एक मित्र दूसरे मित्र से-
'मेरे लिये ११ का अंक हमेशा ही शुभ रहा है।
११वें महीने की ११ तारीख को ११ बजे हमारी शादी हुई।
जो मकान रहने को मिला उसका नंबर भी ११ है।
फिर एक दिन मुझे किसी ने बताया कि आज बड़ी रेस होने वाली है। अचानक समय पर निगाह पड़ी तो ११ बजकर ११ मिनिट और ११ सेकण्ड !
मैंने सोचा कि मेरे लिये ११ के नम्बर में जरूर चमत्कार छिपे हुये हैं, मैं गया और ११वें नम्बर की रेस के लिये ११ वें घोड़े पर ११ हजार रूपये लगा दिये।'
दूसरा मित्र : 'और घोड़ा जीत गया?'
पहला मित्र : 'यही तो रोना है! कम्बख्त ११वें नम्बर पर आया!' |
१५ दिसंबर २०१५ |
एक वकील महोदय ने गवाह का नाम, गाँव आदि पूछने के बाद उससे प्रश्न किया, "क्या तुम्हारा विवाह हुआ है?"
"जी हुजूर, उस देहाती गवाह ने कहा, "एक औरत के साथ।"
उसका जवाब सुनकर वकील साहब गुस्से में आ गए और बोले, "अरे बेवकूफ़ किसी का विवाह क्या मर्द से भी होता है?"
"जी हुजूर पिछले साल मेरी बहन का विवाह एक मर्द के साथ हुआ था।" गवाह ने सहमते हुए उत्तर दिया। ___________ |
१ दिसंबर २०१५ |
"इस घर की मै गृह मंत्री हूँ, साथ ही मै वित्त मंत्रालय भी संभालती हूँ, तुम्हारे ससुर विदेश मंत्री हैं, मेरा बेटा आपूर्ति मंत्री है एवं बेटी योजना मंत्री है। तुम कौन सा विभाग लेना पसंद करोगी?" सास ने अपने मंत्रीमंडल का विस्तार समझाते हुए नई बहू से पूछा।
"जी, मै तो विपक्ष मे बैठूँगी।" बहू ने तपाक से जवाब दिया।- रीना टंडन |
१५ नवंबर २०१५ |
"अरी, मोटर ड्राइविंग के तुम्हारे टेस्ट का क्या हुआ? क्या तुम्हें लाइसेंस मिल गया?
एक पड़ोसिन ने दूसरी पड़ोसिन से पूछा।
"अभी कहाँ, अभी तो मेरा इंस्ट्रक्टर ही अस्पताल में है।"
दूसरी ने अत्यंत भोलेपन से उत्तर दिया।- ज्योति खरे |
१५ नवंबर २०१५ |
दीपावली की रात दो भिखारी सड़क की एक ओर बैठे दूसरी ओर जगमगाते हुए घर को बड़ी हसरत से देख रहे थे।
एक भिखारी दूसरे से बोला,
''देखो तो, सारा शहर खुशियाँ मना रहा है। सिर्फ दो ही ऐसे दुखियारे है जो जल रहे हैं।''
पहले ने पूछा, ''कौन?''
दूसरे ने उत्तर दिया, "एक हम भिखारी और दूसरे वे दीये।''
पहला भिखारी आह भरकर बोला, ''अरे उनसे हमारी कोई बराबरी नहीं। वे राजा हैं, हम रंक है। हम यहाँ फुटपाथ पर पड़े भूखे पेट जल रहे हैं पर वे तो राजमहल की छत पर
घी पी-पीकर जल रहे हैं।''- सबरमल लोढ़ा |
१ नवंबर २०१५ |
विवाह के लिये बात करने आए हुए लड़के के माता-पिता ने अपने होने वाले समधी से कहा- दहेज का चलन तो आज भी है, हमारा बेटा डाक्टर है। शादी के पहले जरा इस बात पर विचार कर लीजियेगा।
- अजी विचार तो आप करें हमारी बेटी पुलिस में है। लड़की वालों ने शांत भाव से कहा।
- प्रदीप शर्मा |
१५ अक्तूबर २०१५ |
एक बुजुर्ग नाई था। एक बार एक माली उसके पास बाल बनवाने के लिये गया।
बाल बनवाने के बाद जब उसने पैसे देने चाहे तो नाई ने जवाब दिया- माफ कीजिये मैं आपसे पैसे नहीं ले सकता। मैं समाज सेवा कर रहा हूँ। माली खुश होकर दुकान से चला गया।
अगले दिन जब बुजुर्ग नाई अपनी दुकान पर पहुँचा तो दरवाजे पर उसने पाया- एक दर्जन खुशबूदार लाल गुलाब और साथ में एक 'धन्यवाद' कार्ड।
दूसरे दिन एक हलवाई उसके पास कटिंग कराने पहुँचा। उसने भी जब कटिंग के बाद जब पैसे देने चाहे तो नाई ने पैसे लेने से इनकार कर दिया। हलवाई भी खुश होकर वहाँ से चला गया।
अगले दिन जब नाई दुकान पर पहुँचा तो दरवाजे पर उसने पाया- एक दर्जन गुलाब जामुन और साथ में एक 'धन्यवाद' का कार्ड।
इसी प्रकार एक दिन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने कटिंग करवाई, पैसे देने पर नाई ने पैसे लेने से इनकार कर दिया, यह कह कर कि वह समाज सेवा कर रहा है।
अगले दिन जब नाई दुकान पर पहुँचा तो जानते है, उसने दरवाजे पर क्या पाया ?
