चित्रलेख

    


और फिर
आकाश में
अवतरित हुआ समुद्र
लहरों से
भर गया वितान
नील फलक पर
अभिषेक हुआ दिन का
फहरता रहा
बादलों का गुदगुदा तौलिया
उड़ते रहे नम छींटे
शबनम से
नहा गयी धरती

 

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