चित्रलेख

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फिर एक बार
नीलम की ढेर सी छवियों में
नभ ने
तैयार किया
बादलों का उड़न-खटोला
लंबी उड़ान के लिए
दिन भर के काम के लिए
थकान से
आराम के लिए
भेज दिया
उसको अंबर में
सद्य:स्नात दिवस की सेवा में

 

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