...
एक दर्जन सॉफ्टवेयर इंजीनियर कटिंग का इंतजार करते हुए और सबके हाथ में फॉरवर्ड किये गए मेल के प्रिंट आऊट।
- गुड्डो दादी |
१ अक्तूबर २०१५ |
पिता ( बेटे से ) - देखो बेटे, जुआ नहीं खेलते। यह ऐसी आदत है कि यदि इसमें आज जीतोगे तो कल हारोगे, परसों जीतोगे तो उससे अगले दिन हार जाओगे।
बेटा - बस, पिताजी ! मैं समझ गया, आगे से मैं एक दिन छोड़कर खेला करूँगा।
- शशि पुरवार |
१५ सितंबर २०१५ |
हिंदी दिवस के अवसर पर एक साहित्यिक परिहास
"तेल का पकौड़ियाँ कितनी बिकीं?" लक्ष्मीचंद्र जैन ने फोन पर किसी से कहा।
"सब बिक गयीं।" दूसरी ओर से आवाज़ आई।
"अच्छा एक सौ और भेज देता हूँ।" लक्ष्मीचंद्र जैन बोले। सामने ही एक मित्र बैठे थे। आश्चर्य से उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। भारतीय ज्ञानपीठ के कर्ता-धर्ता और तेल की पकौड़ियाँ! कुछ क्षण वे चुप रहे। फिर पूछ बैठे, "क्यों जी, जैन साहब यह रोज़गार कब से?"
"जी, यही कोई दो मास से शौक लगा है। लीजिये आप भी आनंद उठाइए।" दूसरे ही क्षण जैन साहब ने डॉ. माचवे का कविता संग्रह "तेल की पकौड़ियाँ" थमा दिया।
(संकलित) |
१ सितंबर २०१५ |
एक मित्र दूसरे मित्र से, ''यार, जब मैं पैंट कमीज पहनकर बाजार जाता हूँ तो सब्जी महँगी मिलती है, और जब कुर्ता-पाजामा पहनकर जाता हूँ तो सस्ती मिलती है।''
दूसरे मित्र ने जवाब दिया- ''अगर हाथ में कटोरा लेकर जाओगे तो मुफ्त मिल जाएगी।''
- राजन मिश्रा |
१७ अगस्त २०१५ |
आस्ट्रेलिया में रहकर पढ़ने वाले सऊदी अरब के एक विद्यार्थी ने अपने पिता को मेल किया-
आस्ट्रेलिया बहुत ही सुंदर देश है...और उतने ही सुंदर यहाँ के लोग... लेकिन मुझे उस समय शर्म आती है जब मै २० तोले की सोने की चेन गले में डालकर अपनी फरारी से कालेज जाता हूँ... जबकि सभी लोग ट्रेन से कालेज जाते हैं...
आपका बेटा नसीर
दूसरे दिन उसे पिता का मेल मिला-
बेटे, अब तुम्हें भी झिझक या शर्म नही होगी...क्योंकि मैंने तुम्हारे खाते में दो करोड़ डॉलर डाल दिये हैं...जाओ तुम भी ट्रेन ले लो...
