद स्वीकार नहीं कर सकता।
"बहुत बहुत धन्यवाद। मैं अपने एक दोस्त के घर चला
जाऊँगा। क्या आप बता सकती हैं कि मैनेजर कब वापस आयेंगे?"
"हूँ। कौन सा दिन है आज?" शुक्रवार। वो तो वीक एँड में
फिशिंग पर गया होगा। अब सोमवार को ही मिलेगा।
मैने एक बार फिर से शुक्रिया अदा किया और जल्दी से
सीढ़ियाँ उतर गया।
शायद दो किलोमीटर चला होऊँगा। उस ठंड में आधी रात के समय
एक पाजामे में चलते हुए ऐसा लग रहा था जैसे कोई साधू सिर्फ
लंगोटी मे चला जा रहा हो।मजे की बात तो यह थी कि मैं
बाथरूम जाने की बात बिलकुल ही भूल गया। जो विद्यार्थी मुझे
दोपहर को लेने आये थे उन लोगों का घर मिल गया। मुझे रात
काटने का मकाम मिल गया। दूसरे दिन कुछ और विद्यार्थी जो
उसी स्कूल में पढ़ते थे छुटि्टयों के बाद वापस लौटे। मैने
उनमें से दो से दोस्ती कर ली और रहने
के लिये एक अच्छी जगह तय कर
दी।
सोमवार की दोपहर को मैं मैनेजर से मिलने गया। अपनी पूरी
कहानी सुनायी और कहा कि अगर वे मेरे पचास डालर वापस कर दें
तो मुझे बड़ी खुशी होगी। मैनेजर ने कहा कि वे ऐसा नहीं कर
सकते क्यों कि वे पचास डालर उनसे खर्च हो चुके हैं। मैने
और आग्रह नहीं किया उस मकान को दुबारा देखने में मुझे कोई
दिलचस्पी नहीं थी। मैने सोचा कि नये पाठ को सीखने में कभी
कभी कीमत चुकानी पड़ती है। थोड़े दिनों बाद मुझे पता चला
कि वो मकान एक लड़खड़ाता हुआ होटल था जहाँ का भाड़ा शहर
में सबसे कम था। मकान के नीचे एक मयशाला थी और होटल के
रहने वाले उस मयशाला के ग्राहक थे।
उस रात के बाद न जाने कितनी रातें आयी और गयीं लेकिन परदेस
में अकेले कटी वह पहली रात आज तक नहीं भूलती।
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