प्रिय पाठकों,
समय
बह गया, अभिव्यक्ति पंद्रह साल की हो गई। दो
हज़ार साल की पन्द्रह अगस्त को अभिव्यक्ति का जन्म
हुआ था। उस समय तो जन्म की खुशी ही खुशी थी, कोई
अंदाज़ नहीं था कि आने वाले बरसों में अभिव्यक्ति
कैसा रूप धारण करेगी। आज दो हज़ार पन्द्रह की
पन्द्रह अगस्त तारीख को देख कर अनंत खुशी महसूस
होती है कि अभिव्यक्ति दुनिया के सामने अपने
सुन्दर व्यक्तित्व के साथ मौजूद है। इतना ही नहीं,
छह महीने छोटी अभिव्यक्ति की बहन अनुभूति भी सहभाव
से साथ चल रही है।
क्या कुछ नहीं हुआ ? पन्द्रह सालों में दुनिया बदल
गई। जो छोटे थे वो बड़े हो गये और जो बड़े थे वो और
भी पन्द्रह साल बड़े हो गये। कुछ भूगोल बदले और
इतिहास में कुछ नये पन्ने जुड़े। टेकनोलौजी आगे
बढ़ी। हार्डवेयर और सोफ्टवेयर बदले। फोंट्स बदले।
जाल पर काम कर ने के प्रोग्राम्स बदले। जो नहीं
हताश हुआ वो है हमारी टीम का नेतृत्व करती
पत्रिकाओं की संपादक पूर्णिमा वर्मन।
एक सोच थी, एक विचार था, हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय
मंच पर लाने का।
भारत की संस्कृति, कला, और साहित्य को जन जन तक
पहुँचाने का उद्देश्य था।
जहाँ तक हो सके वहाँ तक अव्यावसायिक रहना था।
मुश्किलें बहुत थी, कठिनाइयाँ काफ़ी थी।
मगर पूर्णिमा डरी नहीं, साथी ढूँढे, दोस्ती बनाई
और निभाई।
जिंदगी के अलग अलग पड़ाव पर कुछ साथी दूर भी हुए
तो,
नये साथी ढूँढे, टीम बनती गई, हम परास्त नहीं हुए,
अभि अनु का कारवाँ जारी रहा।
आर्थिक लाभ की दृष्टि नहीं थी,
बड़े नाम या पुरस्कार की ख्वाहिश नहीं थी,
निस्वार्थ भाव से कुछ कर दिखाना था।
स्वार्थ कहो तो निजी खुशी का था,
जीवन के यथार्थ को प्रतीत करने का था,
जग से खुशी बाँटने का था।
और देखो तो जग ने इसे पहचाना,
भारत के राष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया।
पन्द्रह सालो में अभि अनु में काफी बदलाव आया,
पूर्णिमा पाठकों की रुचि के अनुसार नई नई चीज़ें
लाती रहीं, और
कई नये लेखकों को और कवियों को प्रोत्साहित किया।
मै, अश्विन गांधी, अभि अनु का परियोजना निदेशक,
पूर्णिमा का दोस्त,
अपने दोस्त को, अभिनन्दन देता हूँ, सेहत से भरी
लंबी आयु की कामना करता हूँ।
और अभि अनु के लिये,
जुग जुग जियो अभिव्यक्ति,
जुग जुग जियो अनुभूति !
अश्विन
गांधी,
परियोजना निदेशक
(अभिव्यक्त/अनुभूति)
teamabhi@abhivyakti-hindi.org
पुनः
अगस्त महीने की ३१ तारीख से अभि और अनु पाक्षिक
बनेगी। हर १५ दिन पर नये अंक आप के सामने प्रस्तुत
होंगे। यह निर्णय हम ने बहुत सोच समझकर लिया है।
हमारी खुद की सेहत के लिये, अभि अनु की गुणवत्ता
के लिये, अभि अनु की लंबी आयु के लिये हम ने यह
जरूरी समझा है। हमारे पाठकों का, अभि अनु के
प्रशंसकों का समर्थन हमारे लिये बहुत जरूरी है।
अपनी प्रतिक्रया हमेशा भेजते रहिएगा। |