तुम्हारा पिता अल हबीबी
- पूर्णिमा दुबे |
१० अगस्त २०१५ |
अंग्रेजों का एक महीने का त्योहार चल रहा था जिसमे वो मांसाहार नहीं करते थे। उनके मोहल्ले में एक सरदार रहता था, जो हर रोज मुर्गा बनाकर खाता था। मुर्गे की खुशबू से परेशान होकर अंग्रेजों ने अपने पादरी से शिकायत की।
पादरी ने सरदार जी से कहा कि तुम भी ईसाई धर्म स्वीकार कर लो, जिससे किसी को आपसे कोई समस्या ना हो। सरदार जी मान गए।
पादरी ने सरदार जी पर पवित्र छिड़कते हुए कहा, ''तुम्हारा जन्म सिख के रूप में हुआ था लेकिन अब तुम ईसाई हो।''
अगले दिन सरदार जी के घर से फिर चिकन की खुशबू आई तो सब अंग्रेजो ने पादरी से उसकी फिर शिकायत की। पादरी अंग्रेजों को साथ लेकर सरदार जी के घर में गए तो देखा, सरदार जी चिकन पर पवित्र जल छिड़क रहे थे और कह रहे थे, ''तुम्हारा जन्म मुर्गी के रूप में हुआ था लेकिन अब तुम आलू हो।''
- शिवम |
३ अगस्त २०१५ |
पिता अध्यापक से -" मेरा बेटा पढाई मै कैसा है?"
अध्यापक -"चौधरी यों समझ ले ...आर्यभट्ट ने जीरो की खोज इसके खातिर ही करी थी।"
- निशा कोठारी |
२७ जुलाई २०१५ |
दुबे जी मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास पहुँचे।
"क्या समस्या है?"-डाक्टर ने पूछा।
"हमारी कोई समस्या नहीं। हम बादशाह अकबर हैं। बादशाह को कोई समस्या भला हो भी कैसे सकती है। समस्या तो हमारी बेगम जोधाबाई की है।
"उनकी क्या समस्या है?"
"वो समझती है कि वो मिसेज दुबे हैं...
- शशिकांत गीते |
२० जुलाई २०१५ |
एक बार एक कवि को प्यास लगी। उन्हें सामने एक हलवाई की दुकान दिखी जहाँ गरमागरम जलेबियाँ बन रहीं थीं। वो वहाँ पहुँचे, जलेबी दही लिया और वहीं खाने बैठ गये। इतने में एक कौआ कहीं से आया और दही की परात में चोंच मारकर उड़ चला, पर हलवाई ने उसे देख लिया। हलवाई ने क्रोध में कोयले का एक टुकड़ा उठाया और कौए को दे मारा। कौए की किस्मत ख़राब, कोयले का टुकड़ा उसे जा लगा और वह मर गया।
कवि महोदय यह घटना देख रहे थे सो कवि हृदय जगा सो जब वो जलेबी दही खाने के बाद पानी पीने पहुँचे तो उन्होने कोयले के टुकड़े से एक पंक्ति लिख दी।
कवि ने लिखा- "काग दही पर जान गँवायो"
तभी वहाँ एक लेखपाल महोदय जो कागजों में हेराफेरी की वजह से निलम्बित हो गये थे पानी पीने पहुँचे। कवि की लिखी पंक्तियों पर जब उनकी नजर पड़ी तो अनायास ही उनके मुँह से निकल पड़ा कितनी सही बात लिखी है! क्योंकि
उन्होने उसे कुछ इस तरह पढ़ा- "कागद ही पर जान गँवायो"
तभी एक मँजनू छाप आदमी भी पिटा पिटाया-सा वहाँ पानी पीने पहुँचा। उसे भी लगा कितनी सच्ची और सही बात लिखी है काश उसे ये पहले पता होती, क्योंकि उसने उसे कुछ इस तरह पढ़ा- "का गदही पर जान गँवायो"
- परमेश्वर फुँकवाल |
१३ जुलाई २०१५ |
सरदार जी को ट्रैफिक पुलिस ने रोका और कहा- सरदार जी, आप ने सीट बेल्ट पहन रक्खी है, आपको हम सम्मानित करना चाहते हैं।
सरदार जी को ५ हज़ार बतौर इनाम मिले और उनसे पूछा गया, आप इस पैसे से क्या करेंगे।
सरदार जी ने कहा- सबसे पहले मैं लाइसेंस बनवाऊँगा। पीछे बैठी पत्नी ने सहज होकर कहा- आप शराब पीकर कुछ भी बोलते हैं।
तभी सीट पर साथ बैठे पिता जी की आँख खुल गई और बोले- मुझे पता था चोरी की गाड़ी एक दिन पकड़ी ही जायेगी।- सत्यपाल ख्याल |
६ जुलाई २०१५ |
एक सिपाही ने अपनी पत्नी को अपने बटुए से रुपये निकालते हुए देख लिया। सिपाही तुरंत आगे बढ़ा और पत्नी की कलाई थामते हुए बोला, "मेरे बटुए में से चोरी, याद रखना मैं तुम्हारा पति ही नहीं पुलिसवाला हूँ। मैं तुम्हें चोरी के जुर्म में गिरफ़्तार भी कर सकता हूँ।
पत्नी ने चुराए गए रुपयों में से पाँच रुपये का नोट पति के हाथ पर रखते हुए कहा, जाने भी दीजिये हुजूर बात यहीं खतम कीजिए न।
-सुमन गुप्ता |
२९ जून २०१५ |
एक फेसबुक उपयोगकर्ता ने अपने स्टेटस में लिखा- आज बहुत गर्मी है मैं रात को छत पर सोऊँगा।
झट से इसे ५० मच्छरों ने लाइक कर दिया।
- कल्पना रामानी |
२२ जून २०१५ |
एक जगह पर गायन का कार्यक्रम चल रहा था ...बड़े मनोयोग से गायिका गा रही थी .....बेला फूले आधी रात..... बेला ssssssssssssss फूले आधी रात आआआआत ...बेला आआआआ आ.. आ ... फुले एएएएएएएए...आधी रात......जब काफी देर तक यही चलता रहा तो ...एक श्रोता से नहीं रहा गया ... वह अपनी जगह से बोला पड़ा .....बहुत देर हो गई मैडम ....अब चमेली को मौका दे दो....
