चित्रलेख

    


शांत हुआ
रंगों का मेला
स्थिर हो गया गगन
शांति छाने लगी हर ओर
कपड़े बदल कर
आ गए बादल
सुबह कै
दूसरे अंक को निभाने
सफेद हंसों से
मंथर गति चलते
नीले आकाश में
गरिमा का जादू भरते

 

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