- अनिल कुमार मिश्र |
१५ जून २०१५ |
रेलवे की मौखिक परीक्षा में एक हरियाणा का छोरा परीक्षा देने गया।
उससे परीक्षक ने पूछा- अगर दो रेलगाड़ियाँ एक लाइन पर आ गयी तो क्या करोगे ?
छोरा- जी, रेड लाइट दिखाऊँगा !
परीक्षक- रेड लाइट न हो तो ?
छोरा- टोर्च दिखाऊँगा !
परीक्षक- टोर्च न हो तो ?
छोरा- अपनी रेड शर्ट उतार कर दिखाऊँगा !
परीक्षक- शर्ट भी रेड न हुयी तो ?
छोरा- फिर मैं अपने बुआ के छोरे ने बुलाऊँगा !
परीक्षक- हैं... वो क्यों ?
छोरा- जी, उसने कभी ट्रेनों की टक्कर नहीं देखी !
- परमेश्वर फुँकवाल |
८ जून २०१५ |
एक बार किसी वाक्पटु राज ज्योतिषी ने प्रधान मंत्री से मज़ाक किया, 'आप अगले दिन मर जाएँगे'।
संयोग से अगले दिन प्रधान मंत्री घोड़े से गिरकर चल बसा। यह जानकर उस देश का राजा आग बबूला हो गया, ' अरे ज्योतिषी तुम्हारी ही बददुआ से प्रधान मंत्री की मौत हुइ है। तुम्हें इसकी सज़ा दी जाएगी। अगर तुम यह जान सकते हो कि प्रधान मंत्री कब मरेगा, तो यह भी जान सकते हो कि तुम खुद कब मरोगे? अगर न बता सके तो आज ही नर्क में भेज दिये जाओगे।'
'महाराज ! मैं आपसे ठीक दो दिन पहले मरूँगा।' चतुर ज्योतिषी ने जवाब दिया।
राजा मुँह देखता रह गया। ---- मुक्ता पाठक |
१ जून २०१५ |
एक बार एक आदमी का तबादला दूसरे शहर में हो गया और वह कार्यभार संभालने शहर पहुँचा। वहां उसने देखा कि उसे कंपनी ने रहने के लिए एक फ्लैट भी दे दिया है। यह देख उसने तुरंत अपनी पत्नी को इसके बारे में सूचना देने के इरादे से अपने मोबाइल पे मैसेज लिखा, परन्तु गलती से उसे गलत नंबर पर भेज दिया। जिस औरत को वह मैसेज मिला वह अपने पति का अंतिम संस्कार करके लौट रही थी। मैसेज पढ़ते ही वह औरत बेहोश हो गयी और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा क्योंकि मैसेज में लिखा था-
प्रिय,
मैं सही-सलामत पहुँच गया हूँ और यहाँ रहने के लिए अच्छी जगह भी मिल गई है। तुम बिलकुल चिंता मत करना बस २-४ दिन में ही तुमको भी बुला लूँगा।
तुम्हारा पति!
- आभा सक्सेना |
२५ मई २०१५ |
स्वर्ग में तीन बाँस आपस में बातचीत कर रहे थे।
एक ने पूछा- तुम्हारी मौत कैसे हुई?
दूसरा- मैं चीन में रहता था. मुझे एक पांडा खा गया।
पहला- और तुम्हारी?
तीसरा- मैं हिन्दुस्तानी हूँ, जब मेरे फूल आने लगे तो मुझे चूहे ताकत की दवाई समझ कर चट कर गए।
दोनों ने पहले से पूछा- और तुम यहाँ कैसे आये बंधू?
पहला- क्या बताऊँ मित्रों बड़ी दुखद कहानी है। मैं एक गाँव में मुंसीपाल्टी के कर्मचारी के पल्ले पड़ गया। एक दिन उसने प्लास्टिक की थैली से बंद एक नाली में मुझे डाला और मैं टूटकर वहीं फँस गया और दम घुटने से मर गया।
दोनों बाँस नाक पर हाथ रखकर वहाँ से खिसक लिये।
- परमेश्वर फुँकवाल (स्वरचित) |
१८ मई २०१५ |
एक मानसिक चिकित्सालय के चिकित्सक से पत्रकार ने पूछा- "डाक्टर साहब ! चिकित्सालय में भरती के लिए मरीज की पहचान कैसे करते हैं कि वह पागल है कि नहीं।"
डाक्टर ने बताया- "बहुत आसान है, मैं नहाने का टब पानी से भरवा देता हूँ, फिर उसे एक चाय का चम्मच, एक गिलास और एक बाल्टी दे कर पानी खाली करने को कहता हूँ।"
पत्रकार- "ओह! जाँच का यह तरीका तो सचमुच बहुत आसान है। एक स्वस्थ आदमी तो तुरंत बाल्टी उठा लेगा।"
डाक्टर- "नहीं, स्वस्थ आदमी टब के निचले हिस्से में निकासी का ढक्कन खोल देगा। चलिए बेड नंबर ४० पर... बाकी जाँच के लिए मैं वहीं आता हूँ।"
- शशिकांत गीते |
११ मई २०१५ |
साहित्य प्रेमी दूल्हा सुहागरात को अपनी दुल्हन से बोला- प्रिये, आज से तुम ही मेरी कविता हो, भावना हो कामना हो।
साहित्य से अनजान दुल्हन ने यह सुनकर दूल्हे से कहा- मेरे लिए भी आज से तुम ही मेरे दिनेश हो, सुरेश हो, राकेश हो...
- शशि पुरवार |
४ मई २०१५ |
हवलदार- इंस्पेक्टर साहब..मैं इस घर के बाहर खड़ा हूँ..यहाँ एक महिला ने अपने पति को गोली मार दी है..
इंस्पेक्टर- पूरी वारदात का ब्यौरा दो...
हवलदार- हुज़ूर..आज इनकी कामवाली नहीं आई थी...महिला ने खुद पौंछा लगाया था और पति ने गीले फर्श पे पैर छाप दिए... गुस्से में महिला ने उसे गोली मार दी...अब मेरे लिए क्या हुकुम है?
इंस्पेक्टर- बाहर खड़ा क्या कर रहा है..अंदर जा के महिला को गिरफ्तार कर ले...
हवलदार- पर हुज़ूर.. फर्श अभी तक गीला है...- परमेश्वर फुँकवाल |
२७ अप्रैल २०१५ |
पिता ( बेटे से ) - देखों बेटे, जुआ नहीं खेलते। यह ऐसी आदत हैं कि यदि इसमें आज जीतोगे तो कल हारोगे, परसों जीतोगे तो उससे अगले दिन हार जाओगे।
बेटा - बस, पिताजी! मैं समझ गया, आगे से मैं एक दिन छोड़कर खेला करूँगा।
- शशि पुरवार |
२० अप्रैल २०१५ |
पति - खाने में क्या बना रही हो..?
पत्नी - सब्जियों में वेज मंचूरियन, पनीर बटर मसाला, मलाई कोफ्ता, वेज़ अफ़गानी, चावल में हैदराबादी दम बिरयानी, रोटी में बटर नान, साथ में पाइन एप्पल रायता और मीठे में वेनेला आइस्क्रीम के साथ हॉट चौकलेट सॉस और हाँ साथ में तुम्हारे लिए ज़बरदस्त ठण्डी बियर...
पति - खाना बना रही हो या बेवकूफ- परमेश्वर फुँकवाल |
१३ अप्रैल २०१५ |
गब्बर- कितने आदमी थे?
सांभा- सरदार दो।
गब्बर- मुझे गिनती नहीं आती, दो कितने होते हैं?
सांभा- सरदार दो, एक के बाद आता है।
गब्बर- और दो के पहले?
सांभा- दो के पहले एक आता है सरदार।
गब्बर- तो बीच में कौन आता है?
सांभा- बीच में कोई नहीं आता सरदार।
गब्बर- तो फिर दोनों एक साथ क्यों नहीं आते?
सांभा- एक के बाद ही दो आ सकता है क्योंकि दो, एक से बड़ा है सरदार।
गब्बर- दो, एक से कितना बड़ा है।
सांभा- दो, एक से एक बड़ा है सरदार।
गब्बर- अगर दो, एक से एक बड़ा है तो एक, एक से कितना बड़ा है?
सांभा- सरदार अब आप मुझे गोली ही मार दो मैंने आप नमक ही खाया है च्यवनप्राश नही।
- शशि पुरवार |
६ अप्रैल २०१५ |
रोहन अध्यापिका से- मिस, भिखारी को कैसे पहचानते हैं?
अध्यापिका- उनके हाथों में खाली कटोरे होते हैं भीख माँगने के लिये
रोहन सोचते हुए- कल शाम मैंने बहुत सारे भिखारी देखे।
अध्यापिका- कहाँ ??
रोहन- गोलगप्पे की दुकान पर।
- ऋता शेखर 'मधु' |
३० मार्च २०१५ |
सर्दी की एक सुबह-
माँ- उठो बेटा, तुम्हारे स्कूल जाने का समय हो रहा है।
बेटा- (नींद में) मन नहीं है स्कूल जाने का।
मां- कोई दो उपयुक्त कारण बताओ कि तुम स्कूल क्यों नहीं जाना चाहते।
बेटा- पहला कारण तो यह है कि कोई भी बच्चा मुझे पसंद नहीं करता और दूसरा कारण, कि कोई भी अध्यापक मुझे पसंद नहीं करता।
माँ- ये कोई कारण नहीं हैं। उठो, तुम्हें स्कूल जाना ही होगा।
बेटा- अच्छा माँ, तुम मुझे कोई दो उपयुक्त कारण बताओ कि मुझे स्कूल क्यों जाना चाहिए।
मां: पहला कारण तो यह कि तुम ५२ साल के हो, तुम्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। और दूसरा यह कि- तुम स्कूल के प्रिंसिपल हो।
- कल्पना रामानी |
२३ मार्च २०१५ |
कुछ महत्वपूर्ण वाक्य जरूरी नही है हर बात महत्मा गांधी या शेक्सपीयर ने कही हो ।
१. अगर कमीज का पहला बटन गलत लगा है तो निसंदेह बाकी सभी बटन गलत ही लगेंगे। - घनश्याम टेलर.
२. अगर आपकी राह में छोटे छोटे पत्थर आये तो समझ ले रोड का काम चल रहा है - भंवरलाल ठेकेदार
३. जिंदगी में सिर्फ पाना ही सबकुछ नहीं होता, उसके साथ नट बोल्ट भी चाहिए - महादेव मिस्त्री
४. तुम मुझे खून दो... मैं तुम्हे ३ बजे तक रिपोर्ट दूंगा...!! - गुप्ता पैथोलॉजी
५. यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है आस पास खुदा ही खुदा है जहाँ खुदा नहीं है, वहाँ कल खुदेगा - नगरपालिका
- रामशिरोमणि पाठक |
१६ मार्च २०१५ |
ट्रैफिक हवलदार - लायसेंस दिखाओ!
चालक- नहीं है साब!
ट्रैफिक हवलदार - क्या तुमने ड्रायविंग लायसेंस बनवाया है?
चालक- नहीं।
ट्रैफिक हवलदार - क्यों?
चालक- मैं बनवाने गया था, पर वो पहचान पत्र माँगते हैं। वो मेरे पास नही है।
ट्रैफिक हवलदार - तो तुम मतदाता पहचान पत्र बनवा लो।
चालक- मै वहाँ गया था साब! वो राशनकार्ड माँगते है। वो मेरे पास नहीं है।
ट्रैफिक हवलदार - तो पहले राशन कार्ड बनवा लो।
चालक- मैं म्युनिसिपल भी गया था साब! वो पासबुक माँगते हैं।
ट्रैफिक हवलदार - तो मेरे बाप बैंक खाता खुलवा ले।
चालक- मैं बैंक गया था साब! बैंकवाले ड्रायविंग लायसेंस माँगते हैं।- आदित्य चौहान |
९ मार्च २०१५ |
होली का दिन था। क्लब में त्योहार मनाने की व्यवस्था थी होली खेलने, नहाने और खाने पीने का सब प्रबंध किया गया था। अच्छा हंगामा जमा और मधुर मधुर टुन्न होने के बाद घर को लौटते समय एक सज्जन ने क्लब से पुलिस को फोन पर घबराई हुई आवाज में रपट लिखवाई,
"मेरी कार का क्लच, एक्सिलेटर, डैशबोर्ड आदि सब चोरी हो गए हैं।"
पुलिस स्टेशन पर तैनात अधिकारी ने रपट लिखकर सब कुछ जल्दी ढूँढ देने का वायदा किया।
फोन रखते ही फिर से घंटी बजी। पुलिस अधिकारी ने फोन उठाया, वही सज्जन बोल रहे थे,
"माफ़ कीजिएगा दरोगा जी, सब कुछ सलामत है। मैं ही गलती से पिछली सीट पर बैठ गया था।"- मुक्ता पाठक |
३ मार्च २०१५ |
बंता: अरे संता तुम जो तोता लाये थे, कैसा है वो?
संता: क्या बताऊँ कल हमारा तोता पेट्रोल पी गया।
बंता: अरे, फिर क्या हुआ?
संता: होना क्या था तड़पा, चीखा, फड़फड़ाया, उड़ा तो छत से जा कर टकराया, फिर कई बार कमरे में गोल- गोल उड़ा और कई बार चारों दीवारों से टकराया।
बंता: फिर?
संता: फिर उड़ कर हॉल में पहुँच गया। वहाँ भी अंधों की तरह खूब टककरें मारीं। फिर किचन में पहुँच गया। वहाँ तो बहुत ही तड़पा, कई बर्तन फोड़ दिए। फिर बैडरूम में पहुँचा तो सीधा जाकर ड्रेसिंग टेबल के शीशे से टकराया। शीशा चकनाचूर हो गया और उन्ही टुकड़ों में वो भी फर्श पर ढेर हो गया।
बंता: ओह, फिर मर गया?
संता: नहीं मरा तो नहीं पर मुझे लगता है पेट्रोल खत्म हो गया होगा।- अमिया भट्टाचार्य |
२३ फरवरी २०१५ |
एक भिखारी एक धनी व्यक्ति के कार के पास आ कर बोला-
कुछ खाने को दे दो।
आदमी- मैं तुम्हें बियर दूँगा !!!
भिखारी- मै शराब नही पीता।
आदमी- अच्छा, सिगरेट ले लो।
भिखारी- मै सिगरेट नहीं पीता।
आदमी- अच्छा, चलो तुम्हें कसीनो ले चलता हूँ।
भिखारी- मै जुआ नहीं खेलता।
आदमी- लो मेरी कार ले जाओ।
भिखारी- मुझे कार चलाना नही आता है।
आदमी- तुम्हें गर्लफ्रेंड दिलवाता हूँ।
भिखारी- मै सिर्फ अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ।
आदमी- ठीक हें, मै खाना दूँगा, पर तुम्हें मेरे घर चलना होगा, मै तम्हें अपनी बीवी से मिलवाना चाहता हूँ।
भिखारी- क्यों ???
आदमी- वह भी तो देखे की जो आदमी सिगरेट, शराब नहीं पीता, जो आदमी जुआ नहीं खेलता और
जो सिर्फ अपनी पत्नी से प्यार करता है, उसका क्या हाल होता है। |
१६ फरवरी २०१५ |
एक धूर्त ने क्लिनिक खोला और बाहर लिखवाया- तीन सौ रुपये में इलाज करायें। इलाज नहीं हुआ तो एक हजार रुपये वापस।
एक मूर्ख ने सोचा कि एक हजार रुपये कमाने का अच्छा मौका है। वह उस क्लिनिक पर गया और बोला, "मुझे किसी भी चीज का स्वाद नहीं आता है।"
धूर्त ने नर्स से कहा, "इन्हें दवा नंबर तीन की तीन बूँदें पिलाओ।"
नर्स ने दवा पिलायी, तो मूर्ख ने कहा, "यह तो पेट्रोल है।"
धूर्त बोला, "मुबारक हो, आपको स्वाद महसूस हो गया। लाइए तीन सौ रुपये।"
मूर्ख कुछ दिन बाद अपने पैसे वसूलने के इरादे से फिर वहाँ गया और बोला, "मेरी याददाश्त कमजोर हो गयी है।"
धूर्त ने नर्स से कहा, "इन्हें दवा नंबर तीन की तीन बूँदें पिलाओ।"
मूर्ख बोला, "लेकिन वह दवा तो स्वाद के लिए है।"
धूर्त ने कहा, "वाह, दवा का नाम सुनते ही आपकी याददाश्त वापस आ गयी। लाइए तीन सौ रुपए।"
मूर्ख फिर मूर्ख बन गया, लेकिन फिर भी उसे अक्ल नहीं आयी। वह फिर अपने पैसे वापस पाने के इरादे से फिर उसी क्लिनिक पर गया और बोला, "डॉक्टर, मेरी नजर कमजोर हो गयी है।"
धूर्त ने कहा, "इसकी दवा मेरे पास नहीं है। लीजिए, एक हजार रुपये।"
मूर्ख पहले तो खुश हुआ, लेकिन फिर नाराज होकर बोला, "यह नोट तो पाँच सौ का है।"
धूर्त ने पाँच सौ का नोट उससे छीनकर कहा, "आपकी नजर वापस आ गयी है। लाइए तीन सौ रुपये।"
- रमेश उपाध्याय |
९ फरवरी २०१५ |
एक बार किसी महिला की शव यात्रा जा रही थी। सभी साथ में जाने वाले लोग चुपचाप चले जा रहे थे। महिला को कंधा उसका पति दे रहा था। साथ में एक कुत्ता भी चल रहा था। जिसके गले में फूलों की मालायें पड़ी हुयी थी। किसी ने पूछा ‘भई कुत्ते के गले में फूल मालायें किस लिये?’
‘‘यह महिला जिसकी शव यात्रा में तुम चल रहे हो उसे इसी कुत्ते ने काटा था और वह मर गयी। ’
‘‘भइया क्या ये कुत्ता मुझे भी एक दिन के लिये मिल सकता है?’’
‘‘हाँ जरूर पर इसके लिये तुम्हें लाइन में लगना पड़ेगा क्यों कि जितने भी लोग तुम्हें यहाँ दिखाई दे रहे हैं सब के सब लाइन में ही लगे हुये हैं।’’- आभा सक्सेना |
२ फरवरी २०१५ |
विदेश में पढ़े-लिखे नेताजी गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने क्षेत्र के दूर-दराज गाँव में पहुँचे। मंच पर भाषण देते समय वह ग्राम-वासियों से कह रहे थे- "आप अपनी समस्याओं पर रोशनी डालिए, हम हल करेंगे.. "
बीच में ही श्रोताओं की भीड़ से एक किसान खड़ा होकर बोला- "सरकार, गाँव में बस खंभे और लट्टू दिख रहे हैं, महीनों से बिजली नहीं आई। और आप हमसे रोशनी डालने की बात कह रहे हैं!" |
२६ जनवरी २०१५ |
एक औरत बीमा कंपनी के कार्यालय में गयी और पालिसी के कागज़ दिखती हुई मेनेजर से बोली : मेरे पति गुज़र गए हैं।
मेनेजर: बहुत दुःख हुआ सुनकर
औरत: ज़रूर हुआ होगा. मर्द सभी एक जैसे ही होते हैं. जैसे ही औरत को चार पैसे मिलने की बात आती है उन्हें दुःख होने लगता है...
- परमेश्वर फुँकवाल |
१९ जनवरी २०१५ |
श्रीमती जी की रात के दो बजे अचानक नींद खुली तो पाया कि पति बिस्तर से गायब है। जिज्ञासावश उठीं, खोजा, तो देखा डाइनिंग टेबल पर बैठे पति जी कॉफी का कप हाथ में ले कर, कुछ सोचते हुए, दीवार को घूर रहे हैं। पत्नी चुपचाप पति को कॉफी की चुस्की लेते हुए बीच-बीच में आँख से आँसू पोंछते देखती रही। फिर पति के पास गई और बोलीं,
“क्या बात है, डियर? तुम इतनी रात गए यहाँ क्या कर रहे हो..?”
पति जी ने कॉफी से नज़र उठाईं- “तुम्हें याद है, १४ साल पहले जब तुम सिर्फ १८ साल की थीं?” पति बड़ी गम्भीरता से बोला..।
पत्नी पति के प्यार को देख कर भाव विभोर हो गई, बोली, “हाँ, याद है..।”
कुछ रुक कर पति जी बोले “याद है जब तुम्हारे जज पिता जी ने हमें मेरी कार मे घूमते हुए देख लिया था?"
'' हाँ हाँ... याद है...।”
''याद है कैसे उन्होंने मेरी कनपटी पर बन्दूक रख कर कहा था, “या तो इस से शादी कर लो, या १४ साल के लिए अन्दर कर दूँगा..।”
पत्नी- “हाँ... हाँ... वह भी याद है।”
अपनी आँख से एक और आँसू पोंछते हुए पति बोला, ''आज मैं छूट गया होता...!!'' - रामशिरोमणि पाठक |
१२ जनवरी २०१५ |
नये
साल की शाम डेनियल जब पब से बाहर आया तो उसे लगा कि वह कार नहीं चला सकता। अतः कार
को पार्किंग में ही छोड़कर वह पैदल लड़खड़ाते हुए घर की ओर बढ़ा। उसे इस प्रकार
लड़खड़ाते देखकर रास्ते में एक पुलिसमैन ने पुकारा, "ए आदमी किधर जा रहा है?"
"लेक्चर के लिए जा रहा हूँ, देखता नहीं?" डेनियल ने जवाब दिया।
"नए साल की रात इतनी देर कौन से विश्वविद्यालय में लेक्चर देगा तू?", पुलिसमैन ने
पूछा।
"मैं लेक्चर नहीं देगा, मैं सुनेगा। लेक्चर तो मेरी पत्नी देगी अब।" डैनियल बोला।
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५ जनवरी २०१५ |
२०१४ के चुटकुले |